Jabalpur. अपर सत्र न्यायाधीश उर्मिला यादव की अदालत ने निलंबित थाना प्रभारी संदीप अयाची की अग्रिम जमानत अर्जी निरस्त कर दी है। अग्रिम जमानत अर्जी के खिलाफ पीड़ित महिला आरक्षक की ओर से अधिवक्ता राहुल राजपूत और आलोक तिवारी समेत राज्य की ओर से अतिरिक्त लोक अभियोजक अनिल तिवारी ने भी अर्जी का विरोध किया। दलील दी गई कि आवेदक पर गंभीर आरोप लगा है। आवेदक ने पीड़िता को शादी का प्रलोभन दिया और लगातार उसका शारीरिक शोषण किया। चूंकि आवेदक प्रभावशाली है और उससे पीड़िता की जान का खतरा है, इसलिए अग्रिम जमान अर्जी निरस्त किए जाने योग्य है।
यह भी दलील दी गई कि इस तरह के मामले में गिरफ्तारी के बिना जमानत पर रिहा करने के आदेश से समाज में गलत संदेश जाएगा। आवेदक पीड़िता को जान से मारने की धमकी दे चुका है। जबलपुर और कटनी में थाना प्रभारी रहते हुए उसने रसूख बना लिया है। वह मूलतः दमोह निवासी है और उसके संबंध हर तरह के वर्ग से हैं। ऐसे में उसे अग्रिम जमानत का लाभ नहीं दिया जाना चाहिए। कोर्ट ने आपत्तिकर्ताओं के तर्क से सहमत होकर अग्रिम जमानत देने से इनकार कर दिया। अदालत के इस फैसले से आरोपी दरोगा संदीप अयाची को बड़ा झटका लगा है।
बढ़ती जा रही फरार दरोगा की मुसीबतें
करीब हफ्ते भर से फरार आरोपी टीआई संदीप अयाची की एंटीसिपेट्री बेल एप्लीकेशन निरस्त होने से मुश्किलें बढ़ गई हैं। महिला थाना पुलिस जहां उसे सरगर्मी से तलाश रही है वहीं सूत्रों की मानें तो अयाची जबलपुर और कटनी में से किसी एक जगह फरारी काट रहा है। पुलिस महकमे में अपनी पहचान के बूते जमानत मिलने तक गिरफ्तारी को टालने हरसंभव प्रयास किया है। देखना यह होगा कि पुलिस अब उसे कब तक फरार रहने का मौका देती है।