BHOPAL. नौकरी में आने के बाद अधिकांश समय नेताओं के साथ रहते-रहते नौकरशाहों के लिए राजनीति कब सेकंड ऑप्शन बन जाती है, वे खुद भी नहीं जानते। मगर मौका मिलते ही नौकरी छोड़कर नेतागिरी में भाग्य आजमाने में पीछे नहीं रहते। कुछ प्रमुख दलों के साथ कदम-ताल करते हुए सिस्टम का हिस्सा बन जाते हैं तो कोई सिस्टम को ललकारते हुए नेता बन जाता हैं। मध्यप्रदेश में भी ऐसे नौकरशाहों की कमी नहीं है। संयुक्त मध्यप्रदेश में तेजतर्रार कलेक्टरों में गिने जाने वाले अजीत जोगी नया राज्य बनने पर छत्तीसगढ़ के पहले मुख्यमंत्री बन गए थे तो प्रमुख सचिव रहे भागीरथ प्रसाद पहले कुलपति बने, फिर बीजेपी की टिकट पर चुनाव लड़कर संसद तक पहुंच गए थे। वहीं आईपीएस रहे रुस्तम सिंह इस्तीफा देकर विधानसभा चुनाव लड़े और बीजेपी की सरकार में मंत्री भी रहे।
मध्यप्रदेश में नौकरी छोड़कर नेता बनने वालों की फहरिस्त में आज गुरूवार 4 अगस्त को एक नाम और जुड़ गया। जब वरिष्ठ आईएएस रहे वरदमूर्ति मिश्रा ने अपना अलग राजनीतिक दल बनाकर प्रदेश की सभी 230 विधानसभा सीटों पर अपने प्रत्याशी खड़े करने का ऐलान किया। मिश्रा ने हाल ही में स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति वीआएएस लेकर सरकारी नौकरी छोड़ी थी। वैसे तो वीआरएस लेकर चुनाव लड़ने वाले और सक्रिय राजनीति का हिस्सा बनने वाले अधिकारी बहुतेरे हैं। मगर अपने ऐसे ही कदम से सबको चौंकाने वाला काम वर्षों पहले स्व. अजीत जोगी ने किया था, जब वे इंदौर के कलेक्टर थे। उन्हें राजनीति में लाने का काम पूर्व प्रधानमंत्री स्व. राजीव गांधी ने किया था, जोगी उस समय रायपुर के कलेक्टर हुआ करते थे। राजीव गांधी बतौर पायलट इंडियन एयरलाइन्स का विमान लेकर रायपुर पहुंचते थे तो जोगी उनकी आवभगत करते थे और राजीव गांधी के रुकने व सुख-सुविधाओं का ख्याल रखते थे। इससे राजीव गांधी उनके खासे प्रभावित हुए थे। फिर इंदौर कलेक्टर रहते उनके पास रात ढाई बजे राजीव गांधी का फोन आया और अगले ही दिन नौकरी छोड़कर राज्यसभा में चले गए। बाद में उन्होंने 1998 में लोकसभा चुनाव लड़ा और नया राज्य बनने पर 2000 में छत्तीसगढ़ के पहले मुख्यमंत्री बन गए। आईएएस बनने के पहले जोगी ने आईपीएस भी रहे थे। स्व. जोगी के बाद छत्तीसगढ़ के युवा आईएएस ओपी चौधरी का नाम भी इसी सूची में जुड़ गया है। मात्र 23 साल की उम्र में आईएएस बनने वाले 2005 के अधिकारी ओपी चौधरी ने वीआरएस लेकर बीजेपी की टिकट पर 2018 का चुनाव लड़ा था, लेकिन वे चुनाव हार गए।
पहले वीसी फिर एमपी बने भागीरथ
राजनीति में आने के लिए नौकरी वालों की सूची में प्रमुख सचिव स्तर के अधिकारी रहे भागीरथ प्रसाद का नाम भी शामिल है। जब इस्तीफा देकर भागीरथ प्रसाद देवी अहिल्या यूनिवर्सिटी के कुलपति बने। फिर इस पद से इस्तीफा देकर उन्होंने बीजेपी की टिकट पर भिंड सीट से लोकसभा चुनाव लड़ा और संसद में पहुंचे। आईएएस वरदमूर्ति की तरह शासकीय सेवा से वीआरएस लेकर चुनाव लड़ने वालों में पूर्व आईपीएस रुस्तम सिंह भी शामिल हैं। रुस्तम सिंह की सक्रियता देखते बीजेपी ने उन्हें मुरैना जिले से अपना प्रत्याशी बनाया, वे चुनाव जीतकर विधायक भी बने। बाद में वे सीएम शिवराज सिंह चौहान के मंत्रिमंडल में विभिन्न विभागों के मंत्री भी रहे।
पिछले चुनाव में त्रिवेदी ने बनाया था सपाक्स
आईएएस रहे मिश्रा ने गुरूवार को मीडिया से रूबरू होते हुए नया राजनीतिक दल बनाने का ऐलान किया है। साथ ही उन्होंने राज्य सरकार पर भी तीखे हमले करते हुए सिस्टम की खामियां भी बताईं है। इसी तरह 2018 के चुनाव के पहले पूर्व आईएएस हीरालाल त्रिवेदी ने भी अपना संगठन बनाया था। सपाक्स नाम से बनाए गए इस संगठन को हालांकि विधानसभा चुनाव में तो कोई सफलता नहीं मिल सकी, लेकिन सत्तापक्ष को सवर्ण विरोधी बताने में यह संगठन जरूर सफल रहा। एक अन्य आईएएस वीणा घाणेकर भी सपाक्स के बैनर तले राजनीति में सक्रिय हैं।
रतलाम सांसद डामोर थे ईएनसी
सरकारी नौकरी में रहने के बाद सक्रिय राजनीति में भी लंबे समय तक सफल रहने वाले पूर्व आईएएस अधिकारियों में सबसे बड़ा नाम पूर्व मुख्य सचिव सुशील चंद्र वर्मा का नाम प्रमुख है। वर्मा चार भोपाल से चार बार बीजेपी की ओर से सांसद रहे। उनकी कार्यशैली से ग्रामीण खासे खुश रहे और उन्होंने शहरी क्षेत्रों से ज्यादा ग्रामीण क्षेत्रों की समस्याओं के निराकरण पर ध्यान दिया। वहीं वर्तमान में झाबुआ लोकसभा क्षेत्र से सांसद गुमान सिंह डामोर भी सेवानिवृत्ति के बाद सीधे चुनाव मैदान में पहुंचे थे और सबसे पहले उन्होंने विधानसभा का चुनाव लड़ा। जल संसाधन विभाग में ईएनसी रहे डामोर ने झाबुआ विधानसभा सीट से पूर्व सांसद कांतिलाल भूरिया के पुत्र विक्रांत भूरिया को चुनाव में हराया। फिर लोकसभा चुनाव में पूर्व केंद्रीय मंत्री व दिग्गज आदिवासी नेता कांतिलाल भूरिया को हराया।
इन नौकरशाहों ने आजमाए राजनीति में हाथ
आईएएस - एमएन बुच, सुशील चंद्र वर्मा, भागीरथ प्रसाद, होशियार सिंह, अमर सिंह, हीरालाल त्रिवेदी, वीणा घाणेकर, शशि कर्णावत, वीके बाथम, अजिता वाजपेयी पांडे, एसएस उप्पल, डीएस राय, वरदमूर्ति मिश्रा,
आईपीएस - पन्नालाल, भागीरथ प्रसाद, विजय वाते, हरि सिंह
आईएफएस - आजाद सिंह डबास।