UJJAIN. विश्व प्रसिद्ध महाकाल मंदिर में सावन के महीने में उत्सव का माहौल है। इस माहौल में एक अनूठा नजारा देखने को मिला। दरअसल महाकालेश्वर मंदिर में सुबह 4 बजे भगवान वीरभद्र की भी आरती होती है। यूं तो ये आरती पंडे-पुजारी ढोल-नगाड़े और गाजे-बाजे के साथ करते हैं लेकिन खास बात ये है कि इस आरती में एक श्वान भी शामिल होता है। श्वान का नाम लालू है जो 10 सालों से वीरभद्र की आरती में शामिल होता आ रहा है।
शंखनाद जैसी आवाज करके भगवान को याद करता है श्वान
भगवान वीरभद्र की जब आरती होती है तब झांझ-मंजीरे और ढोल बजते हैं। श्वान भी भक्ति में लीन होकर भगवान को याद करता है। पंडे और पुजारी आरती गाते हैं तो श्वान भी शंखनाद जैसी आवाज करता है। महाकाल मंदिर के सेवादारों का कहना है कि वे श्वान की भक्ति को पिछले 10 सालों से देख रहे हैं।
महादेव के गण हैं वीरभद्र
पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान वीरभद्र शिव के ही एक गण थे जिनकी उत्पत्ति शिव की जटा से हुई थी। जब राजा दक्ष के यज्ञ में कूदकर सती ने आत्मदाह कर लिया था तो शिव अत्यंत क्रोधित हो गए थे। उन्होंने अपनी जटा से वीरभद्र को उत्पन्न किया। भगवान शिव की आज्ञा से वीरभद्र ने राजा दक्ष का सिर धड़ से अलग कर दिया था। दक्षिण भारत में भगवान शिव के गण वीरभद्र को शिव मानकर ही पूजा जाता है।