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सीहोर. यहां सोयाबीन की खराब होती फसल को लेकर किसान परेशान हैं, जिसके चलते उन्हें अपनी फसल जानवरों को खिलाना पड़ रहा है। इस फसल के बीमे की मांग काफी दिनों से की जा रही है, तब से न तो कोई अफसर फसल के हालात देखने आया न ही बीमें को लेकर कोई जानकारी मिली। इस ही के विरोध में सीहोर की महिलाओं ने खेतों में प्रदर्शन किए और किसानों ने खराब हो चुकी फसल पर ट्रैक्टर भी चलाया। जिलें के करीब 10 गांवों में हजार एकड़ में सोयाबीन की फसल बर्बाद हो गई है।
कीटों के हमले से फसल हुई बर्बाद
सीहोर के गांव सेवानिया की महिलाओं ने खेत में फसलों के साथ प्रदर्शन किया। प्रदर्शन कर रही महिलाओं में से ही ललिता बाई ने बताया कि उन्होंने इस साल 10,000 रुपए प्रति क्विंटल बीज खरीदा और पैसे उधार लेकर कीटनाशक और उर्वरक भी डाले लेकिन उनके खेत में कुछ भी नहीं है। ग्रामीणों ने आरोप भी लगाया कि इतने दिनों से प्रदर्शन करने के बाद भी कोई अधिकारी खेत को देखने नहीं आया।
सवा तीन लाख हेक्टेयर में सोयाबीन की फसल बर्बाद
जिले के सामाजिक कार्यकर्ता एमएस मेवाड़ा ने सोयाबीन की खेती करने वाले किसानों को पिछले पांच सालों से नुकसान झेलना पड़ रहा है। इससे किसान परेशान हैं, प्राकृतिक आपदाओं के कारण हो रहे नुकासान का मुआवजा नहीं मिल पा रहा है। खरीफ फसलों की बुवाई इस बार समय पर हुई, लेकिन जून-जूलाई में मॉनसूनी बारिश एकदम बंद हो गई, जिस कारण फसल खराब हो गई है। सोयाबीन उत्पादन के मामले में मध्य प्रदेश देश के अग्रणी राज्यों में शामिल है।