Balaghat. बालाघाट के तिरोड़ी से नागपुर के बीच चलने वाली पैसेंजर ट्रेन को कोरोना काल सभी ट्रेनों की तरह बंद कर दिया गया था। कोरोना काल तो बीत चुका है लेकिन तिरोड़ी से नागपुर तक चलने वाली पैसेंजर के पहिए 3 साल से जाम ही हैं। जिसके चलते बालाघाट के तिरोड़ी की जनता के लिए आवागमन का अतिमहत्वपूर्ण साधन नहीं मिल पा रहा। जिससे जनता में आक्रोश है। रेलवे इस ट्रेन को दोबारा शुरू करने के मूड में भी नहीं है। जिसके चलते अब पठार संघर्ष समिति ने रेल रोको आंदोलन का ऐलान कर दिया है। इससे रेल प्रशासन भी पसोपेश में है।
रोजगार और आवागमन दोनों हुए प्रभावित
इस पैसेंजर ट्रेन के बंद हो जाने से बालाघाट के तिरोड़ी और आसपास के क्षेत्र के लोगों का न सिर्फ रोजगार प्रभावित हुआ है बल्कि आवागमन भी एक प्रकार से ठप है। इलाके के अधिकांश लोग दिहाड़ी मजदूर हैं लेकिन वे सड़क के रास्ते नागपुर तक जाने का खर्च नहीं उठा पाते। इलाके के सैकड़ों लोग पैसेंजर ट्रेन के जरिए रोजाना अपडाउन कर लेते थे। लेकिन रेलवे सूत्रों से लोगों को जब यह पता चल रहा है कि पैसेंजर ट्रेन का दोबारा पटरी पर लौटना मुमकिन नहीं है तबसे स्थानीय लोग आंदोलन के मूड में हैं।
16 अक्टूबर को रोकेंगे रेल
पठार संघर्ष समिति ने अपनी मांगों को पूरा कराने के लिए 16 अक्टूबर को रेल रोकने का ऐलान कर दिया है। तिरोड़ी में भले ही हर ट्रेन न रुकती हो लेकिन इस रूट से कई महत्वपूर्ण ट्रेनों का आना जाना है। ऐसे में समिति के रेल रोको आंदोलन से रेल प्रबंधन भी परेशान है। समिति ने साफ कह दिया है कि प्रदर्शन के दौरान होने वाली अप्रिय स्थिति का जिम्मेदार रेल प्रशासन होगा। इससे पहले समिति ने दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे के मंडल प्रबंधक मनिंदर सिंह से मुलाकात की थी। उन्होंने भरोसा दिलाया था कि 15 दिन में हर हाल में पैसेंजर शुरू कर दी जाएगी, लेकिन ऐसा हो नहीं पाया। रेल प्रबंधन ने इसके पीछे तकनीकी कारणों का हवाला दिया है लेकिन स्थानीय लोग अब रेल प्रबंधन पर विश्वास ही नहीं कर रहे।