भोपाल सेंट्रल लाइब्रेरी पर पत्थरबाजीः मैदान पर कब्जे के लिए बच्चों को बनाया पत्थरबाज

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भोपाल सेंट्रल लाइब्रेरी पर पत्थरबाजीः मैदान पर कब्जे के लिए बच्चों को बनाया पत्थरबाज

भोपाल। राजधानी की एक बड़ी लाइब्रेरी (Library) में पढ़ने आने वाले स्टूडेंट (Student) इन दिनों कश्मीर (Kashmir) की तर्ज पर होने वाली पत्थरबाजी (Stone Pelting) से परेशान हैं। इसे पढ़कर आपके जेहन में सवाल खड़ा हो सकता है कि भोपाल (Bhopal) में कश्मीर जैसी पत्थरबाजी? क्यों, कैसे..वहां तो अलगाववादी (Sepratists) उपद्रवी तत्व ऐसा करते हैं। आतंकवाद (Terrorism) के खिलाफ सेना (Army) और पुलिस (Police) की कार्रवाई का विरोध करने के लिए लेकिन भोपाल में वैसी पत्थरबाजी (Stone Pelting) कैसे संभव है। चौंकिए नहीं यह हकीकत है। यहां होने वाली पत्थरबाजी का मकसद कोई अलगाववाद (Separatism) नहीं बल्कि लाइब्रेरी में पढ़ने आने वाले छात्र-छात्राओं की पढ़ाई में खलल डालना है। इसके लिए उपद्रवी तत्व बच्चों का सहारा लेते हैं। वे लाइब्रेरी पर पत्थर फेंकते हैं। शिकायत होने पर जब तक पुलिस पहुंचती है, आरोपी बच्चे वहां से नौ-दो-ग्यारह हो जाते हैं। आइए आपको बताते हैं कि असामाजिक तत्व पत्थर कैसे और क्यों फिकवाते हैं, इसके पीछे क्या है उनका मकसद।

पुलिस के आने पर भाग जाते हैं पत्थरबाज

करीब 113 साल पुरानी हैरिटेज इमारत में भोपाल की सबसे बड़ी सेंट्रल लाइब्रेरी (Central Library Bhopal) संचालित हो रही है। इसमें पढ़ने वाले ज्यादातर स्टूडेंट्स UPSC, MPPSC और अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करते हैं। लाइब्रेरी में पत्थरबाज रोजाना पत्थर फेंकते हैं। इससे लाइब्रेरी में पढ़ने वाले स्टूडेंट्स परेशान है। वहीं, पत्थरबाजी से हैरिटेज इमारत को भी नुकसान पहुंच रहा है। लाइब्रेरी मैनेजमेंट ने कई बार पुलिस-प्रशासन को पत्थरबाजी की शिकायत की। जब तक पुलिस मौके पर पहुंचती है, आरोपी उससे पहले ही गायब हो जाते हैं।

असामाजिक तत्वों के कारण ही शिफ्ट करना पड़ा था MLB कॉलेज

जिम्मेदार अधिकारियों का कहना है कि ये पत्थरबाज लाइब्रेरी के आसपास के मोहल्लों में रहने वाले बच्चे और किशोर हैं। उन्हें ऐसा ना करने के लिए कई बार समझाइश भी दी जा चुकी है, लेकिन वे अपनी नापाक हरकतों से बाज नहीं आ रहे। अफसरों का अनुमान है कि इस करतूत के लिए बच्चों को मोहरा बनाया जा रहा है। दरअसल, इसके पीछे वे असामाजिक तत्व हैं, जो नहीं चाहते कि यहां सेंट्रल लाइब्रेरी चले। कुछ साल पहले असामाजिक तत्वों के कारण ही पुराने शहर के बुधवारा इलाके में संचालित होने वाले महारानी लक्ष्मी बाई गर्ल्स कॉलेज (MLB Girls College)  को वहां से हटाकर नए भोपाल में लगने वाले हमीदिया कॉलेज की बिल्डिंग में ट्रांसफर किया गया था।

लाइब्रेरी के मैदान पर कब्जा जमाना चाहते हैं पशु व्यापारी

सेंट्रल लाइब्रेरी के मैदान में कुछ साल पहले तक पशु मेला लगा करता था, लेकिन जबसे इसकी बाउंड्री वॉल बनी, मेला बंद हो गया। कोरोना आपदा के दौरान लगे लॉकडाउन (Lockdown) के दौरान जब लाइब्रेरी बंद थी तो पशु व्यापारियों ने एक बार फिर इस मैदान पर कब्जा जमा लिया। इस जगह पर दोबारा पशु मेला लगना शुरू हो गया। प्रशासन ने दखल देकर दोबारा इस मेले को बंद कराया। यह जमीन सेंट्रल लाइब्रेरी मैनेजमेंट के पजेशन में होने से पशु व्यापारी इस पर मेला नहीं लगा पाते। बकरा-बकरी और अन्य पशु बेचने और खरीदने वाले इस मैदान पर कब्जा करना चाहते हैं, लिहाजा बच्चों की आड़ लेकर पत्थरबाजी का सहारा लिया जा रहा है।

