सरकारी वादों की खुली पोल : मप्र में नहीं बन सकी गौशालाएं, आवारा पशु अभी भी सड़कों पर

author-image
एडिट
New Update
सरकारी वादों की खुली पोल : मप्र में नहीं बन सकी गौशालाएं, आवारा पशु अभी भी सड़कों पर

मप्र देश का पहला राज्य है जहां गौ कैबिनेट का गठन हुआ है, कैबिनेट में पांच विभागों के मंत्री शामिल है। बावजूद इसके बारिश के मौसम में आवारा पशु सड़कों पर नजर आ रहे हैं। टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक 2012 से 2019 के बीच मप्र में आवारा पशुओं की संख्या में 95 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। इन आवारा पशुओं के प्रबंधन के कोई इंतजाम नहीं है।

बारिश में सड़कों पर आते हैं आवारा पशु

आवारा पशुओं की वजह से हाइवे पर कई दुर्घटनाएं होती है। बारिश के मौसम में हादसों की संख्या में इजाफा होता है। सबसे बड़ा जोखिम रात के वक्त होता है। हाईवे किनारे बसे गांवों के ये पशु होते है जो बारिश की वजह से सड़कों पर आ जाते हैं। इनमें गायों की संख्या सबसे ज्यादा है। 

आठ लाख से ज्यादा गाय सिर्फ एमपी में

केंद्रीय पशुपालन और डेयरी मंत्रालय की तरफ से जनवरी 2020 में आंकड़ें जारी किए गए थे। इसके मुताबिक भारत में 50 लाख आवारा पशु है और इनमें से 8 लाख 53 हजार 971 सिर्फ मध्यप्रदेश में है। 

गौशाला बनाने का वादा भी अधूरा

मप्र सरकार के मंत्री प्रेमसिंह पटेल के मुताबिक सरकार 3,300 गौशालाओं का निर्माण करवा रही है। हकीकत में ये कहीं नजर नहीं आ रही। 2018 में मप्र की कमलनाथ सरकार ने 1 हजार गौशालाओं का निर्माण करने का ऐलान किया था लेकिन वो भी पूरा नहीं हो पाया।  

गायों को लेकर होती है सियासत

गायों को लेकर मप्र में अक्सर सियासत देखने को मिलती है। बीजेपी गायों के संरक्षण के दावे करती है और कांग्रेस बीजेपी के दावों को झूठा करार देती है। दोनों ही दल एक दूसरे पर निशाना साधने से नहीं चूकते लेकिन हकीकत ये है कि इस सियासत के बीच आज भी गायें सड़कों पर है।

Madhya Pradesh Highway Accident Stray cattle
Advertisment