गोटमार एक खूनी खेल: छिंदवाड़ा के दो गांव के बीच पथराव,अब तक 20 लोग घायल

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गोटमार एक खूनी खेल: छिंदवाड़ा के दो गांव के बीच पथराव,अब तक 20 लोग घायल

छिंदवाड़ा. मंगलवार सुबह यहां के पांढुर्ना और सावरगांव पक्ष के बीच गोटामार मेला शुरू हो गया। इस मेले के दौरान भारी पुलिस बल की मौजूदगी रही। दोनों पक्ष एक-दूसरे पर पथराव करते है। अभी तक 20 लोग घायल हो चुके हैं। चिकित्सा शिविर भी लगाया गया है। जहां घायलों का इलाज चल रहा है। साथ ही ज्यादा घायल लोगों को अस्पताल में भर्ती कराया गया।

गोफन पर प्रतिबंध लगाया गया

लोगों के मुताबिक प्रशासन ने गोफन पर प्रतिबंध लगया है, लेकिन फिर भी लोग इसका इस्तेमाल कर रहे है। गोफन (एक प्रकार का जाल जिसमें भर हुए छोट-छोटे कंकड पत्थर बांधकर घुमाने से चारों तरफ पत्थर गिरते है और लोगों को चोट लगती है) इस मेले में SP और कलेक्टकर दोनों मौजूद थे।

घायलों की संख्या बढ़ सकती

प्रशासन का मानना है कि शाम तक घायलों की संख्या बढ़ सकती है। एहतियात के लिए भारी-भरकम पुलिस तैनात की है। जानकारी के मुताबिक गोटमारा की वजह से पांढुर्ना में धारा 144 लागू कर दी गई। इससे लोग को कोई फर्क नहीं पड़ा वो फिर भी प्रशासन के सामने खेलते रहे। दोनों गांव के लोग जाम नदी के किनारे ढोल ढमाकों और पत्थरों के बीच जुटते हैं। दोपहर बाद पत्थरों की बारिश बढ़ जाती है। खिलाड़ी कुल्हाड़ी लेकर झंडों को तोड़ने के लिए वहां तक पहुंचने की कोशिश करते हैं। इसे रोकने के लिए साबरगांव के खिलाड़ी उन पर पत्थरों की बारिश कर देते हैं।

झंडा के कटते ही रुक जाती है पत्थरबाजी

शाम को पांर्ढुना पक्ष के खिलाड़ी पूरी ताकत के साथ चंडी माता का जयघोष एवं भगाओ-भगाओ के साथ सावरगांव के पक्ष के व्यक्तियों को पीछे ढकेल देते हैं और झंडे को कुल्हाडी से काट देते हैं। जैसे ही झंडा टूट जाता है। दोनों पक्ष पत्थर मारना बंद करके मेल-मिलाप करते हैं और गाजे-बाजे के साथ चंडी माता के मंदिर में झंडे को ले जाते हैं।

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