लाइब्रेरी में रोजाना करीब 500 स्टूडेंट करते हैं पढ़ाई

सेंट्रल लाइब्रेरी के आसपास के मोहल्लों में ज्यादातर एक समुदाय विशेष के लोग रहते हैं। इनमें से अधिकांश के बच्चों की पढ़ाई-लिखाई में ज्यादा रुचि नहीं होती। लिहाजा इनका ज्यादा समय खेल-कूद और हुड़दंगबाजी में बीतता है। लाइब्रेरी की मैनेजर वंदना शर्मा बताती है कि बच्चे लाइब्रेरी कैंपस के मैदान में खेलना चाहते हैं, लेकिन उन्हें पता है कि ये संभव नहीं है। इसलिए वो रोजाना पीछे नाले की दीवार पर खड़े होकर लाइब्रेरी पर पत्थरबाजी कर यहां पढ़ने आने वाले छात्र-छात्राओं को डिस्टर्ब करने का प्रयास करते रहते हैं।

सेंट्रल लाइब्रेरी में तीन बड़े हॉल है, जहां एक साथ 500 स्टूडेंट्स बैठकर प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए पढ़ाई करते हैं। शहर में इस ऐतिहासिक  लाइब्रेरी के करीब नौ हजार मेंमर्स है, जो यहां के शांत माहौल में एकाग्रता से पढ़ाई करने के लिए यहां आना पसंद करते हैं। यहां उन्हें समय-समय पर सब्जेक्ट एक्सपर्ट और विशेषज्ञों की मदद से विशेष गाइडेंस भी उपलब्ध कराया जाता है।  

पत्थरबाजी के लिए बच्चों की आड़, बेबस जिम्मेदार

लाइब्रेरी के स्टूडेंट्स और स्थानीय पुलिस कई बार पत्थरबाजी करने वाले बच्चों को पकड़कर समझाइश दे चुकी हैं। लेकिन वे नहीं मानते और नाबालिग होने की वजह से उनके खिलाफ कोई कड़ी कार्रवाई नहीं हो पाती। सूत्रों का कहना है कि पुलिस-प्रशासन  इसी बेबसी का फायदा इन बच्चों के पीछे सक्रिय रहने वाले असामाजिक तत्व उठा रहे हैं। बच्चों का सहारा लेकर यहां के माहौल को खराब किया जा रहा है। इसका खामियाजा लाइब्रेरी प्रबंधन और स्टूडेंट्स भुगतने को मजबूर हैं।

सख्ती से कार्रवाई होनी चाहिए- पूर्व गृहमंत्री

पूर्व गृहमंत्री उमाशंकर गुप्ता (Umashankar Gupta) ने बताया कि मुझे लगता है ऐसी घटनाओं के खिलाफ सख्ती से कार्रवाई की जानी चाहिए। कुछ असामाजिक तत्व माहौल बिगाड़ने की कोशिश करते हैं। प्रशासन को गंभीरता से इस मामले को लेना चाहिए। उस स्थान पर कई बार कब्जा करने की कोशिश की गई है। कश्मीर में भी ऐसे ही शिकायत रही है कि बच्चे पत्थरबाजी करते हैं। लेकिन बच्चे एकाध बार ऐसी घटना कर सकते हैं लेकिन लगातार कर रहे हैं तो जरूर कोई साजिश होगी। 

ऐसा मामला संज्ञान में नहीं आया- ASP

भोपाल के जोन-3 के ASP रामसनेही मिश्रा ने बताया कि ऐसा मामला संज्ञान में नहीं आया है पुलिस को किसी भी संस्था ने शिकायत नहीं की है, आपने जानकारी दी है हम तस्दीक करा लेंगे।

MP में खाद की किल्लत नहीं

खाद की किल्लत पर कमल पटेल ने सफाई देते हुए कहा कि प्रदेश में खाद (Fertilizer) को लेकर किसी तरह की कोई कमी नहीं है। उन्होंने कहा कि सरकार किसानों को खाद उपलब्ध कराने का काम कर रही है। कमल पटेल ने कहा कि हमारी प्रदेश सरकार और केंद्र सरकार ने मिलकर किसानों को आधे रेट में यानी 1200 रुपए में खाद की बोरी उपलब्ध करा रही है।

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