अंकुश मौर्य, BHOPAL. एमपी गजब हैं, सबसे अजब है...ये लाइनें मध्यप्रदेश के कौशल विकास एवं रोजगार निर्माण बोर्ड पर सटीक बैठती है। बोर्ड के पास बीते तीन साल से कोई योजना ही नहीं है। यानी प्रदेश के युवाओं को रोजगार परक ट्रेनिंग देने और रोजगार दिलाने के लिए राज्य सरकार की किसी भी योजना पर बोर्ड काम नहीं कर रहा है। 2019 के बाद से कौशल विकास एवं रोजगार निर्माण बोर्ड ने ट्रेनिंग पार्टनर्स को कोई टारगेट नहीं दिया है। इसकी वजह ये हैं कि राज्य सरकार, बोर्ड को बजट नहीं दे रही। दूसरी तरफ बोर्ड की फिजूलखर्ची बढ़ती ही जा रही हैं। विश्व कौशल दिवस पर द सूत्र की स्पेशल रिपोर्ट।
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योजनाएं बंद हो गई पेमेंट अभी तक हो रहे है
मध्यप्रदेश में 2018 में दो योजनाएं मुख्यमंत्री कौशल संवर्धन और मुख्यमंत्री कौशल्या योजना शुरु की थी। योजनाओं के क्रियान्वयन की जिम्मेदारी रोजगार बोर्ड के पास थी। लेकिन अधिकारियों ने योजनाओं का पलीता लगा दिया। टारगेट डेढ़ लाख युवाओं को कौशल विकास करना और रोजगार देने का था। लेकिन ट्रेनिंग मिली सिर्फ 56 हजार युवाओं को मिली और रोजगार तो सिर्फ 5 हजार युवाओं को ही मिल सका। लेकिन अधिकारी 130 करोड़ रुपए लुटा चुके थे। सूत्रों का कहना हैं कि अधिकारियों की चहेती कंपनियों और एनजीओ को तो आज तक भुगतान किया जा रहा है।
पीएम के ड्रीम प्रोजेक्ट का लगाया पलीता
दो योजनाएं फेल होने के बाद सरकार ने कौशल विकास एवं रोजगार निर्माण बोर्ड को फंड देना ही बंद कर दिया। हाल ही में लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग ने जल जीवन मिशन के तहत बोर्ड को आरपीएल यानी रिकोग्नाइज आफ प्रीरियर लर्निंग योजना दी थी। लेकिन इस योजना को भी अधर में लटका दिया गया है। योजना के तहत 60 हजार ग्रामीण युवकों को प्लंबर समेत अन्य कामों की ट्रेनिंग, सर्टिफिकेट और स्टायपेंड दिया जाना था। लेकिन बोर्ड के ट्रेनिंग पार्टनर महज 30 हजार युवाओं को ही ट्रेनिंग दे पाए। किसी भी युवक को सर्टिफिकेट नहीं दिया और न ही 500 रुपए का स्टायफंड दिया गया।
फिजूलखर्ची हैं कि बढ़ती ही जा रही है
अध्यक्ष-उपाध्यक्ष की खातिरदारी पर लाखों रुपए महीने का खर्च
एक तरफ युवाओं को ट्रेनिंग और रोजगार देने के लिए बोर्ड के पास बजट नहीं है। दूसरी तरफ जनता की गाड़ी कमाई से चुकाए जाने वाले टैक्स के पैसे को बोर्ड ठिकाने लगा रहा है। हाल ही में प्रदेश में निगम-मंडलों में राजनीतिक नियुक्तियां की गई है। स्किल डेपलपमेंट एंड जनरेशन बोर्ड के अध्यक्ष के रूप में शैलेंद्र शर्मा और उपाध्यक्ष के पद पर नरेंद्र बिरथरे की नियुक्ति की गई है। अध्यक्ष-उपाध्यक्ष के ऑफिस के लिए बोर्ड ने एमपी नगर में स्थित बिल्डिंग में एक फ्लोर किराए से लिया है। जिसका किराया लाखों रुपए महीने है।
4.5 लाख रुपए महीने किराया..
कौशल विकास एवं रोजगार निर्माण बोर्ड के पास कई एकड़ में फैला और ऊंची इमारतों वाला आईटीआई परिसर रायसेन रोड़ पर मौजूद है। इसी परिसर में बोर्ड के तमाम अधिकारी बैठते है। लेकिन इसके बाबजूद अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के लिए एमपी नगर में एकेवीएन (मध्यप्रदेश औद्योगिक केंद्र विकास निगम) की बिल्डिंग एवीएन टॉवर में एक फ्लोर किराए से लिया गया है। बोर्ड के अतिरिक्त डायरेक्टर जीएन अग्रवाल ने बताया कि अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के ऑफिस का किराया 4.5 लाख रुपए महीने है। इस फ्लोर के रिनोवेशन पर लाखों रुपए खर्च किए गए है। सूत्रों का कहना हैं कि करीब 20 लाख रुपए खर्च कर अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के बैठने के लिए शानदार ऑफिस बनाया गया है।
बोर्ड में नहीं बैठतीं सीईओ
कौशल विकास एवं रोजगार निर्माण बोर्ड की सीईओ षणमुख प्रिया मिश्रा भी अपने दफ्तर में नहीं बैठती। महीने में एकाध बार बोर्ड के दफ्तर पहुंचती है। द सूत्र ने जब उनके ऑफिस में मौजूद कर्मचारियों से वजह पूछी तो उनका कहना हैं कि मैडम ज्यादातर समय पीईबी के दफ्तर में बैठती है।
कौशल विकास संचालनालय और बोर्ड में ठनी
कौशल विकास संचालनालय के कर्मचारियों ने बोर्ड के अधिकारियों के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है। कौशल विकास संचालनालय कर्मचारी संघ के अध्यक्ष रामप्रसाद खनाल का कहना हैं कि बोर्ड के अधिकारी कौशल विकास विभाग पर बोझ बन गए है। कोई भी योजना धरातल पर नहीं उतरती, सिर्फ फिजूलखर्ची की जा रही है। दूसरी तरफ बोर्ड के अधिकारी आईटीआई प्रशिक्षण के कार्य को प्रभावित भी करते हैं।
अगले तीन महीने में नई योजना का वादा
कौशल विकास और रोजगार निर्माण बोर्ड के अध्यक्ष शैलेंद्र शर्मा का कहना हैं कि अगले तीन महीने में नई योजना लॉन्च की जाएगी। शर्मा ने कहा कि हम अगले पांच साल की जरुरत के आधार पर ट्रेनिंग की योजना तैयार कर रहे हैं। युवाओं को स्किल्ड करने और रोजगार देने का काम प्राथमिकता से कर रहा है। केंद्र की इस योजना में मध्यप्रदेश का परफॉर्मेंस दूसरे राज्यों से कहीं बेहतर है।