Jabalpur. उसने 15 साल तक पुलिस को खूब चकमा दिया, पुणे और मुंबई में कभी मजदूरी की, कभी किसी का ड्राइवर बना लेकिन घर से दूर ही रहा। पुलिस ने उस पर 10 हजार रुपए का ईनाम जो घोषित कर रखा था। लेकिन जब उसे उसके पिता की मौत की खबर लगी तो वह अंतिम संस्कार में शामिल होने घर लौटा और आखिरकार 15 साल बाद पुलिस ने पैरोल से फरार हुए कैदी को गिरफ्तार कर लिया। ये कहानी है जबलपुर सेंट्रल जेल से पेरौल पर छूटकर फरार हुए विनोद कनौजिया की। जो साल 2006 से लगातार फरार चल रहा था।
पत्नी की हत्या के जुर्म में हुई थी उम्रकैद
विनोद ने साल 1997 में अपनी पत्नी की हत्या कर दी थी। पुलिस ने हत्या के आरोप में उसे गिरफ्तार कर लिया और अदालत ने उसे उम्रकैद की सजा सुना दी थी। कुछ साल जेल में अच्छा व्यवहार करने पर उसे पैरोल पर कुछ समय के लिए छोड़ा गया। लेकिन जब पैरोल का समय पूरा हो गया तब भी विनोद वापस जेल नहीं पहुंचा। पुलिस ने मामला दर्ज कर उसे फरार घोषित कर दिया।
सालों फरार रहने पर किया था ईनाम का ऐलान
साल दर साल बीतते चले गए और लंबे समय से फरार विनोद का कुछ पता ठिकाना नहीं था। मुखबिर भी जवान से अधेड़ और बूढ़े हुए जा रहे थे, जो विनोद को पहचान पाते। । पुलिस जब-जब फरार मुजरिमों की फाइल निकालती विनोद का नाम कुछ पन्नों बाद ही सामने आ जाता था। थक हार कर पुलिस ने उस पर 10 हजार का ईनाम भी रख दिया था। लेकिन नतीजा सिफर रहा, उसकी गिरफ्तारी पुलिस के लिए चुनौती बन गई थी।
फिर एक दिन मुखबिरों ने किया फोन
सोमवार को विनोद के पिता का देहांत हो गया। घर में पड़ोसियों और नातेदारों का तांता लगा। इतने में पुराने मुखबिर भी चौकन्ने हो गए थे। फिर क्या था थाने की पुलिस को एक फोन आया और तत्काल पुलिस ने चेरीताल इलाके की घेराबंदी की और रिश्तेदारों की भीड़ में अपने फरार कैदी को ढूंढ ही लिया। लंबे समय से फरार विनोद अपने पिता के अंतिम संस्कार में शामिल होने जो पहुंचा था। लंबे समय से फरार कैदी को पकड़ने में कामयाब पुलिस की टीम राहत की सांस ले रही है। वहीं विनोद अब बाकी की उम्र जेल में ही काटेगा। उम्रकैद तो उसे मिल ही चुकी थी अब फरार होने के मामले में भी उसकी सजा और बढ़ सकती है।