भोपाल। प्रदेश के कृषि मंत्री कमल पटेल इन दिनों फिर एक स्वघोषित योजना को लेकर चर्चा में हैं। उनके द्वारा प्रचारित इस योजना का नाम है- मेरा गांव, मेरा तीर्थ। इस योजना को लेकर उन्होंने अपने विधानसभा क्षेत्र में अभियान भी शुरू कर दिया है। वे इसे सरकार का अभियान बताकर प्रचारित कर रहे हैं लेकिन हैरानी की बात है कि सरकार की ओर से अब तक ऐसी किसी योजना या अभियान को कोई औपचारिक ऐलान नहीं किया गया है। सरकार के प्रवक्ता से लेकर पंचायतों के सचिव तक इस योजना से अनजान हैं। इस पर कांग्रेस से तंज कसते हुए कटाक्ष किया है कि कमल पटेल ऐसी कई घोषणा कर जाते हैं जिसकी जानकारी मुख्यमंत्री को भी नहीं होती।
मेरा गांव मेरा तीर्थ अभियान: मध्यप्रदेश के कृषि मंत्री कमल पटेल खुद के ही अभियान चलाने को लेकर सुर्खियों में बने रहते हैं। कुछ दिनों पहले कमल पटेल ने किसानों की समस्या को दूर करने के लिए कमल कॉल सेंटर शुरू किया था। ये मामला विधानसभा में उठ गया। कांग्रेस विधायक पीसी शर्मा ने बिना सरकार की कोई जानकारी के इस तरह की योजना शुरू करने को लेकर कटाक्ष भी किया था। वहीं कुछ दिनों पहले कमल पटेल उन किसानों के इंटरव्यू लेते भी नजर आए जो नए पैटर्न से खेती कर रहे हैं। अब कमल पटेल ने नया अभियान शुरू किया है मेरा गांव मेरा तीर्थ अभियान। कमल पटेल इस अभियान को सरकार का अभियान बताकर प्रचारित कर रहे हैं लेकिन सरकार की ओर से अब तक ऐसी किसी योजना का औपचारिक ऐलान नहीं किया गया है। द सूत्र ने इस अभियान को लेकर पंचायत सचिवों से भी बात की तो उन्होंने भी ऐसे किसी अभियान से इनकार कर दिया। अब कमल पटेल के अभियान पर कांग्रेस जरूर तंज कस रही है।
20 फरवरी को अपने गृहग्राम से की शुरूआत: मेरा गांव मेरा तीर्थ अभियान की शुरूआत कमल पटेल ने हरदा जिले के अपने गृहग्राम बारंगा से 20 फरवरी 2022 को शुरू की। इसमें उन्होंने ग्रामीणों को संकल्प दिलाया कि गांव को नशा मुक्त बनाएंगे.. स्वच्छ बनाएंगे.. गाय पालेंगे.. जैविक खेती करेंगे और सामाजिक समरसता बनाए रखेंगे। इस अभियान को लेकर प्रचारित किया गया कि तीर्थाटन योजना के बाद जल्द ही मप्र सरकार 52 जिलों के 55 हजार 903 गांवों में ये अभियान शुरू करेगी। बकायदा स्थानीय अखबारों में ऐसी खबरें भी छपीं। लेकिन सरकार को तो इस बारे में पता ही नहीं।
नरोत्तम ने दिया गोलमोल जवाब, सचिवों को जानकारी ही नहीं: द सूत्र ने मप्र सरकार के प्रवक्ता और गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा से पूछा तो वो पहले चौंक गए कि ये क्या योजना है? फिर बात संभालते हुए बोले कि योजना अभी प्रोसेस में है। यानी गृहमंत्री ने जैसे तैसे बात संभाली लेकिन सरकार कोई योजना या अभियान की शुरूआत करती है तो बकायदा एक विभाग को उसकी नोडल एजेंसी बनाया जाता है। अब चूंकि ये गांवों से जुड़ा अभियान है तो फिर पंचायत और ग्रामीण विकास विभाग इसके लिए जिम्मेदार होगा। विभाग की सबसे छोटी इकाई पंचायत होती है। द सूत्र ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के गृहग्राम जैत के पंचायत सचिव सत्यनारायण तिवारी, पंचायत मंत्री महेंद्र सिंह सिसोदिया के गृह जिले गुना की पंचायत अगरा के रोजगार सहायक जूयन एस भिलाला और कृषि मंत्री कमल पटेल के विधानसभा की पंचायत चारूवा के रोजगार सहायक राजेंद्र नामदेव से बात की तो उन्होंने कहा कि अभी ऐसी कोई सूचना नहीं है और न ही ऐसा कोई आदेश अभी आया है। यानी पंचायत सचिवों को भी नहीं पता।
खुद के अभियान के सरकार की योजना क्यों बता रहे कमल पटे: सवाल उठता है कि आखिर कमल पटेल ये क्यों प्रचारित कर रहे हैं कि ये सरकार का अभियान है तो द सूत्र ने कमल पटेल से ही बात करने की कोशिश की। मंत्रीजी की व्यवस्तता को देखते हुए उनके सहयोगी आकाश पटेल ने ही बता दिया कि ये तो साहब की योजना है सरकार की नहीं। साहब अपने स्तर पर कोई योजना चलाएं तो किसी को कोई परेशानी नहीं है क्योंकि साहब तो लोगों को जागरूक ही कर रहे हैं। लेकिन बड़ा सवाल यह है कि यदि ये कमल पटेल का स्वयं का अभियान है तो वैसे ऐसा प्रचारित क्यों कर रहे हैं कि सरकार जल्द यह योजना शुरू करने वाली है। कमल पटेल कैबिनेट मंत्री है और वो जो कह रहे हैं उसे कहीं ना कही सरकार का फैसला माना जाएगा।
कांग्रेस ने कहा- हिडन मुख्यमंत्री की तरह काम करते हैं कमल पटेल: कांग्रेस ने इस पूरे मामले पर चुटकी ली है। कांग्रेस नेता भूपेंद्र गुप्ता ने कहा कि कमल पटेल एक हिडन मुख्यमंत्री की तरह काम करते हैं। वे ऐसी कई योजनाओं की घोषणा कर देते हैं जिनकी जानकारी सीएम तक को नहीं रहती, कैबिनेट को पता नहीं रहती। कमल पटेल उत्साह में ये भूल जाते हैं कि किसी भी सरकार में एक सिस्टम होता है, सिस्टम के अंतर्गत काम होना चाहिए। यदि मेरा गांव मेरा तीर्थ कोई योजना बना ली है तो कैबिनेट के माध्यम से जनता तक पहुंचनी चाहिए। मंत्री जी खुद ही योजना बना लेंगे और खुद ही चालू हो जाएंगे। शिवराज जी को बताना चाहिए कि क्या उन्होंने ऐसी कोई योजना बनाई है और यदि नहीं बनाई तो मंत्रियों को बताएं कि आखिर सिस्टम होता क्या है।