खत्म नहीं हुई अदावत, पूर्व डिप्टी कलेक्टर ने कलेक्टर को भेजा 2 करोड़ का नोटिस

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खत्म नहीं हुई अदावत, पूर्व डिप्टी कलेक्टर ने कलेक्टर को भेजा 2 करोड़ का नोटिस

भोपाल। प्रदेश के दो पूर्व प्रशासनिक अधिकारियों के बीच छिड़ी जंग रिटायरमेंट के बाद भी खत्म होने का नाम नहीं ले रही है। मामला 2015 में टीकमगढ़ (Tikamgarh) में पदस्थ रहे कलेक्टर (Collectorate) केदार शर्मा (Kedar Sharma) और डिप्टी कलेक्टर (Deputy Collector) एनएस ब्रम्हें (NS Brahman) के बीच चल रही कानूनी लड़ाई का है। टीकमगढ़ में ब्रम्हें के खिलाफ दर्ज कराई गई एक एफआईआर (FIR) हाईकोर्ट (High Court) और सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) से खारिज होने के बाद अब उन्होंने मानसिक और आर्थिक क्षतिपूर्ति के लिए केदार शर्मा को 2 करोड़ रुपए की मानहानि (Defamation) का कानूनी नोटिस थमा दिया है।     



6 साल पहले 2015 में शुरु हुआ विवाद : पूर्व डिप्टी कलेक्टर एनएस ब्रम्हे का आरोप है कि वे 24 मार्च 2014 से 15 फरवरी 2015 तक टीकमगढ़ जिले के जतारा में पदस्थ थे। साथ ही उनके पास कलेक्ट्रेट की भू अभिलेख (लैंड रिकॉर्ड)  शाखा का भी प्रभार था। इस दौरान केदार शर्मा टीकमगढ़ के कलेक्टर थे। ब्रम्हें ने द सूत्र को बताया कि उन्होंने टीकमगढ़ में चल रही कुछ गड़बड़ियों के संबंध में मुख्य सचिव को एक शिकायत की थी। इससे केदार शर्मा उनसे चिढ़ गए और उनके खिलाफ बदले की भावना से कार्रवाई की जाने लगी।   



ट्रांसफर के बाद दर्ज करा दी एफआईआर : एनएस ब्रम्हे के खिलाफ अगस्त 2015 में टीकमगढ़ पुलिस ने धारा 409 के तहत मामला दर्ज किया गया। ब्रम्हें ने बताया कि उस समय जिले में पटवारियों की पदस्थापना से संबंधित एक गैर-जरूरी फाइल नहीं मिल रही थी। इसे मुद्दा बनाते हुए केदार शर्मा ने उनके खिलाफ झूठा मुकदमा दर्ज करा दिया। ब्रम्हें के मुताबिक इस मामले में उन्हें गिरफ्तार कराने के लिए पुलिस को टीकमगढ़ से भोपाल भी भेजा गया। 



हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की एफआईआर : केदार शर्मा को एडवोकेट सचिन नायक के माध्यम से  भेजे गए मानहानि के नोटिस में ब्रम्हें ने लिखा है कि उनके खिलाफ टीकमगढ़ में दर्ज कराई गई एफआईआर 9 मार्च 2017 को जबलपुर हाईकोर्ट ने खारिज कर दी । इसके बाद भी उन्हें परेशान किए जाने की नीयत से मामले को सुप्रीम कोर्ट ले जाया गया। लेकिन 3 दिसंबर 2021 को सुप्रीम कोर्ट ने भी एफआईआर खारिज कर दी। ब्रम्हे के मुताबिक एफआईआर झूठी थी लिहाजा से वो किसी भी कोर्ट नहीं टिक सकी। 



परेशान होकर भेजा मानहानि का नोटिस- ब्रम्हे : ब्रम्हे का कहना है कि उन्हें साजिश के तहत फंसाया गया था। झूठे मुकदमे की वजह से वो 6 साल तक मानसिक औऱ आर्थिक रूप से परेशान रहे। गिरफ्तारी से बचने के लिए उन्हें अग्रिम जमानत करानी पड़ी। लिहाजा वो मानसिक और आर्थिक क्षतिपूर्ति चाहते हैं। यही वजह है कि उन्होंने अपने वकील के माध्यम से केदार शर्मा को मानहानि का नोटिस भेजते हुए 2 करोड़ रुपए की क्षतिपूर्ति की मांग की है। वहीं द सूत्र ने रिटायर्ड इस मामले में आईएएस केदार शर्मा से संपर्क कर उनका पक्ष की कोशिश की। लेकिन उन्होंने मामले में कुछ भी कहने से इनकार कर दिया।


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