REWA. विंध्य क्षेत्र के सबसे चिकित्सालय की सुविधायें वेंटिलेटर में हैं। यहां मरीजों को न तो स्ट्रेचर मिल पा रहा है ना ही व्हील चेयर। यही नहीं एक ओर सुविधाएं नहीं मिल पा रही हैं दूसरी ओर स्ट्रेचर और व्हीलचेयर बड़ी मात्रा में कबाड़ हो रहे हैं। आलम यह है कि मरीजों को उनके परिजन कंधों में लाद के ले जा रहे हैं। यह बात संजय गांधी स्मृति चिकित्सालय और गांधी चिकित्सालय की है।दोनों ही अस्पतालों में न केवल रीवा जिले के बल्कि सीधी, सतना, सिंगरौली, उमरिया और पन्ना से रेफ़रल मरीज आते हैं। इन मरीजों को अस्पताल पहुँचते ही असुविधाओं से जूझना पड़ता है। इनमें भी सबसे प्रमुख स्ट्रेचर और व्हीलचेयर की है। बताते हैं कि यह सुविधा लेने से पहले आधार कार्ड या अन्य परिचय पत्र जमा करना होता है लेकिन सुविधा मिलेगी यह गारन्टी नहीं।
कमी का बहाना, कबाड़ हो रहे स्ट्रेचर
वार्डों में भर्ती मरीजों के लिए कोई ऐसी व्यवस्था नहीं है कि उन्हें आसानी से स्ट्रेचर या व्हील चेयर उपलब्ध होहमेशा इसकी कमी बताई जाती है। जबकि हकीकत यह है कि बड़ी संख्या में स्ट्रेचर, व्हील चेयर सहित मरीजों के उपयोग में आने वाले सामान कबाड़ की तरह अस्पताल में पड़े हैं। यही स्थिति फर्नीचर की भी है।
दान वाले भी कबाड़ में रख दिये
अस्पताल में आए दिन मरीजों की सुविधा के लिए विभिन्न समाजसेवी संगठनों उपयोगी सामग्री दान में दी जाती है लेकिन इसका रखरखाव सही तरीके से नहीं होता। यही वजह है कि अस्पताल में कई स्ट्रेचर और व्हीलचेयर स्टोर रूम में कबाड़ के रूप में रखे हुए हैं। यदि इनकी मरम्मत करा दी जाए तो इनका उपयोग हो सकता है।