Jabalpur. जबलपुर में हुए आयुष्मान योजना के फर्जीवाड़े के भंडाफोड़ के बाद इसके कर्ताधर्ता और मुख्य आरोपी डॉ अश्वनी पाठक और उनकी पत्नी डॉ दुहिता पाठक पर एसआईटी अपना शिकंजा कसते जा रही है। इसके लिए आयुष्मान योजना के दो ऐसे हितग्राहियों जिन्हें कोई बीमारी नहीं थी और अस्पताल ने होटल वेगा में जिनका इलाज कराया गया, उनके बयान धारा 164 के तहत कोर्ट में दर्ज करवाए जा चुके हैं। इन हितग्राहियों ने बताया है कि उन्हें कोई गंभीर बीमारी नहीं थी। होटल वेगा में भर्ती कराते वक्त उनसे उनका आयुष्मान कार्ड जमा करवाया गया था। वहीं होटल में इलाज के नाम पर 4 दिन तक महज ग्लूकोज की बॉटलें चढ़ाई गईं। उक्त दोनों हितग्राही होटल वेगा में हुई छापेमार कार्रवाई के दौरान भर्ती मिले थे।
अब तक की हुई एसआईटी जांच के तहत आयुष्मान योजना के तहत भर्ती किए गए अधिकांश मरीजों ने पूछताछ में यही बताया है कि डॉक्टर दंपती ने उन्हें किडनी की गंभीर बीमारी होने का डर दिखाया। हर तरह की जांचे कराने के बाद डॉ अश्वनी पाठक उन्हें गंभीर बीमारी होने की बात कहते और इलाज न करने पर जान जाने का खतरा बताते थे। जिसके चलते अधिकांश मरीज डर के चलते भर्ती हो जाते थे।
जिला प्रशासन नहीं कर रहा सहयोग?
सूत्रों की मानें तो आयुष्मान योजना के इस फर्जीवाड़े की तह तक जाने में जुटी एसआईटी की राह में खुद प्रशासन रोड़े अटका रहा है। अव्वल तो जिला प्रशासन इस जांच में कोई रुचि नहीं ले रहा। दूसरा अस्पताल से बरामद कंप्यूटर में मिले डाटा के तहत चार हजार से ज्यादा हितग्राहियों की जानकारी आयुष्मान योजना के राज्य स्तरीय कार्यालय से मुहैया ही नहीं कराई जा रही हैं। जिस कारण अधिकृत जानकारी के अभाव में जांच में अपेक्षित प्रगति देखने को नहीं मिल रही ।