मप्र में ब्यूरोक्रेट्स कितने बेलगाम, दुस्साहसी और नेताओं के चापलूस हो गए है... ये दो मामलों से समझा जा सकता है.. पहला मामला एक आम आदमी से जुड़ा है जो अब जनप्रतिनिधि बनने की राह पर है... लेकिन दुस्साहसी हो चुकी अफसरशाही ने उस आम आदमी को बता दिया कि भ्रष्टाचार कैसे होता है.. और दूसरा मामला चापलूसी का है.. प्रदेश के मुख्यमंत्री को गर्म चाय पेश नहीं की गई तो अफसर को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया.. हालांकि मुख्यमंत्री ने इसपर कोई शिकायत नहीं की थी जैसे अधिकारी दलील दे रहे हैं.. जब शिकायत ही नहीं हुई तो फिर क्यों जारी हुआ कारण बताओ नोटिस.. चापलूसी नहीं तो क्या है.