Balaghat. मध्यप्रदेश का बालाघाट जिला नक्सली गतिविधियों के लिए सुर्खियों में रहता है। लेकिन पिछले एक हफ्ते से बालाघाट एक बेहद जुदा मामले को लेकर सुर्खियों में है और चर्चाएं ना केवल बालाघाट बल्कि मप्र, छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र में भी है। चर्चा की वजह है 28 साल का एक युवक। जिसे बालाघाट पुलिस ने रुपए दोगुने करने के झांसे में गिरफ्तार किया है। इस युवक के साथ 9 और लोगों की गिरफ्तारी की गई है। लेकिन बड़ी हैरान करने वाली बात ये है कि जिन लोगों ने इस युवक के झांसे में आकर पैसा निवेश किया वो पुलिस प्रशासन के बजाय इस युवक के सपोर्ट में खड़े हैं। आपको ये जानकर हैरानी होगी कि आम लोग युवक के सपोर्ट में उतर आए तो पुलिस को आंसू गैस के गोले और लाठीचार्ज तक करना पड़ा।
10 करोड़ रुपए की रकम भी बरामद
18 मई को बालाघाट पुलिस ने पैसा दोगुने करने वाले रैकेट का खुलासा किया था। इस मामले में इस रैकेट के मास्टरमाइंड कहे जा रहे सोमेंद्र कंकरायने के साथ उसके साथियों को गिरफ्तार किया। पुलिस ने इस गिरोह के पास से 10 करोड़ रुपए की रकम भी बरामद की थी। पुलिस का कहना है कि पिछले कई दिनों से रकम दोगुना करने की शिकायतें मिल रहीं थीं। पुलिस के मुताबिक ये गिरोह पिछले चार-पांच सालों से बालाघाट के लॉन्जी और किरनापुर में ये काम कर रहा था। गिरोह की टैगलाइन थी 4 महीने में दोगुना पैसा।
रुपए डबल कराने का लालच
एक लाख के दो लाख और 10 लाख के 20 लाख रुपए महज 4 से 6 महीना में डबल होने की ये खबर क्षेत्र में इतनी तेजी से फैलती गई कि बालाघाट जिला ही नहीं बल्कि आसपास के सिवनी, छिंदवाड़ा, जबलपुर, मंडला और महाराष्ट्र के कुछ लोग यहां अपनी मेहनत की कमाई के रुपए डबल कराने के लालच में मोटी रकम लेकर पहुंचने लगे। पता ये भी चला कि पैसा जमा करने वालों की लाइन भी लगती थी। नंबर भी बड़ी देर में आता था। इस लालच में ना केवल लॉन्जी और किरनापुर के बल्कि बालाघाट जिले के हजारों लोगों ने पैसा दोगुना होने के लालच में निवेश किया था।
सोशल मीडिया पर सपोर्ट सोमेंद्र हैशटैग से कैंपेन चल रहा
जब इस रैकेट का पर्दाफाश हुआ और सोमेंद्र कंकरायने की गिरफ्तारी की खबर लगी तो पुलिस कंट्रोल रूम के सामने 18 मई को सैकड़ों लोग इकट्ठा हो गए थे। इतनी तेजी से रकम दोगुनी करने की खबर बालाघाट और आसपास के इलाकों में फैली थी उतनी ही तेजी से सोमेंद्र की गिरफ्तारी की खबर हर जिले तक पहुंच गई। सोमेंद्र कंकरायने को पुलिस ने गिरफ्तार किया है लेकिन इस पूरे मामले का दूसरा पहलू ये है कि सोमेंद्र की गिरफ्तारी से लोग आक्रोशित है। सोमेंद्र की रिहाई के लिए बालाघाट में प्रदर्शन हो रहे हैं। सोशल मीडिया पर सपोर्ट सोमेंद्र हैशटैग से कैंपेन चल रहा है। रैकेट का खुलासा करने वाली पुलिस और प्रशासन कोशिश कर रहा है कि जनता की आंखों पर जो पर्दा पड़ा है। वो उसे दूर करें लेकिन फिलहाल पुलिस को वैसा सपोर्ट नहीं मिल रहा है।
लोगों ने पुलिस और प्रशासन के खिलाफ किया प्रदर्शन
बालाघाट की ये तस्वीरें 19 मई की है। जब फ्रॉड के आरोपी सोमेंद्र कंकरायने की गिरफ्तारी के बाद लोग सड़क पर उतर आए। जब आम आदमी धोखाधड़ी का शिकार होता है तो अक्सर वो पुलिस और प्रशासन के खिलाफ प्रदर्शन करता है। लेकिन यहां उल्टा था। प्रदर्शन करने वाले लोग आरोपी सोमेंद्र की गिरफ्तारी के विरोध में प्रदर्शन करने पहुंचे थे। लोगों को काबू में करने के लिए पुलिस को आंसू गैस के गोले तक छोड़ने पड़े। लाठी चार्ज तक करना पड़ा। हालांकि प्रदर्शन केवल एक दिन हुआ लेकिन सोशल मीडिया पर आरोपी सोमेंद्र के सपोर्ट में कैंपेन शुरू हो गया है, जो कैंपेन चल रहा है। उसमें लोग कैसे-कैसे कमेंट कर रहे हैं, उसे पढ़कर हैरान हो जाएंगे। एक यूजर लिखता है जनता के दुख दर्द को