दमोह में बंजारा समुदाय के द्वारा आज भी निभाई जा रही लहंगी नृत्य की परंपरा, महिलाओं के द्वारा किया जाता है नृत्य

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Rajeev Upadhyay
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दमोह में बंजारा समुदाय के द्वारा आज भी निभाई जा रही लहंगी नृत्य की परंपरा, महिलाओं के द्वारा किया जाता है नृत्य

Damoh. वैसे तो मध्यप्रदेश के लोकनृत्यों में से एक लहंगी नृत्य सहरिया जनजाति का प्रमुख लोकनृत्य है, जो कि भुजरिया पर्व के दौरान किया जाता है। लेकिन बुंदेलखंड के दमोह में घुमंतू बंजारा परिवार नवरात्र की परमा पर इसका आयोजन करते दिखाई दे रहे हैं। 

 बुंदेलखंड का दमोह जिला अपनी परंपराओं से भरा हुआ है।  यहां सभी प्रकार के समुदाय की एक विशेष परंपरा होती है जिसे बड़ी ही शिद्दत के साथ निभाया जाता है।  उसी में बंजारा समुदाय भी आज अपनी परंपरा को निभाते हुए आगे बढ़ रहा है।  हटा ब्लॉक के मडियादो में सबसे अधिक बंजारा समुदाय के लोग रहते हैं जो आज अपने लंहगी नृत्य की परंपरा को निभाते हुए चल रहे है।



बंजारा समुदाय की महिलाएं एक साथ एकत्रित होकर नृत्य कर अपनी खुशी का इजहार करती है। नृत्य के दौरान महिलाएं गोला बनाकर उत्साह और उल्लास के साथ नृत्य करती नजर आईं। 



 सोमवार की रात नवरात्रि की परमा को मडियादो  ग्राम पंचायत अंतर्गत आने वाले मदनटोर गांव में बुमना बंजारा के घर यह लाहंगी नृत्य जा आयोजन किया गया।  जिसमें प्रदेश के अलग अलग जिलों में  रहने वाले बंजारा समुदाय की महिलाएं यहां पहुंची और अपनी भाषा में गाते हुए समूह में नृत्य किया। बमना  बंजारा ने बताया की समुदाय में किसी घर में शादी होती है तो खुशी के रूप में यह आयोजन करते हैं।  उनके परिवार में भी विवाह हुआ था जिसके बाद लहगी नृत्य का आयोजन किया गया।



लहंगी के अलावा मध्यप्रदेश के अन्य लोकनृत्यों में पंथी, ढिमराई और भगोरिया नृत्य काफी प्रचलित हैं लेकिन बुंदेलखंड की बात की जाए तो यहां का राई नृत्य सर्वाधिक प्रचलित है। जिसे विभिन्न अवसरों पर जहां तहां आयोजित होता देखा जाता है। 


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