एसडीपीआई का प्रदेश अध्यक्ष जिलाबदर के बाद भी प्रशासन के खिलाफ कर रहा बयानबाजी, सोशल मीडिया में दे रहा चुनौती

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 एसडीपीआई का प्रदेश अध्यक्ष जिलाबदर के बाद भी प्रशासन के खिलाफ कर रहा बयानबाजी, सोशल मीडिया में दे रहा चुनौती

संजय गुप्ता, INDORE. पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) पर हुई छापेमारी के बाद भी इससे जुड़े सदस्य अलग-अलग एक्टिविटी में लगे हुए हैं। इसी संगठन की पॉलीटिकल विंग एसडीपीआई (सोशल डेमोक्रेटिक पॉर्टी आफ इंडिया) के प्रदेशाध्यक्ष अब्दुल रऊफ बेलिम को हाल ही में जिला प्रशासन ने जिलाबदर किया था लेकिन इसके बाद भी उसकी गतिविधियां नहीं थमी है। इंदौर से जिलाबदर होने के बाद वह अन्य शहरों में जाकर मीटिंग कर रहा है। सोशल मीडिया पर इसका वीडियो भी पोस्ट हुआ है। साथ ही पोस्ट में कहा गया है कि- जिलाबदर करके क्या आवाज दबा दोगे?



इन दिनों बेलिम सोशल मीडिया पर काफी चर्चा में है। इंदौर से जिला बदर बेलिम राजगढ़, गुना और अन्य शहरों में एसडीपीआई की मीटिंग ले रहा है। बकायदा मीटिंग की जानकारी सोशल मीडिया पर पोस्ट की जा रही है।





बेलिम का बेटा कर रहा लगातार पोस्ट





दो  सितंबर को राजगढ़ में हुई मीटिंग का वीडियो बेलिम के बेटे अजीज बिलाल ने अपनी फेसबुक पर पोस्ट भी किया। इसमें उसने तंज कसा कि जिलाबदर करके क्या आवाज दबा लेंगे। इसके कई मायने निकाले जा रहे हैं। अन्य शहरों में सक्रिय बेलिम की जानकारी प्रशासन को भी लगी है। इसके बाद उन्होंने फिर से नजर रखना शुरू कर दी। सोशल मीडिया पर पोस्ट वीडियो में बेलिम बैठे नजर आ रहे हैं। उनके पास खड़ा युवक मुस्लिमों पर बेवजह हो रही कार्रवाई का उदाहरण दे रहा है। साथ ही वह कांग्रेस पर भी निशाना साध रहा है। गौरतलब है कि इंदौर में चूड़ी वाले की पिटाई के बाद सेंट्रल कोतवाली थाने का घेराव किया गया था। इसमें एसडीपीआई के पदाधिकारी भी मौजूद थे। आरोप था कि माहौल बिगाड़ने की कोशिश हो रही है।





इंदौर-उज्जैन से गिरफ्तार हुए थे चार सदस्य





हाल ही में पीएफआई द्वारा हुए देशव्यापी छापे के तहत इंदौर और उज्जैन में भी चार सदस्यों को गिरफ्तार किया गया। इसमें इंदौर से तीन और उज्जैन से एक सदस्य शामिल है।





इंदौर-उज्जैन पीएफआई का गढ़ बना!





मध्य प्रदेश में PFI उज्जैन में खासा सक्रिय है। यही वजह है कि बीते कुछ सालों में पीएफआई ने यहां अपनी पैठ बना ली है और कई बार यह संगठन विवादों में भी रहा है। उज्जैन में सबसे पहले 17 फरवरी 2021 को यह संगठन सुर्खियों में उस वक्त आया जब पीएफआई के 15वें स्थापना दिवस पर उज्जैन में जगह-जगह पीएफआई के झंडे फहराए गए, जिससे पुलिस महकमे में हड़कंप मच गया।



 





पूरे शहर में झंडे लगाए गए





पुलिस हरकत में आई और पूरे शहर से झंडों को उतरवाया गया। हालांकि उसी दिन शाम में पुलिस ने पीएफआई को जनसभा करने की परमिशन दे दी! कार्यक्रम के दौरान बीजेपी और संघ से देश को बचाने पर ही जोर दिया गया। इस पर संत और हिंदू संगठनों ने विरोध दर्ज कराया और अगले दिन पुलिस में शिकायत दर्ज कराई।  





हिंदू संगठनों ने जताया विरोध





धार्मिक नगरी उज्जैन में पीएफआई के कार्यक्रम को लेकर हिंदू संगठनों और संत समाज में नाराजगी देखी गई, जिसके बाद पुलिस ने पीएफआई के 6 सदस्यों के खिलाफ मामला दर्ज किया। कार्यक्रम तय शर्तों के अनुरूप नहीं होने पर महाकाल थाने में भी आयोजक के खिलाफ शिकायत दर्ज की गई। आरोप है कि कार्यक्रम के दौरान यूपी में उस वक्त पकड़े गए आतंकियों का भी समर्थन किया गया।





कुर्बानी के नाम पर मांगे रुपये





इसके बाद 23 जुलाई 2021 को फिर से उज्जैन में पीएफआई सुर्खियों में आया जब शहर भर में कुर्बानी के नाम पर 2400 रुपए पीएफआई को देने की अपील वाले पोस्टर लगाए गए थे। खासकर मुस्लिम बहुल इलाकों में ये पोस्टर लगाए गए थे। अखंड हिंदू सेना ने इसका विरोध किया और तत्कालीन एसपी अमरेंद्र सिंह से मामले की जांच की मांग की थी। 



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