मुस्कान कर दिया। अपने सुख को जनता के लिए कुर्बान कर दिया। अब दूसरा कमेंट देखिए कि आम लोगों की भावनाओं से खिलवाड़ इतनी गंदी राजनीति नहीं देखी। एक और कमेंट लड़ेगी जनता, जीतेगी जनता और विश्वास। यानी सोशल मीडिया पर चल रहे कैंपेन में सोमेंद्र को आम लोगों का मसीहा बताया जा रहा है। पुलिस के मुताबिक दरअसल ये वो लोग है जो सोमेंद्र के पैसा दोगुने करने के बिजनेस से जुड़े थे और बताया जा रहा है यहीं लोग लोगों को भड़काकर प्रदर्शन करवा रहे हैं और सोमेंद्र को मसीहा के रूप में पेश किया जा रहा है। अक्सर जब पैसा दोगुने करने और चिटफंड से जुड़े मामलों में ये देखा गया है कि जब लोग ही धोखाधड़ी का शिकार होते हैं तो पुलिस के पास पहुंचते हैं।
सोमेंद्र के खिलाफ पुख्ता सबूत हासिल करने में जुटी पुलिस
इस मामले में खास बात ये है कि पिछले पांच साल से ये गोरखधंधा चल रहा था लेकिन किसी ने शिकायत नहीं की। जिस तरह से सोशल मीडिया पर कुछ लोग लिख रहे हैं कि लोगों का पैसा नहीं डूबा और जो लोग बवाल मचा रहे हैं वो भी यहां से पैसा डबल करके ले गए हैं। दूसरी तरफ पुलिस को ये भी पता चला है कि सोमेंद्र को जमानत पर रिहा करवाने की भी तैयारियां की जा रही है। इसके लिए जबलपुर के एक सीनियर एडवोकेट को हायर किया जा रहा है। इधर पुलिस सोमेंद्र के खिलाफ पुख्ता सबूत हासिल करने में जुटी है। बताया जाता है कि सोमेंद्र के पास पैसा दोगुना करने लिए पहुंचने वाले लोगों से केवल आधार कार्ड की फोटो कॉपी ली जाती थी और उस पर रकम लिख दी जाती थी। बाकी किसी तरह का कोई डॉक्यूमेंट नहीं लिया जाता था। कानूनी पहलू से देखें तो पुलिस ने सोमेंद्र को गिरफ्तार जरूर किया है और रकम भी बरामद की है लेकिन सूत्र बताते हैं कि ठोस सबूत पुलिस के हाथ में नहीं है इसलिए पुलिस ने हेल्प डेस्क बनाई है और अब लोगों से अपील की जा रही है कि वो बताएं कि उन्होंने कितनी रकम का निवेश किया था। वो आकर निवेश के सबूत दें और प्रशासन ये रकम वापस लौटाएगा।
पुलिस पूछताछ में सोमेंद्र ने बताया कि वो रियल एस्टेट कारोबार से जुड़ा है
पुलिस को अंदेशा है कि जिस तरीके से कुछ लोग सोमेंद्र को की छवि को रॉबिनहु़ड की छवि बनाने में जुटे हैं। वो लोगों को शिकायत करने से भी रोक सकते हैं ताकि सोमेंद्र को कोर्ट से राहत मिल जाएं। इन सब के बीच सवाल ये है कि सोमेंद्र पैसा डबल कर रहा था लेकिन कैसे। पुलिस पूछताछ में सोमेंद्र ने बताया कि वो रियल एस्टेट कारोबार से जुड़ा है और इसी कारोबार में पैसा इन्वेस्ट कर वो लोगों को दोगुनी रकम दे रहा था। हालांकि पुलिस को उसकी बातों पर भरोसा नहीं है। हाल ही में इस मामले को लेकर कलेक्टर और एसपी ने बैठक ली और अंदेशा जताया कि केवल 10 करोड़ नहीं, बल्कि ये 5 हजार करोड़ का फ्रॉड हो सकता है। हालांकि इसके पुख्ता सबूत नहीं है। इसलिए पुलिस ये भी लोगों से अपील कर रही है कि पूरा फर्जीवाड़ा लोगों को बहला-फुसलाकर किया जा रहा है, इसलिए जरूरी है कि लोग जागरूक हों और धोखे के शिकार न हों। यानी ये मामला बेहद उलझा हुआ है और पहली बार ऐसा हो रहा है कि लोगों को पुलिस की बजाय धोखाधड़ी के एक आरोपी पर ज्यादा भरोसा है।
परिवार में होने लगे थे झगड़े
कम समय में रकम दोगनी करने के मामले में जब लोगों को पता चला तो ऐसे युवक अपने माता-पिता, भाई-बहन परिजनों से रुपए की मांग करने लगे पर जब कोई शॉर्टकट तरीके से रुपए कमाने के इस मामले में अपने रुपए नहीं देते थे तो परिवार में रुपए लेने और देने वालों के बीच में ही वाद विवाद होने लगे थे। परिजन जब रुपए नहीं देते थे तो उनके पुत्र और परिजन ही जो इस शॉर्टकट तरीके में जुड़कर जल्दी ही रईस, सम्पन्न होने चाहते थे वह अपने ही परिजनों को बेवकूफ और पिछड़ा कहते थे। इसी के चलते वाद-विवाद भी घरों-घर बढ़ने लगा था।