Gwalior. ग्वालियर में एक अजीब मामला सामने आया है। जहां पर जिस युवक को मरा हुआ समझकर परिजनों ने अंतिम संस्कार कर दिया। वह दूसरे दिन जिंदा वापस घर लौट आया। बेटे को जिंदा देखकर परिजन चकित भी है और खुश भी। अब सवाल यह उठ रहा है कि, परिजन जिसे अपना बेटा समझकर अंतिम संस्कार कर आए थे। वह कौन था। इस मामले की जानकारी पुलिस को दी गई है। अब पुलिस यह पता करने में जुटी हुई है कि, जिस व्यक्ति का अंतिम संस्कार किया गया है वह कौन था।
10 दिन पहले से था लापता
दरअसल इंदरगंज थाना इलाके के नौगजा रोड के रहने वाला रोहित कुशवाह 10 दिन पहले घर से मंदिर के लिए निकला था, लेकिन घर लौटकर नही आया। 2 दिन पहले महाराजबाड़ा के छतरी पार्क में एक लाश मिली। पुलिस ने रोहित के परिवार वालों को जानकारी देकर शिनाख़्त करने के लिए बुलाया। शव का चेहरा बिगड़ा हुआ था, उसका एक हाथ और पैर दिव्यांग था, रोहित भी एक हाथ और पैर से विकलांग है। रोहित जैसी कद लग रही थी। लिहाज़ा परिजन ने डेडबॉडी की पहचान रोहित के रूप में की। पुलिस ने शव का पोस्टमार्टम करवा कर परिजनों को सौंप दिया। इसके बाद परिजनों ने रोहित का अंतिम संस्कार किया। जब शुक्रवार को रोहित के परिजन मुक्तिधाम में अस्थियां उठाने के लिए जा रहे थे। इसी दौरान परिजनों को जानकारी मिली कि, रोहित अपनी ससुराल गिरवाई में पहुंच गया है। ख़बर मिलते ही परिजन ससुराल पहुंचे जहां रोहित को ज़िंदा देख सब हैरान रह गए।
माता के दर्शन करने गया था रोहित
रोहित ने बताया कि वो गिरवाई में बेपुरा माता के मंदिर पर दर्शन करने गया था। फिर वहीं रुक गया था। ऐसे में अब मामले की पड़ताल में इंदरगंज, कोतवाली पुलिस के लिए चुनौती खड़ी हो गई। रोहित ज़िंदा है तो आखिर मंरने वाला शख्स कौन था, जिसका अंतिम संस्कार किया गया।
शव के ले लिये थे फिंगर प्रिंट
ग्वालियर ASP मृगाखि डेका का कहना है की परिजन को सौंपने से पहले शव के फिंगर प्रिंट ले लिए गए थे। फिंगर प्रिंट के आधार पर मरने वाले कि शिनाख्त की जा सकेगी, मृतक के कपड़े और फोटो पुलिस के पास हैं। आगे पड़ताल की जा रही है।