तीसरी आंख: MP की सभी कॉलोनियों और व्यावसायिक इमारतों में CCTV कैमरा लगाना होगा अनिवार्य

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तीसरी आंख: MP की सभी कॉलोनियों और व्यावसायिक इमारतों में CCTV कैमरा लगाना होगा अनिवार्य

हरीश दिवेकर । भोपाल. भोपाल-इंदौर (Bhopal Indore) में पुलिस कमिश्नर सिस्टम (Police Commissioner System) लागू करने के बाद अब राज्य सरकार जनसुरक्षा कानून (State Government Public Safety Act) लाने जा रही है। देश एवं प्रदेश में बढ़ रहे हाइटेक क्रिमिनल चैलेंज (Hi-Tech Criminal Challenge) को देखते हुए इस कानून का प्रस्ताव आगामी कैबिनेट बैठक (Cabinet meeting) में लाने की तैयारी है। पब्लिक सेफ्टी एवं सिक्योरिटी (Public Safety and Security) को देखते हुए कॉलोनियों और व्यावसायिक प्रतिष्ठानों (Colonies and Commercial Establishments) में सीसीटीवी कैमरे (CCTV Cameras) लगाना अनिवार्य किया जाएगा। प्रदेश में डेवलप होने वाली नई कॉलोनियों में सुरक्षा के लिहाज से सीसीटीवी कैमरे लगाना अनिवार्य किए जा सकते हैं। इसके लिए टाउन एंड कंट्री प्लानिंग एक्ट (Town and Country Planning Act) में भी संशोधन किया जाएगा। दरअसल वर्तमान में एक हजार की आबादी पर मौजूद पुलिस बल राष्ट्रीय औसत से कम है। शहरों में हो रहे डेवलपमेंट (Development) और उनके बढ़ते हुए आकार को देखते हुए आवागमन के साधनों से अपराधियों पर निगाह रखना एवं उन पर कंट्रोल करने के लिए वैधानिक तरीकों को अपनाना जरूरी हो गया है।

मप्र जन सुरक्षा विनियमन विधेयक

प्रस्ताव के अनुसार रहवासी कॉलोनियों एवं प्रदेश में डेवलप हो रही नई कॉलोनियों में सिक्योरिटी मैनेजमेंट एवं क्राईम एक्टिविटीज (Security Management and Crime Activities) को कंट्रोल करने के लिए मप्र जन सुरक्षा विनियमन विधेयक (MPGSecurity Regulation bill) लाया जा रहा है। इस विधेयक में सुरक्षा संबंधी प्रावधान करना आवश्यक हो गया है। इसके लिए टाउन एंड कंट्री प्लानिंग सहित भूमि विकास नियम और दुकान तथा स्थापना नियमों में बदलाव कर सीसीटीवी कैमरे लगाना अनिवार्य किया जाएगा। प्रदेश के बैंकों की सुरक्षा को देखते हुए उनके सभी सीसीटीवी कैमरों की फीड सीधे इंटीग्रेटेड कंट्रोल एंड कमांड सेंटर (Integrated Control and Command Center) में दी जाएगी, जिससे उन पर 24 घंटे निगरानी रखी जा सके। 

सीसीटीवी कैमरे की रिकॉर्डिंग देना अनिवार्य होगा

प्रस्तावित कानून लागू होने के बाद किसी क्षेत्र में अपराध होने के बाद उसके आस—पास निजी आवास या व्यावसायिक संस्थान में लगे सीसीटीवी कैमरों की रिकॉर्डिंग पुलिस के मांगने पर तत्काल देना अनिवार्य होगा। इंकार करने पर उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जा सकेगी। वर्तमान में पुलिस जब निजी लोगों से सीसीटीवी फुटेज मांगती है, तो कई बार ऐसी स्थिति बनी है कि लोग पुलिस से कोर्ट का ऑर्डर मांगते है। निजी संपत्ति होने के कारण पुलिस उस स्थिति में कोई आवश्यक कदम नहीं उठा पाती है। कानून लागू होने के बाद निजी सीसीटीवी फुटेज देने की बाध्यता हो जाएगी। 

4 साल से धूल खा रहा है प्रस्ताव

इंटेलीजेंस (Intelligence) के तत्कालीन एडीजी राजीव टंडन (ADG Rajeev Tandon) ने जनवरी 2018 में जन सुरक्षा कानून का प्रस्ताव बनाकर भेजा था। उन्होंने भारत सरकार से अप्रैल 2017 में एक एडवाइजरी का हवाला देते हुए कहा था कि मुंबई में सायबर कैफे से ई-मेल भेजा गया कि विमान अपहरण का षडयंत्र रचा गया। उक्त सायबर कैफे में न तो सीसीटीवी कैमरा था और न ही आने वाले ग्राहकों का लेखा-जोखा था। इसके मद्देनजर भारत सरकार ने इस पर चिंता व्यक्त की थी। प्राय: अधिकांश सायबर कैफेओं में न तो सीसीटीवी कैमरे लगे होते हैं और न ही ग्रहकों का लेखा-जोखा। एडीजी ने कुछ घटनाओं का हवाला देते हुए कहा था कि क्रिमनल के भागने एवं उनके छुपकर रहने के लिए, देश में बढ़ रही टेरेरिस्ट एक्टिविटीज एवं हाइटेक क्रिमिनल चैलेंज को देखते हुए और पब्लिक सेफ्टी एवं सिक्योरिटी को देखते हुए कॉलोनियों एवं दूकानों में सीसीटीवी कैमरे लगाना अनिवार्य करने के लिए एक्ट में प्रावधान किया जाए। लेकिन इस प्रस्ताव पर न तो गृह विभाग (Home Department) ने ध्यान दिया और न ही नगरीय प्रशासन विभाग ने। 

दिल्ली में लगे कितने सीसीटीवी कैमरे

दिल्ली (Delhi) में पिछले सात सालों में  2,75,000 CCTV कैमरे लग चुके हैं। इन आंकड़ों का आधार एक संस्था का सर्वे है। इस सर्वे के मुताबिक 1826 सीसीटीव कैमरा प्रति 1 मील की दूरी पर  दिल्ली के अंदर लगे हुए हैं, जबकि दूसरे नंबर पर लंदन आता है। जहां 1138 कैमरे प्रति मील लगे हुए हैं। यदि सरकार तीन साल पहले इस कानून को लागू करती, तो शायद मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) भी देश में सीसीटीवी कैमरे से लैस होने वाले राज्यों की श्रेणी में अग्रसर होता।

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