संजय गुप्ता, INDORE. वसूलीबाज और गदर मचाने वाले क्राइम ब्रांच के टीआई धनेंद्र सिंह भदौरिया को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के आदेश के बाद नौ अक्टूबर को सस्पेंड कर रक्षित केंद्र (लूपलाइन) इंदौर में ट्रांसफर किया गया था लेकिन अब आठ दिन बाद पुलिस मुख्यालय भोपाल ने उन्हें अब इंदौर से ही बाहर कर दिया गया है। नए ट्रांसफर आदेश में उन्हें इंदौर के रक्षित केंद्र से उज्जैन के रक्षित केंद्र में ट्रांसफर कर दिया गया है। बताया जा रहा है कि सामान्य तौर यह नहीं होता है, विभागीय जांच के दौरान रक्षित केंद्र में टीआई को रखा जाता है और जांच के बाद आगे कार्रवाई होती है। लेकिन टीआई भदौरिया के किस्सों के कारण अब उन्हें इंदौर से जिले ही बाहर किया गया है, ताकि वह किसी भी रूप में विभागीय जांच को प्रभावित नहीं कर सकें।
प्रांरभिक जांच में मिले दोषी
सात दिन पहले भदौरिया की शिकायतों को लेकर एडिशनल डीसीपी गुरूप्रसाद पाराशर द्वारा की गई प्रारंभिक जांच रिपोर्ट में उनपर लगे आरोपों को सही पाया गया है। उन पर अभद्रता करने और वसूली करने के आरोप प्रारंभिक तौर पर सही पाए गए हैं। बताया जा रहा है कि पाराशर ने जांच रिपोर्ट डीसीपी क्राइम ब्रांच को सौंप दी है। अब इस मामले में आरोप पत्र बनाकर भदौरिया को दिया जाएगा और विभागीय जांच होगी।
यह है मामला
आठ अक्टूबर को कानून व्यवस्था के मामले में समीक्षा बैठक करते समय मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इंदौर के एक टीआई की बात कहते हुए कहा कि- उन्हें लेकर शिकायत आई है, इस तरह किसी टीआई को गदर मचाने की छूट नहीं दे सकते हैं, वसूलीबाज टीआई को लेकर सख्त कार्रवाई की जाए। सीएम की सख्ती के बाद ताबड़तोड़ नौ अक्टूबर को भदौरिया को क्राइम ब्रांच ने सस्पेंड कर रक्षित केंद्र इंदौर अटैच कर दिया था। इसमें खुलासा हुआ कि भदौरिया की शिकायत सीएम से सीधे सांसद शंकर लालवानी ने की थी। इसमें बताया था कि किस तरह प्लॉट को लेकर उद्योगपति को परेशान किया जा रहा है, साथ ही उनके रिश्तेदार गोविंद चावला को प्रताड़ित किया जा रहा है और भी ऐसी कई शिकायतें हैं।
शिकायतें आती रही लेकिन कार्रवाई से कतराते रहे अधिकारी
भदौरिया ने दतिया से इंदौर आने के बाद विजयनगर, बाणगंगा, लसूडिया जैसे थानों में जाने के लिए जोर मारा, लेकिन इन जगहों पर पहुंचे टीआई की अधिक एप्रोच औऱ् मंत्रियों, जनप्रतिनिधियों से प्रगाढ़ता के चलते क्राइम ब्रांच टीआई बनाया गया। लेकिन आते ही भदौरिया ने गदर मचा दी, धोखाधड़ी की धारा का जमकर उपयोग किया और बिना सीनियर अधिकारियों से मंजूरी लिए ताबड़तोड केस किए, थाने में बुलाकर धमकी देना शुरू किया। कई शिकायतें पहुंची। यहां तक डीसीपी अग्रवाल के साथ भी दुर्व्यवहार किया। हिम्मत कर एक जुलाई 2022 को हिंगणकर ने लाइन अटैच के आदेश दिए और पाराशर को जांच के लिए कहा, लेकिन मजाल की जांच शुरू होती। भदौरिया थाने से हिले भी नहीं और सात दिन बाद वापस बहाल हो गए।