Jabalpur. 27 जुलाई से जिला पंचायत और जनपद पंचायत अध्यक्षों के चुनाव को लेकर सम्मेलन होने जा रहा है। जिसको लेकर बीजेपी और कांग्रेस ने अपने समर्थित सदस्यों की बाड़ेबंदी शुरू कर दी है। डर है कि कहीं से विरोधी हांका न लगा दें। अव्वल तो ये चुनाव दलीय आधार पर होते नहीं इस कारण अपने साथ हुई सेंधमारी को अदालत में चुनौती भी नहीं दी जा सकती। जबलपुर ही नहीं आसपास के कई जिलों के जनपद और जिला पंचायत सदस्यों का जमावड़ा छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में जमा हुआ है। दूसरी तरफ बीजेपी भी नगरीय निकाय चुनाव में हार की पीड़ा झेलकर किसी तरह की गफलत नहीं करना चाह रही और उसने अपने समर्थक सदस्यों को अलग-अलग स्थानों पर भेजकर भोपाल में इकट्ठा करने का इंतजाम कर लिया है।
कांग्रेस के पास सदस्य ज्यादा तो सतर्कता भी ज्यादा
पंचायत चुनावों में भाजपा के मुकाबले कांग्रेस समर्थित जनपद और जिला पंचायत सदस्यों की संख्या ज्यादा आंकी जा रही है। जिसके चलते सतर्कता भी ज्यादा होना लाजमी है। इसलिए उन्हें किसी भी प्रकार के दबाव से बचाने कांग्रेस शासित छत्तीसगढ़ के रायपुर में भेजा जा रहा है। दूसरी तरफ बीजेपी प्रदेश को ही अपने सदस्यों के लिए सुरक्षित मान रही है और भोपाल की होटल में उनके लिए रुकने का इंतजाम किया जा रहा है। कांग्रेस की सतर्कता कमलनाथ के उस बयान से ही समझी जा सकती है जिसमें उन्होंने कहीं पर भी गड़बड़ी की जानकारी मिलने पर हेलीकॉप्टर तैयार रखने वाला बयान दिया था।
सदस्यों के पलटी मारने का नहीं कोई इलाज
चूंकि पंचायत के चुनाव पार्टी सिंबॉल पर नहीं होते इसलिए राजनैतिक दल इसमें सीधे-सीधे शामिल भी नहीं हो सकते। यही कारण है कि पार्टी किसी भी सदस्य के लिए व्हिप भी जारी नहीं कर सकती। और ऐसे में यदि कोई सदस्य खुदको अमुक पार्टी का सदस्य बताकर दूसरी पार्टी को वोट दे दे तो उसके खिलाफ पार्टी कोई कार्रवाई भी नहीं कर सकती। यही कारण है कि इन चुनावों में सबसे ज्यादा क्रॉस वोटिंग होती आई है। यही कारण है कि कांग्रेस इतने अच्छे परफॉर्मेंस के बाद भी क्रॉस वोटिंग को लेकर घबराई हुई है।