मिट्टी की टेस्टिंग करने के लिए स्टाफ ही नहीं, धूल खा रही लैब

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Rahul Sharma
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मिट्टी की टेस्टिंग करने के लिए स्टाफ ही नहीं, धूल खा रही लैब

Bhopal. सद्गुरु जग्गी वासुदेव मिट्टी बचाओ मुहिम (Soil Save Campaign) के अंतर्गत गुरूवार 9 जून को राजधानी भोपाल आ रहे हैं। सेव सॉयल मुहिम के तहत सद्गुरु 100 दिन की मोटर बाइक यात्रा पर निकले हैं। 21 मार्च को लंदन से ये यात्रा शुरू हुई थी, जो गुरूवार को 81वें दिन भोपाल पहुंच रही है। इस अवसर पर भोपाल के लाल परेड ग्राउंड स्थित नेहरू स्टेडियम में कार्यक्रम का आयोजन किया गया है, जिसमें प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान मौजूद रहेंगे। सदगुरू की मुहीम अच्छी है...निश्चित तौर पर मिट्टी बचेगी तब ही मानव जीवन बचेगा, पर मध्यप्रदेश में मिट्टी को बचाने के लिए सरकार और अधिकारी कितने गंभीर है, इसका खुलासा द सूत्र की यह खबर करेगी। दरअसल मिट्टी की जांच के लिए केंद्र सरकार ने ब्लाक या तहसील स्तर पर मिट्टी परीक्षण प्रयोगशाला यानी सॉयल टेस्टिंग लैब खोली, लेकिन किसान तो मिट्टी की जांच कराए बिना ही खेती कर रहे हैं, ऐसा क्यों? दरअसल ब्लाक लेवल पर जो प्रयोगशालाएं खोली गई, वह संचालित ही नहीं हो रही हैै। कारण...इन लैब में मिट्टी की जांच के लिए स्टाफ ही नहीं है तो कई जगह मशीन ही नहीं है। मतलब सिर्फ बिल्डिंग बना दी गई। अब बिल्डिंग के खाली पड़े कमरो में कैसे मिट्टी की जांच होगी यह तो जिम्मेदार ही बता सकते हैं। यानी एक तरह से देखा जाए तो मप्र के चंद किसान ही मिट्टी की जांच करवा रहे हैं.. ज्यादातर तो बगैर जांच करवाएं ही खेती कर रहे हैं। अब जब किसान को मिट्टी की जानकारी ही नहीं मिलेगी तो फिर इसके जैविक तत्वों का पता कैसे चलेगा.. और सद्गुरु जग्गी वासुदेव के जिस मिट्टी बचाओ अभियान से सरकार जुड़ने जा रही है वो केवल औपचारिकता या दिखावा भर नजर आता है।





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क्या थी योजना





स्वाइल हेल्थ कार्ड योजना की शुरूआत 19 फरवरी 2015 को पीएम नरेंद्र मोदी ने राजस्थान के सूरतगढ़ से की। इसके साथ ही हर ब्लॉक में एक मिट्टी परीक्षण लैब स्थापित की जाने की योजना आई। एक लैब के लिए 10-10 लाख रूपए तक आवंटित हुए, पर जमीनी स्तर पर किसानों को इसका लाभ ही नहीं मिल सका। लैब के नाम पर खाली बिल्डिंग है, न तो यहां कोई तकनीकी एक्सपर्ट है और न ही जरूरी उपकरण...जिसे मिट्टी के स्वास्थ्य की जानकारी मिल सके।





मिट्टी के लिए इसलिए जरूरी थी योजना





सॉयल टेस्टिंग से मिट्टी के अंदर नाइट्रोजन, फास्पोरस और पोटेशियम की मात्रा की जांच होती। इसके आधार पर रबी और खरीफ सीजन में बुवाई के लिए किसानों को आवश्यक जानकारी मिलती कि उन्हें पेस्टिसाइड का कितना उपयोग करना है। इससे मिट्टी की गुणवत्ता बनी रहती। कुछ किसान मिट्टी की जांच के लिए लैब तक पहुंचते भी हैं, पर लैब बंद होने से वह मायूस होकर लौट जाते हैं।





जबलपुर में 6 ब्लॉक में लैब बनी, पर स्टाफ नहीं





द सूत्र संवाददाता ओपी नेमा ने जबलपुर उपसंचालक कृषि सुनील निगम से बातचीत की। सुनील निगम ने कहा कि जिले के 6 ब्लॉक मृदा परीक्षण के लिए लैब बन गई हैं, लेकिन वहां स्टाफ की पदस्थापना नहीं हुई है। यह निर्णय ऊपर से होना है। जबलपुर में लैब है।यहां किसान मिट्टी लेकर आते हैं यहां मृदा परीक्षण किया जाता है। कुल मिलाकर जबलपुर के किसान को यदि अपनी मिट्टी का टेस्ट करवाना है तो उन्हें जिला मुख्यालय की लैब ही आना होगा। इसी तरह भोपाल के बैरसिया ब्लॉक की लैब भी बंद है।





इछावर में लटका ताला, जांच के लिए सीहोर ला रहे सेंपल





सीहोर जिले में मिट्टी परीक्षण लैब की हकीकत जानने द सूत्र संवाददाता शिवराज सिंह इछावर पहुंचे। यहां लैब पर ताला लटका मिला। अधिकारी भी नहीं थे। पूछने पर बताया गया कि अधिकारी यहां सिर्फ सप्ताह में एक दिन मंगलवार को आते हैं। लैब में कोई उपकरण मौजूद नहीं है, इसलिए इक्का-दुक्का जो जागरूक किसान है वह मिट्टी के सेंपल को टेस्ट करवाने के लिए सीहोर लकर जाते हैं। कृषि विस्तारक अधिकारी पीके चतुर्वेदी ने कहा कि टेक्नीशियन नहीं है, इसलिए यहां कभी कोई उपकरण आए ही नहीं।





सूबे में 261 लैब का संचालन नहीं, कुछ तो बनी ही नहीं





मध्यप्रदेश में 313 ब्लॉक है, जहां सॉयल टेस्टिंग लैब संचालित होना थी। जिला स्तर पर विभिन्न विभागों द्वारा संचालित लैब को छोड़ भी दें तो सूबे में 261 लैब या तो संचालित नहीं हो रही है या बनी ही नहीं है। स्टाफ की कमी सबसे बड़ा कारण है। 52 जिलों में जिला मुख्यालय पर कृषि विभाग की 24, मंडी बोर्ड की 26, कृषि यूनिवर्सिटी जबलपुर की 19 और पीजी कॉलेज बड़वानी की एक लैब संचालित हो रही है। वर्तमान में सिर्फ इन्ही लैब में टेस्टिंग की व्यवस्था है, ब्लॉक लेवल की लैब तो सालों से बंद ही पड़ी है।





जिम्मेदारों के ये हाल...पता ही नहीं कितनी लैब चालू





मिट्टी परीक्षण को लेकर अधिकारी कितने गंभीर है, इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि उन्हें खुद यह मालूम नहीं कि कितनी लैब अभी चालू है और कितनी बंद। कृषि विभाग में मिट्टी परीक्षण शाखा के प्रभारी बीएम सहारे से जब द सूत्र ने मोबाइल पर बात की तो वह यह नहीं बता सके कि कितनी लैब बंद और कितनी लैब चालू है। बस उन्होंने यह कहा कि जल्द ही स्टाफ नियुक्त कर लैब का चालू करवा रहे हैं।



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