कल भारत का स्वंतत्रता दिवस (Independence day) हैं। इस दिन पर हम अपने वीर सेनानियों को याद करेंगे, जिन्होंने भारत की आजादी के लिए अपने जान दे दी। इन्हीं में से एक थे बैतूल के सेनानी द्वारका प्रसाद वर्मा। इन्होंने भारत की आजादी में अपना अहम योग्यदान (Contribution) दिया, लेकिन उन्हें और उनकी पत्नी को पेंशन (pension) के लिए दर-दर भटकना पड़ा। पेंशन ना मिलने पर वर्मा ने 2002 में आत्मदाह (self-immolation) कर लिया था। वर्मा की पत्नी आज दूसरों के मवेशियों (Animal) को चराकर अपना पेट भर रही हैं।
बेटों ने भी साथ छोड़ा
सेनानी वर्मा ने आजादी के बाद पेंशन के लिए कई जगह भटके। उन्होंने अधिकारी से लेकर मंत्री तक हर किसी से अपनी परेशानी साझा की। सबने उन्हें यहीं आश्वासन दिया कि पेंशन मिल जाएगी, पर ऐसा हुआ नहीं। 2002 में पेंशन ने मिलने ना की वजह वर्मा ने आत्मदाह कर लिया। और पीछे छोड़ गए अपनी पत्नी को जो आज दर-दर भटक रही है। उनकी हालत इतनी खराब है कि उन्हें दूसरी की मवेशियों को चराना पड़ रहा है। दोनों बेटों ने उनसे मुंह मोड़ लिया। पत्नी आज भी पेंशन के इंतजार में है।
प्रशस्ति पत्र पूर्व मुख्यमंत्री ने दिया
पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने वर्मा को प्रशस्ति पत्र दिया था। साथ ही बस का फ्री पास भी। लेकिन किसी ने भी पेंशन के लिए मदद नहीं की। हर राष्ट्रीय पर्व पर उन्हें बुलाया जाता था, लेकिन किसी ने भी उन्हें पेंशन देने की जहमत नहीं उठाई।