खर्राटों ने उड़ाई नींद, 30 साल से रोज सिर्फ दो घंटे सोया; एम्स में कराया इलाज

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Pratibha Rana
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खर्राटों ने उड़ाई नींद, 30 साल से रोज सिर्फ दो घंटे सोया; एम्स में कराया इलाज

Bhopal. भोपाल का एक शख्स खर्राटों की वजह से 30 साल से दो घंटे भी नहीं सो पा रहा था। यहां तक कि उसने बचपन से ही गहरी नींद नहीं ली। उसने अपनी ये समस्या भोपाल के एम्स अस्पताल में डॉक्टरों को बताई। डॉक्टरों ने सर्जरी करके उसका इलाज कर दिया है। अब वो चैन की नींद सो सकेगा।





एम्स में हुआ बीमारी का खुलासा





जानकारी के मुताबिक 38 साल का ये शख्स राजधानी भोपाल के कटारा हिल्स में रहता है। उसे बचपन से ही नींद में सांस अटकने और खर्राटे लेने की बीमारी थी। उन्होंने की अस्पताल में अपना इलाज करवाया लेकिन उसकी ये बीमारी ठीक नहीं हुई। परेशान होकर शख्स, भोपाल के एम्स अस्पताल पहुंचा। वहां पर उसने स्लीप स्टडी लैब में अपनी इस बीमारी के बारे में बताया। इस अस्पताल में जांच के दौरान इस बात को खुलासा हुआ कि शख्स के निचले जबड़े में जन्म से विकार होने के कारण नींद में परेशानी आ रही है। इसके बाद डॉक्टरों ने शख्स के जबड़े की सर्जरी की। एम्स में ये इस शख्स की सर्जरी  15-17 हजार रुपए में हो गई। बताया जा रहा है कि अगर यही सर्जरी बाहर कराते तो इस पर 4 से 5 लाख रुपए का खर्चा होता।





शख्स का करवाया सेफैलोमेट्रिक टेस्ट





अस्पताल में डॉक्टर ने बताया कि शख्स की स्लीप स्टडी की गई। इसमें गंभीर एपनिया, हाइपनिया पाया गया। इलाज के लिए शख्स को स्लीपिंग डिवाइस लगाई गई, लेकिन इससे कोई आराम नहीं मिला। बाद में शख्स की सेफैलोमेट्रिक जांच करवाई गई। इस जांच में पाया गया कि शख्स का निचला जबड़ा विकृत है और इस वजह से उसे ऑब्स्ट्रेक्टिक हाइपनिया है। इसके बाद शख्स की सर्जरी की गई और उसके जबड़े को 1 MM आगे किया गया। अब शख्स को सोते समय ऑक्सीजन पाइप ब्लॉक होने की प्रॉब्लम से आराम मिल गया। 





इसके साथ डॉक्टर ने बताया कि शख्स का निचला जबड़ा अपेक्षाकृत छोटा और पीछे की तरफ ​खिसका हुआ था। इस वजह से उसकी सांस की नली दब रही थी और सांस की नली का मुंह छोटा होने की वजह से सांस लेने में प्रॉब्लम हो रही थी। टेस्ट के बाद शख्स के निचले जबड़े की ऑर्थोगनेथिक सर्जरी की गई और उसे सही जगह पर फिट किया गया। हालांकि सर्जरी के कुछ दिन बाद जब शख्स का स्लीप एपनिया टेस्ट किया गया तो स्कोर 70 प्रतिशत तक कम पाया गया।





क्यों हुई ऐसी बीमारी





डॉक्टर का कहना है कि ये सेंसेशन ऑफ ब्रीदिंग डिसॉर्डर है। इससे मरीज को सोने में समस्या होती है। सोते वक्त ऑक्सीजन की कमी होने लगती है और सोने के एक से डेढ़ घंटे में नींद टूट जाती है।





नॉर्मल नहीं हैं खर्राटे





खर्राटे एक नार्मल समस्या नहीं है। ये स्लीप एपनिया और हाइपनिया जैसी गंभीर बीमारी है। इसमें सोते समय ऑक्सीजन सप्लाई पाइप बाधित होने की वजह से सांस रुकने लगती है।



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