दमोह में विराजमान है 400 वर्ष प्राचीन है मां बड़ी देवी की प्रतिमा, उमड़ रहा श्रद्धालुओं का सैलाब

author-image
Rajeev Upadhyay
एडिट
New Update
दमोह में विराजमान है 400 वर्ष प्राचीन है मां बड़ी देवी की प्रतिमा, उमड़ रहा श्रद्धालुओं का सैलाब

Damoh. दमोह में शारदेय नवरात्र पर्व पर जिले के सभी देवी मंदिरों में विराजमान मां जगत जननी अपने भक्तों की मुराद पूरी कर रही हैं। इन्हीं में से एक  दमोह शहर की आस्था के केंद्र कहे जाने वाले बड़ी देवी मंदिर में भी मातारानी अपने भक्तों को दर्शन दे रहीं है। यहां प्रतिदिन हजारों श्रद्धालु दर्शनों के लिए पहुंच रहे हैं। मां बड़ी देवी दमोह के हजारी परिवार की कुल देवी हैं जिनकी स्थापना 400 वर्ष पूर्व की गई थी। कहते है यहां पहुंचने वाले हर भक्त ने न सिर्फ बड़ी देवी मां का चमत्कार महसूस किया है, बल्कि देखा भी है। नवरात्र के अलावा आम दिनों में भी बड़ी देवी माता मंदिर में भक्तों का जमावड़ा देखा जा सकता है।



कानपुर से लाई गई थी प्रतिमा




मां बड़ी देवी की प्रतिमा अति प्राचीन है। करीब चार सौ वर्ष पहले बड़ी देवी मंदिर में देवीजी की स्थापना की गई थी। इसके बाद से अब दूसरी बार मंदिरों का जीर्णाेद्धार किया जा रहा है। जिसके लिए भक्तगण बढ़ चढ़कर उत्साह दिखा रहे हैं। दमोह के बड़ी देवी मंदिर का इतिहास बताता है कि करीब चार सौ वर्ष पूर्व उत्तर प्रदेश के कानपुर जिले के कटहरा गांव से हजारी परिवार दमोह पहुंचा था। परिवार अपनी कुलदेवी मां महालक्ष्मी की मूर्ति लेकर दमोह पहुंचा था। माता की इस मूर्ति की स्थापना फुटेरा तालाब के पास स्थित उनकी ही जमीन पर की गई।  इसके साथ ही मां सरस्वती और मां महाकाली की मूर्तियां भी स्थापित की गई थीं।



मां बड़ी देवी के रूप में मिली पहचान



मातारानी की प्रतिमाओं की स्थापना के  बाद यहां काफी चमत्कार हुए और बड़ी देवी के नाम से मां की प्रतिमा प्रचलित हो गई। मां जगतजननी की दमोह के फुटेरा वार्ड स्थित बड़ी देवी मंदिर में मूर्तियों की स्थापना होने के बाद से लेकर लगातार यहां भक्तों का पहुंचना शुरु हुआ। हजारी परिवार की कुलदेवी के सामने जिस किसी ने भी अपनी कामना रखी। मां जगतजननी ने उसकी इच्छा पूरी कर दी। कुछ ही समय में लोग हजारी परिवार की कुलदेवी को बड़ी देवी कहने लगे और लोग इस मंदिर को बड़ी देवी के मंदिर के नाम से जानने लगे। जो अब जिले के साथ प्रदेश भर में  बड़ी देवी के नाम से प्रचलित है। पूर्व में बड़ी खेरमाई और बगीचा वाली माई के नाम से भी लोग यहां माता के दर्शन करने पहुंचते थे। साल की दोनों नवरात्र में यहां पर 9 दिनों तक अखंड हे माता अंबे जय जगदम्बे का पाठ चलता रहता है।



thesootr



मंदिर के पुजारी पंडित आशीष कटारे ने बताया कि उनके पूर्वजों ने कहा कि करीब दो सौ वर्ष पूर्व छपरट वाले ठाकुर साहब ने मनोकामना पूरी होने पर बड़ीदेवी मंदिर बनाने का प्रयास किया था, लेकिन गुबंद क्षतिग्रस्त होने के बाद काम रोक दिया गया था। इसके बाद 1979 में शहर के बाबूलाल गुप्ता ने मंदिर का जीर्णाेद्धार कराया था। अब नया रूप मंदिर को दिया जा रहा है। जिसके लिए लोग खुलकर दान कर रहे है और खंडपीठ के रूप में मंदिर का निर्माण चल रहा है जो अंतिम दौर में है। मां जगत जननी की प्रतिमा के अलावा यहां स्फटिक के शिवलिंग की भी स्थापना की गई है।


Damoh News The unique form of Adishakti on Shardayya Navratri is seated in Damoh 400 years old. The idol of mother elder goddess there is a flood of devotees शारदेय नवरात्र पर आदिशक्ति का अद्वितीय स्वरूप दमोह में विराजमान है 400 वर्ष प्राचीन है मां बड़ी देवी की प्रतिमा उमड़ रहा श्रद्धालुओं का सैलाब