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जबलपुर पुलिस की मदद से महाराष्ट्र के सोलापुर में फंसे 70 मजदूरों अपने घर वापस पहुंचने के बाद अपनी पीड़ा जाहिर की है। उन्होंने बताया कि सोलापुर में उन्हें किस प्रकार बंधक बनाकर रखा गया और कैसी-कैसी यातनाएं दी गईं। मजदूरों ने बताया कि उन्हें न तो समय पर खाना दिया जाता था, यहां तक पीने के लिए पानी भी तरसा-तरसाकर दिया जाता था। और तो और उनसे दिन रात गन्ने की कटाई का काम लिया जा रहा था।
मजदूरों ने बताया कि वे एक दलाल के जरिए सोलापुर पहुंचे थे। गन्ना कटाई के काम में 400 रुपए रोजाना की मजदूरी तय हुई थी लेकिन वहां पहुंचते ही ठेकेदार काम लेने के बाद मजदूरी देने से साफ मुकर गया और उनसे जबरन काम लिया जाने लगा। यहां तक कि जब मजदूरों ने दीपावली पर घर जाने की बात कही तो उन्हें जंगल में ले जाकर रखा गया और उनकी पूरी निगरानी कराई जाती थी।
स्थानीय विधायक को पहुंचाई खबर तब जाकर मिल पाई मुक्ति
मजदूरों ने बताया कि हममें से कई लोग तो यह आशा ही छोड़ चुके थे कि वे अब घर पहुंच पाऐंगे भी कि नहीं। जब कोई रास्ता नजर नहीं आया तो किसी तरह अपने जनप्रतिनिधि तक खबर पहुंचाई। तब जाकर पुलिस ने हमें मुक्त कराया।
सोलापुर में फंसी मजदूर सोना बाई ने बताया कि हम लोगों को खाना और पीने का पानी तक नहीं दिया जाता था। जब मजदूरों ने दीपावली पर घर जाने देने के लिए ठेकेदार से कहा तो उसने उन्हें जंगल में ले जाकर बंधक बना लिया, उनकी निगरानी की जाने लगी। मजदूरों ने बताया कि वीरेंद्र तिवारी नामक दलाल उन्हें बस से सोलापुर ले गया था।
एसपी ने सोलापुर भेजी थी टीम
मजदूरों के बंधक होने की खबर मिलने के बाद जबलपुर एसपी ने एक पुलिस टीम सोलापुर भेजी थी। जहां स्थानीय पुलिस की मदद से 70 मजदूरों को मुक्त कराकर उन्हें ट्रेन के जरिए जबलपुर लाया गया था।