संजय गुप्ता, indore. लंबे समय से राजनीति से दूर रह रहीं पूर्व स्पीकर सुमित्रा महाजन इज बैक। जी हां इंदौर की राजनीतिक गलियारों में अब यही चर्चा चल रही है। 7 और 8 सितंबर को जिस तरह मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने हैलीकॉप्टर भेजकर पहले उन्हें भोपाल मिलने बुलाया और फिर उतने ही आदर के साथ विशेष विमान से वापस इंदौर पहुंचाया, उसका असर दिखने लगा है। सीएम से मिलकर आने के बाद ताई लंबे समय बाद सीएम के कार्यक्रम में पहुंची और 11 सितंबर को मोदी पर लिखी बुक के विमोचन मौके पर मंच पर भी विराजी। साथ ही जिन तीन अतिथियों को मंच से बोलने का मौका मिला, इसमें सीएम औऱ कृष्णमुरारी मोघे के बाद वहीं थी। इसके पहले भी सीएम 11 अगस्त, 27 अगस्त औऱ 4 सितंबर को इंदौर आए थे लेकिन इन सभी मौकों पर ताई नदारद थी।
अधिकारियों को भी महीनों बाद बुलाया
ताई ने महीनों से अधिकारियों के साथ कोई बैठक नहीं की है, लेकिन सोमवार सुबह अचानक संदेश आया कि वह स्मार्ट सिटी के तहत राजवाड़ा में गोपाल मंदिर के चल रहे काम को देखने के लिए आएंगी। मौके पर कलेक्टर मनीष सिंह, निगमायुक्त प्रतिभा पाल के साथ स्मार्ट सिटी सीईओ ऋषभ गुप्ता को भी बुलाया गया। सभी जगह संदेश पहुंच गया कि ताई दोपहर 12 बजे आ रही है, सभी आ जाओ। हालांकि फिर बीजेपी प्रवक्ता उमेश शर्मा की अंतिम यात्रा के चलते ताई ने यह कार्यक्रम टाल दिया और वह गोपाल मंदिर नहीं जाकर सीधे उमेश शर्मा के अंतिम दर्शन के लिए उनके निवास स्थल चली गई। यहां बीजेपी राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय, कृष्णमुरारी मोघे, सत्यनारायण सत्तन जैसे कई नेताओं को जमावड़ा था।
उनसे संतुलन में आती है इंदौर की राजनीति
ताई के राजनीति से दूर होने के बाद और खासकर निगम चुनाव के दौर से ही इंदौर की राजनीति में भाई गुट (विजयवर्गीय) एकदम से ऊपर आया है, जिस तरह से महापौर उनके गुट के माने जा रहे हैं, उनके लिए प्रचार किया, फिर शहरी सरकार यानि एमआईसी उनकी पसंद से बनी यहां तक कि विभाग भी मनपसंद वाले मिले, इससे इन्हीं बातों के संकेत जाते हैं। फिर बंगाल प्रभार से मुक्त होने के बाद अब वह पूरी तरह से इंदौर की राजनीति में सक्रिय हो गए हैं। इतना ही नहीं, इसके साथ केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया, प्रदेशाध्यक्ष वीडी शर्मा का उनसे मिलना और आत्मीयता दिखाना बताता है कि कुछ तो खिचड़ी पक रही है। वहीं सीएम को भी यही भान है कि यह गठजोड़ उन्हें प्रभावित कर सकता है। ऐसे में एकमात्र ताई ही है जो फिर से गुटीय संतुलन साध सकती है।
उनके सक्रिय होने से यह भी होंगे साथ
ताई के सक्रिय होने से उनके पुराने गुट के सभी साथी सुदर्शन गुप्ता, मालिनी गौड़, शंकर लालवानी आदि भी उनके साथ जुटेंगे और शायद सीएम यही संदेश देना चाहते हैं। वहीं इंदौर में मंत्री तुलसी सिलावट और लालवानी को भी खड़ा किया जा सकता था लेकिन समस्या है कि मंत्री सिलावट सिंधिया को क्रास कभी नहीं कर सकते हैं, उनकी राजनीति उन्हीं से शुरू और वहीं खत्म होती है, रही बात लालवानी की तो पूरे कोविड दौर में सांसद को खूब बढ़ावा दिया गया लेकिन वह इतने सक्षम नहीं हुए कि खुद का गुट बना लें, इसके चलते अब सीएम को भी बदलते दौर में फिर से ताई की याद आई है।