मांग हो रही थी अशोक नगर का नाम गणेश शंकर विद्यार्थी नगर करने की, अफसरों ने चौराहे से भी उनका नाम हटा दिया

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Dev Shrimali
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मांग हो रही थी अशोक नगर का नाम गणेश शंकर विद्यार्थी नगर करने की, अफसरों ने चौराहे से भी उनका नाम हटा दिया


अशोक नगर. मध्य प्रदेश का अशोकनगर जिला स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान अपनी धारदार पत्रकारिता से अंग्रेजी हुकूमत को परेशान करने और अपना बलिदान देने वाले हिंदी पत्रकारिता के शीर्ष पत्रकारों में शुमार गणेश शंकर विद्यार्थी के लिए भी जाना जाता है। विद्यार्थी जी का अपना बाल्यकाल यहीं बीता बल्कि उनकी प्राथमिक शिक्षा भी यहीं हुई क्योंकि यही पर उनके पिता शिक्षक के रूप में कार्यरत थे। स्वतंत्रता मिलने   के साथ ही इस क्षेत्र नाम गणेश शंकर विद्यार्थी करने की मांग भी उठती रही। यह तो अब तक पूरी नहीं हुई  लेकिन उनके नाम पर एक चौराहा भी बना दिया गया था जो एक तरह से उनके स्मारक का काम करता रहा है लेकिन अब जब सरकार ने शहर को स्मार्ट सिटी बनाने की शुरुआत की  गई तो सबसे पहले प्रहार इस चौराहे पर ही  किया गया। स्मार्ट सिटी के अफसरों ने इस चौराहे पर इमली चौक कर दिया।  इसका पता चलते ही लोग भड़क गए और इस बोर्ड पर कालिख पोत  दी गयी



चल रहा है सौंदर्यीकरण का काम



कुछ वर्ष पहले ही गुना को काटकर बनाये गए अशोकनगर के जिला मुख्यालय पर इन दिनों स्मार्ट सिटी का काम चल रहा है इसके तहत चौराहों के सौंदर्यीकरण का काम चल रहा है। इसी के तहत गणेश शंकर विद्यार्थी चौक का भी सौन्दर्यीकरण का काम हुआ। इसी के तहत स्मार्ट  सिटी अर्बन डेवलपमेंट कंपनी द्वारा कंपनी द्वारा नगर में विभिन्न चौक चौराहों पर साइन बोर्ड लगाए जा रहे है जिसमे  गणेश शंकर विद्यार्थी चौक पर भी बोर्ड लगाया लेकिन वह विद्यार्थी जी के नाम पर नहीं बल्कि  इमली चौक का बोर्ड लगा दिया। इसकी सूचना जैसे ही नगर के लोगों सहित पत्रकारों  और राजनीतिक पार्टियों के प्रतिनिधियों को पता चली तो आनन -फानन में  ही इकट्ठे होकर  गणेश शंकर विद्यार्थी चौक पर पहुंचे और इसका बोर्ड बदलने को लेकर अपना विरोध प्रदर्शन  किया। विरोध प्रदर्शन में सपा नेता कुंर राज यादव  ने इमली चौक के बोर्ड पर कालिख पोत कर अपना विरोध दर्ज कराते हुए कहा कि यह गणेश शंकर विद्यार्थी चौक है और यहाँ  इमली चौक का बोर्ड लगाया गया है जो गलत है। यहां गणेश शंकर विद्यार्थी चौक का बोर्ड लगाया जाना चाहिए। बढ़ते विरोध को देख कम्पनी से जुड़े लोगों ने इसकी सूचना अपने वरिष्ठ प्रबंधन को दी और उनके निर्देश पर तत्काल बोर्ड हटा लिया लेकिन अब अशोकनगर का नाम बदलने की मांग फिर उठने लगी है।


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