देव श्रीमाली,ग्वालियर. ग्वालियर अंचल में मानसून लुकाछिपी का खेल खेल रहा है। अभी तक औसत से काम बरसात हुई है और नतीजा ये है कि इससे किसान तो चिंतित हैं ही गर्मी और उमस ने आम लोगों का जीवन भी मुहाल कर दिया है। लोगों को मानसून में भी भीषण गर्मी का शिकार होना पड़ रहा है। बुधवार को ग्वालियर में गर्मी का पारा 37 डिग्री सेल्सियस से ऊपर रहा और गुरूवार को दस बजे ही पारा 34 डिग्री सेल्सियस से ऊपर निकल चुका था। मानसून की गर्मी सूखी नहीं होती बल्कि उमस भरी होती है इसका सबसे बुरा असर लोगों की स्किन पर पड़ रहा है और इस समय सरकारी अस्पताल हो या प्राइवेट सभी जगह बड़ी संख्या में स्किन रोगी उपचार कराने पहुँच रहे हैं।
ओपीडी में मरीज हुए दुगने
उमस बढ़ने से स्किन रोगी मरीजों की संख्या में जबरदस्त इज़ाफ़ा हुआ है। अगर सरकारी अस्पताल के आंकड़ों पर ही निगाह डालें तो अब मेडिसिन के बाद सबसे ज्यादा मरीज ओपीडी में स्किन संबंधी बीमारियों के ही पहुँच रहे हैं। जयारोग्य चिकित्सालय की ओपीडी की ही बात करें तो 21 रोगों की ओपीडी में कुल लगभग ढाई हजार मरीज रोज दिखाने पहुंचते हैं। मंगलवार को इनमे से लगभग चार सौ पेसेंट अकेले चर्म रोगों के थे। डॉक्टर्स का कहना है बीते एक पखबाड़े से बरसात के गायब होने और उमस बढ़ने से लगभग इतने ही मरीज रोज ओपीडी में पहुँच रहे हैं। उनका दावा है की यह संख्या दुगनी से भी ज्यादा है। सामान्य दिनों में स्किन सम्बन्धी रोगो को दिखाने बमुश्किल डेढ़ सौ से दो सौ मरीज औसतन ओपीडी में आते है।
क्या है इसकी वजह
.गजराराजा मेडिकल कॉलेज के स्किन डिसीज स्पेशलिस्ट डॉ अनुभव गर्ग का कहना है कि यह पहली बार है जब बरसात में स्किन सम्बन्धी रोगों से ग्रसित मरीजों की संख्या दुगनी से भी ज्यादा बढ़ गयी हैं। इसकी मूल वजह मानसून का ठीक से सक्रिय न होना है। डॉ गर्ग का कहना है कि इस बार ग्वालियर में मानसून अस्थिर स्थिति में रहा है इस वजह से मौसम में उमस भरी गर्मी और अत्यधिक आद्रता है। इसके कारण जो लगातार उमस हो रही है उससे लोगों को ज्यादातर पसीने में सराबोर रहना पड़ रहा है। लोगों की स्किन उसे सहन नहीं कर पा रही है और वे फंगल इंफेक्शन के शिकार हो रहे हैं। इस समय ओपीडी में पहुँच रहे ज्यादातर मरीज फंगल इंफेक्शन वाले ही है।
कैसे करें इससे बचाव
फंगल इंफेक्शन से बचने के कुछ उपाय स्किन रोग विशेषज्ञों ने बताये है जिन्हे यदि ऐतिहातन अपनाया जाए तो इससे बचाव हो सकता है। डॉक्टर्स का कहना है कि उमस के मौसम में लोगों को टाइट कपडे पहनने से बचना चाहिए और स्त्री हो या पुरुष दोनों को अपने अंडर गारमेंट्स को दिन में कम से कम दो बार बदलना ही चाहिए तथा पहनने से पहले यह सुनिश्चित करना चाहिए कि वे अच्छी तरह सूखे हों ,उनमें नमी न हो। गीले कपडे बिलकुल भी नहीं पहनना चाहिए क्योंकि उमस में गीले कपड़े पहनने पर ही स्किन को फंगस अपने कब्जे में लेकर तेजी से फैलाव करती है।
9 सितंबर से बदल सकता है मौसम का मिज़ाज़
ग्वालियर में 47 दिनों के बाद पारा 37 डिग्री रिकॉर्ड किया गया। इस दिन न्यूनतम तापमान भी 25.2 डिसे रहा। ऐसा ही हाल 2020 सितंबर में भी हुआ था क्योंकि तब भी बरसात नहीं हुई थी मौसम विभाग अभी भी आशान्वित है। मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार बंगाल की खाड़ी में सिस्टम बनने के कारण दस सितंबर को यहां हल्की बरसात हो सकती है ग्वालियर - चंबल अंचल में दस से बारह सितंबर तक हलकी से माध्यम बारिस हो सकती है।