Khargone. खरगोन हिंसा में कई घर झुलस गए। रामनवमी पर जुलूस पर हुए पथराव के बाद आगजनी और तोड़फोड़ हुई। धीरे-धीरे हिंसा दंगे में बदल गई। प्रशासन को शहर में कर्फ्यू लगाना पड़ा। खरगोन में एक ऐसा परिवार है जो ऐसे 4 दंगे झेल चुका है। 1992 से अब तक 4 बार ये परिवार दंगों का दंश झेल चुका है। दंगाइयों ने इस बार भी इस परिवार का घर फूंक दिया। उनके पास सिर्फ पहने हुए कपड़ों के अलावा कुछ भी नहीं बचा।
पन्नालाल चांदौर परिवार का दर्द
खरगोन के संजय नगर में पन्नालाल चांदौर का परिवार रहता है। 1992 के दंगों में भी इनका पूरा घर जला दिया गया था। इसके बाद 2015 और 2018 में दंगाइयों ने उनके घर को फूंक दिया था। सिर्फ मामूली विवाद की वजह से उनका घर जला दिया गया था। 1992 में कमलाबाई गांव छोड़कर चली गई थीं। उनके पति भी बाहर रहने लगे थे।
पहले घर पर पहला निशाना
पन्नालाल चांदौर के परिवार की मुखिया कमलाबाई का कहना है कि हिंदू इलाके में सबसे पहले उन्हीं का घर है। इसलिए हर बार सबसे पहले उनके घर को ही निशाना बनाया जाता है। रामनवमी पर जब दंगे भड़के तो 20 से ज्यादा दंगाई उनके घर में घुसे। उनके हाथों में पेट्रोल-बम और हथियार थे। घर में घुसते ही उन्होंने तोड़फोड़ की और फिर पूरे घर को आग के हवाले कर दिया।
दाने-दाने को मोहताज हैं दंगे में झुलसे परिवार
खरगोन हिंसा में जिन घरों को नुकसान पहुंचा है। वहां नगर पालिका खाना बांटने का काम कर रही है। इसके साथ ही कई गरीब बस्तियों में भी खाना पहुंचाया जा रहा है। रोज करीब 1500 से ज्यादा घरों का पेट भरा जा रहा है। दंगों की आग में झुलसे परिवार अब खाने के लिए भी मोहताज हैं। वे घंटों लाइन में लगकर खाने के लिए इंतजार करते हैं।