संजय गुप्ता, INDORE. मेट्रो प्रोजेक्ट को लेकर आपत्तियां उठाने और सख्ती दिखाने के बाद आखिरकार मेट्रो प्रोजेक्ट के एमडी आईएएस निकुंज श्रीवास्तव बुधवार (19 अक्टूबर) को पूर्व स्पीकर सुमित्रा महाजन से मिलने के लिए इंदौर पहुंचे। पहले उन्होंने प्रोजेक्ट की कुछ साइट विजिट की और फिर वह निगमायुक्त प्रतिभा पाल के साथ महाजन के घर पर मुलाकात के लिए पहुंचे। महाजन ने मुलाकात करते ही साफ दो टूक कह दिया कि यदि एमजी रोड को लेकर कोई बात करने आए हैं, तो माफ करना मैं इस पर कोई समझौता नहीं करूंगी। इस पर श्रीवास्तव ने कहा कि पूर्व में जनप्रतिनिधियों, विधायकों के साथ बैठक कर ही यह फैसला लिया गया था।
सुभाष मार्ग क्यों नहीं
इस पर महाजन और भड़क गई और कहा कि विधायक केवल अपने-अपने क्षेत्रों की सोचते हैं, वह पूरे इंदौर की नहीं सोचते हैं। समग्र रूप से हमे इंदौर की और आगे 10-20 सालों के हिसाब से बात करना चाहिए, लेकिन वह नहीं होती है। महाजन ने साफ कहा कि एमजी रोड के समानांतर सुभाष मार्ग है, यहां से क्यों नहीं मेट्रो लेकर जाते हो? इस पर श्रीवास्तव ने कहा कि मैं फिर जल्द इंदौर आता हूं और फिर सभी जनप्रतिनिधियों के साथ बैठक कर इस पर आगे बढेंगे।
राजवाड़ा, गांधी हॉल को लेकर भी जताई चिंता
महाजन ने यह भी कहा कि अभी शासन ने करोड़ों रुपए लगाकर गांधी हॉल का पुनर्निमाण किया है। अब वहां पास से मेट्रो ले जाना चाहते हो, क्यों इस खतरे में डाल रहे हो। इसी तरह राजवाड़ा का पुननिर्माण हो रहा है, वहां जगह ही नहीं है, पास से मेट्रो एलिवेटेट कॉरिडोर से गुजारोगे, उसके कंपन से पूरी इमारत को खतरा पैदा होगा। यह सब भी तो सोचना चाहिए।
यह है पूरा मसला
मेट्रो प्रोजेक्ट को लेकर कुछ बुद्धिजीवियों द्वारा उन्हें इसकी समस्या बताई गई तब महाजन ने खुद कुछ जगह घूमकर प्रोजेक्ट को समझा। इसके बाद पता चला कि एमजी रोड पर एलिवेटड कॉरिडोर कर बड़ा गणपति तक इसे शहर के बीच में से निकाला जाएगा। इसमें रीगल तिराहे के आगे शास्त्री ब्रिज और गांधी हॉल के बीच से निकालेंगे और राजवाड़ा पर भी निकालेंगे, इसमें पिलर की ऊंचाई और राजवाड़ा की ऊंचाई लगभग बराबर होगी और मेट्रो ट्रैक से राजवाड़ा सटा हुआ रहेगा। ऐसे में कंपन से खतरा होगा। इसके बाद महाजन ने श्रीवास्तव को चिट्ठी लिखकर आपत्ति ली थी। इस पर 14 अक्टूबर को तकनीकी टीम के अधिकारी मिले थे, लेकिन उनके पास भी महाजन के सवालों के जवाब नहीं थे। इसके बाद श्रीवास्तव यहां आए थे।
यह बोलते हैं विशेषज्ञ
इस मामले में आर्किटेक्ट हिमांशु दूधवडकर ने द सूत्र से चर्चा करते हुए बताया कि यह शहर के लिए बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि अभी तक मेट्रो की पूरी डीपीआर ही सामने नहीं आ रही है, जबकि दिल्ली जैसे शहर में पूरे प्रोजेक्ट रिपोर्ट सार्वजनिक हुई और मेट्रो लाते समय ही बता दिया कि पांच साल बाद मेट्रो का पिलर कहां पर होगा और कैसे विकास होगा। पहले एमजी रोड से बडा गणपति तक का ट्रैक अंडरग्राउंड ही था लेकिन बाद में इसे एलिवेटेड कर दिया गया। वहां जगह ही नहीं है, कैसे ले जाएंगे. फिर स्टेशन कैसे बनेंगे और यात्री कहां से आएंगे और जाएंगे, आसपास तो सघन बसाहट है।
देर-सबेर नुकसान तय
राजवाड़ा और गांधी हाल से लगकर मेट्रो निकलेगी तो कंपन से देर-सबेर नुकसान होना तय है। फिर अभी राजवाड़ा पर ट्रैफिक के यह हाल हैं तो वहां पिलर लगाकर सड़क ही नहीं बचेगी तो कहां से वाहन निकालेंगे, पिलर में ही आठ-नौ फीट जगह जाएगी। मेट्रो ले जाने के लिए जीएसआईटीएस के पास वाला रास्ता, सुभाष मार्ग कई जगह बन सकती है, लेकिन इस पर कोई गौर ही नहीं किया गया है, इसकी सबसे बडी वजह है कि मेट्रो प्रोजेक्ट में लगातार अधिकारी बदल रहे है और इंदौर को समझने वाला कोई नहीं है और ना ही इंदौर के जानकारों को किसी भी टीम में लिया गया है, इसके चलते पूरे प्रोजेक्ट में कुछ भी किया जा रहा है।