राजीव उपाध्याय, JABALPUR. मेडिकल यूनिवर्सिटी (Medical University) में रिवैल्युएशन (Revaluetion) का नियम नहीं होने के बाद भी आंसरशीट (Answersheet) में मनमाने तरीके से नंबर बढ़ाकर कई फेल स्टूडेंट को पास घोषित कर दिया गया। परीक्षाओं (Exams) से जुड़े दस्तावेजों में भी बड़े पैमाने पर हेरफेर किया गया है। ये सभी गड़बड़ियां मप्र हाईकोर्ट (MP High Court) के लिए यूनिवर्सिटी में जांच के लिए गठित कमेटी की रिपोर्ट में सामने आईं हैं। इस मामले में द सूत्र से चर्चा में यूनिवर्सिटी के रजिस्ट्रार (Registrar) ने भी कई स्टूडेंट की आंसरशीट के नियमों के खिलाफ रिवैल्युएशन कराए जाने की पुष्टि की है।
जांच में कई गड़बड़ियां सामने आईं
मेडिकल यूनिवर्सिटी की परीक्षाओं में गड़बड़ी की शिकायत मिलने पर हाईकोर्ट के आदेश पर जस्टिस (रिटा.) केके त्रिवेदी (Rtd Justice KK Trivedi) की अध्यक्षता में 14 अक्टूबर 2021 को पांच सदस्यीय जांच कमेटी बनी थी। कमेटी ने मामले की जांच करके हाल ही में रिपोर्ट सरकार के सामने पेश की। जांच रिपोर्ट में बताया गया कि यूनिवर्सिटी के परीक्षा नियंत्रक ने परीक्षा का रिजल्ट देर से घोषित किया। इससे छात्रों को बेहद कठिनाई का सामना करना पड़ा। 13 छात्रों की आंसरशीट का रिवैल्युएशन कराया गया। जबकि यूनिवर्सिटी के अध्यादेश में आंसरशीट के पुनर्मूल्यांकन का कोई प्रावधान नहीं है।
नामांकन डाटा, परीक्षा आवेदन के नामों में भी अंतर
परीक्षाओं के लिए नामांकन डाटा, परीक्षा आवेदन के नामों में भी अंतर होने की गड़बड़ी सामने आई। लेकिन इन सभी गड़बड़ियों पर कोई कार्रवाई नहीं की गई। इसमें 278 छात्रों के नामों का मिलान जब परीक्षा के दस्तावेज और नामांकन के दस्तावेज से किया गया तो दोनों का मिलान नहीं हुआ। जांच कमेटी ने अपने रिकार्ड में माइंडलाजिस्टिक एजेंसी का भी जिक्र किया। माइंडलॉजिस्टिक एजेंसी यूनिवर्सिटी में परीक्षा कार्य करने के लिए अनुबंधित एजेंसी थी। माइंडलाजिस्टिक के डायरेक्टर ने लिखित शिकायत में यूनिवर्सिटी के तत्कालीन रजिस्टार पर परीक्षा कार्य कराने वाली एजेंसी से रिश्वत लेने का आरोप लगाया था। कमेटी ने रिपोर्ट में लिखा कि यूनिवर्सिटी के द्वारा परीक्षाओं के डेटा के लिए सरकारी ई-मेल के बजाए जी-मेल का उपयोग किया गया।
रजिस्ट्रार की सफाई-मैंने बंद कराया रिवैल्यूएशन
मेडिकल यूनिवर्सिटी के वर्तमान रजिस्ट्रार डॉ प्रभात बुधौलिया पर भी आरोप है कि उन्होंने जांच में सहयोग नहीं किया। इस आरोप के बारे में डॉ बुधौलिया ने द सूत्र से कहा कि मैंने कमेटी को जांच में पूरा सहयोग दिया है। दस्तावेज उपलब्ध कराने में कुछ विलंब हो सकता है लेकिन जो दस्तावेज मांगे गए वे सभी उपलब्ध कराए गए। 13 मेडिकल छात्रों की उत्तर पुस्तिकाओं का पुनर्मूल्यांकन कराए जाने की जो गड़बड़ी सामने आई है वह सही है। यूनिवर्सिटी के अध्यादेश में आंसरशीट का रिवैल्यूएशन कराने का प्रावधान नहीं है। लेकिन यहां यह सब हो रहा था। इससे भी बढ़कर यहां स्पॉट वैल्यूएशन चलता था। यह सब गैरकानूनी कार्य मैंने यहां ज्वाइनिंग के बाद बंद कराया।
2011 में शुरू हुई यूनिवर्सिटी
मध्यप्रदेश मेडिकल यूनिवर्सिटी वर्ष 2011 में जबलपुर में शुरू हुई। 2015 में इस यूनिवर्सिटी के द्वारा पहली बार परीक्षा ली गई। इससे एमबीबीएस, डेंटल,नर्सिंग,आयुर्वेद, यूनानी, होम्योपैथी, प्राकृतिक चिकित्सा, पैरामेडिकल कोर्स से संबंधित कॉलेज एफिलेटेड हैं।