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ग्वालियर. गुर्जर प्रतिहार वंश के बलशाली राजा मिहिर भोज की प्रतिमा का स्थापना दिवस मनाने को लेकर एक बार फिर तनाव बढ़ गया है। सम्राट मिहिर भोज को गुर्जर अपने सजातीय मानते हैं और लम्बे समय तक चली मांग के बदले यहाँ एक उनकी एक भव्य प्रतिमा स्थापित की गयी है लेकिन अंचल के क्षत्रिय समाज के लोग मिहिर भोज को क्षत्री मानते है। गुर्जर समाज ने तीस अगस्त को प्रतिमा स्थापना समारोह मनाने की घोषणा की तो क्षत्रिय समाज खुलकर इसके खिलाफ सामने आ गया जिसके चलते एक बार फिर शहर में तनाव बढ़ने के आसार बन गए है।
झांसी रोड तिराहे पर है प्रतिमा
गुर्जर और क्षत्रिय समाज दोनों की ग्वालियर और चम्बल अंचल में बड़ी संख्या है। गुर्जर समाज लम्बे समय से ग्वालियर में गुर्जर प्रतिहार वंश के सम्राट मिहिरभोज की प्रतिमा स्थापना की मांग करता आ रहा था इस मांग को मानते हुए ग्वालियर नगर निगम ने कुछ वर्ष पहले झांसी रोड तिराहे पर एक प्रतिमा की स्थापना की गयी जिसमें गुर्जर सम्राट मिहिर भोज लिखा था इसके बाद क्षत्रिय समाज सक्रीय हुआ और लम्बे समय तक उनके विरोध के चलते प्रतिमा कपडे से ही लिपटी रही और उसका अनावरण नहीं हो सका। क्षत्रिय समाज को आपत्ति थी इसकी नामपट्टिका को लेकर थी। उनका कहना है कि ग्वालियर नगर निगम परिषद ने जब प्रतिमा स्थापना के प्रस्ताव को मंजूरी दी उस इसमें गुर्जर शब्द का उल्लेख नहीं था। विवाद तब तनावपूर्ण रूप ले गया जब कुछ अज्ञात लोगों ने उस नाम पट्टिका को तोड़ दिया जिसके खिलाफ गिरजर समाज सड़कों पर आ गया। लम्बे तनाव के बाद यह मामला कोर्ट में पहुँच गया जहाँ इसका ऐतिहासिक दवा तय होना है।
दोनों मानते हैं कि मिहिरभोज मेरे
दरअसल गुर्जर समाज मानता है कि सम्राट मिहिर भोज उनके थे और वे गुर्जर प्रतिहार वंश के रूप में इतिहास में भी उल्लिखित हैं लेकिन क्षत्रिय राजपूत समाज के लोगों का दावा है कि सम्राट मिहिर भोज परिहार वंश के शासक थे। इसको लेकर अंचल में तनाव भरा विवाद चलता आ रहा है। इसको लेकर एक तरफ जहाँ गुर्जर समाज ने जगह -जगह पंचायतें की थीं वहीं राजपूत समाज भी सम्मेलन कर चुका है.
कोर्ट में पहुंचा मामला
इस मामले को लेकर फिर जिला कोर्ट में एक इस्तगासा दायर किया गया। इसमें दोनों पक्षों की तरफ से अपने -अपने पक्ष के ऐतिहासिक दस्तावेज उपलब्ध कराये जा चुके है लेकिन अभी तक कोई फैसला नहीं हुआ है। हालांकि मामला कोर्ट में जाने के बाद से यह मुद्दा थोड़ा शांत पड़ गया था लेकिन गुर्जर समाज ने 30 सितम्बर को सम्राट मिहिर भोज की प्रतिमा स्थापना दिवस मनाने की घोषणा की तो यह विवाद फिर उभर आया। इससे नाराज क्षत्रिय संगठनों ने आज जिला प्रशासन से भेंट कर एसपी ऑफिस में बैठक की। इसमें उन्होंने कल का आयोजन रद्द करने की मांग की। उनका कहना है कि मामला कोर्ट में लंबित है जब तक कोर्ट तय नहीं करता तब तक किसी को आयोजन न करने दिया जाए। इस आयोजन से शांति व्यवस्था भंग हो सकती है।
क्षत्रिय नेता कौशल सिंह कुशवाह ने बताया कि आज प्रशासन ने हमें बुलाया था जिसका मुद्दा कल होने वाला आयोजन था। मूर्ति स्थापना दिवस पर गुर्जर समाज द्वारा आयोजन करने पर क्षत्रिय समाज द्वारा आपत्ति दर्ज कराई गयी है क्योंकि जितने भी आयोजन होते हैं वह जयंती ,निर्वाण दिवस या विशेष ऐतिहासिक घटना को लेकर होते है परन्तु जो कल का आयोजन है वह एक विवादित मूर्ति की स्थापना को लेकर है। इस तरह के विवादित मुद्दों को अगर भुनाया जाता है तो शहर तनावपूर्ण होगा। कुशवाह का कहना है कि एक जागरूक समाज होने के नाते हमने मांग की कि न्यायालय का निर्णय होने का इंतज़ार करें। तब तक किसी भी विवादित आयोजन या पोस्ट डालने से रोका जाए। समाज ने चेताया भी है।
प्रशासन ने साधी चुप्पी
इस मामले को लेकर फिलहाल पुलिस और प्रशासन ने चुप्पी साध रखी है और गुपचुप तरीके से गुर्जर नेताओं से भी बात कर आयोजन को टालने के प्रयास में जुटा है लेकिन सबके चेहरे पर तनाव है क्योंकि अगर दोनों समाजों में सामंजस्य नहीं बैठा तो मामला चिंताजनक हो सकता है।