नरसिंहगढ़. गणतंत्र दिवस (Republic Day) पर शिक्षकों, होनहार छात्रों और सेनानायकों का सम्मान किया जाता है। लेकिन राजगढ़ (Rajgarh) के नरसिंहगढ़ (Narsinghgarh) में एक अजीबोगरीब मामला सामने आया। यहां एक शिक्षक (teacher) को सम्मानित करने के लिए बाकायदा न्योता भेजा गया। शिक्षक कार्यक्रम (Program) में पहुंचा भी, लेकिन इसे सिस्टम की बदहाली ही कहा जाएगा कि सम्मान सूची में उनका नाम ही नहीं था। स्कूल का कायाकल्प करने के लिए इन शिक्षक की कलेक्टर (Collector) भी तारीफ कर चुके हैं। शिक्षक ने अपने पैसे से स्कूल में कई काम करवाए हैं।
ये है पूरा मामला : नरसिंहगढ़ ब्लॉक के शासकीय प्राइमरी स्कूल में पदस्थ शिक्षक हिम्मत सिंह मीणा को गणतंत्र दिवस के मौके पर सम्मानित किया जाना था। कलेक्टर द्वारा सम्मानित करने का कार्यक्रम था। लेकिन शिक्षक को अपमानित होकर लौटना पड़ा है क्योंकि उन्हें सम्मानित नहीं किया गया। जबकि कार्यक्रम आयोजन के एक दिन पहले वरिष्ठ अधिकारी द्वारा इन शिक्षक को जिला मुख्यालय पर सम्मान हेतु सूचना दी गई थी। शिक्षक निर्धारित समय पर कार्यक्रम स्थल पर उपस्थित हुए। न तो उनसे किसी ने बात की और न ही सम्मानित किया। शिक्षक बिना सम्मान के ही वापस 100 किलोमीटर दूर अपने गांव लौट गए।
दो शिक्षकों ने बदली अपने स्कूल की तस्वीर: राजगढ़ कलेक्ट्रेट के फेसबुक पेज पर 24 जनवरी 2022 को एक पोस्ट लगाई गई थी। जिसमें उल्लेख किया गया था कि हमें अपना काम ईमानदारी से करना चाहिए। हम जो काम करें और जहां रहे, उसे अपना मानेगें, तो ही परिणाम बेहतर होंगे। यह कहना है छापरीकलां प्राथमिक विद्यालय के शिक्षक हिम्मत सिंह मीणा का। हिम्मत सिंह दो साल पहले श्योरपुर जिले से ट्रांसफर होकर राजगढ़ जिले के नरसिंहगढ़ ब्लॉक में आने वाले छापरीकलां प्राथमिक स्कूल में पोस्टेड हैं।
सैलेरी से स्कूल में काम कराया: जब वे छापरीकलां प्राथमिक स्कूल में जॉइनिंग करने पहुंचे थे, तो स्कूल बहुत खराब स्थिति में था। बिल्डिंग का प्लास्टर और फर्श जगह-जगह से उखड रहा था। बच्चों के बैठने के लिए दरी-टाट, पट्टी भी नहीं थी और छात्रों की संख्या भी महज 10 थी। स्कूल बंद होने की कगार पर था। यह सब देखकर उन्हें बड़ी शर्मिंदगी महसूस हुई। उन्होंने स्कूल बिल्डिंग और कम छात्रों को देखते हुए अपने स्कूल के कायाकल्प करने की ठानी। हिम्मत सिंह ने छापरीकलां के ग्रामीणों को अपनी बात बताई और संकल्प दोहराया। उन्होंने अपनी सैलरी से लगभग 80 हजार रूपए लगाकर स्कूल बिल्डिंग का फर्श सुधरवाया, रंग-रोगन और वाल-पेंटिग करवाई। वे अपने छात्रों के लिए मूलभूत सुविधाएं जुटाने में भी पीछे नहीं रहते। इस तरह उन्होंने छात्रों के लिए दरी, कॉपी और पेन-पेंन्सिलें भी मुहैया करवाई।
यह सब देखकर ग्रामीणों ने भी 40 हजार रूपए स्कूल को दिए, जिससे कुर्सी-टेबलों आदि की व्यवस्था की गई। स्कूल में छात्रों की संख्या बढ़ाने के लिए गांव में जनजागरूकता अभियान चलाया गया। इस सब का नतीजा यह हुआ कि पहले स्कूल में 10 बच्चे पढ़ने आते थे, अब यहां 35 छात्र पढ़ते हैं। शिक्षक हिम्मत सिंह ने बताया कि वे अपने कर्म से कभी पीछे नहीं हटते हैं। इसमें परिवार के लोग भी उनका पूरा साथ देते हैं। उन्होंने अपने बेटे का एडमिशन इसी स्कूल में करवाया है। इस स्कूल के शिक्षक हिम्मत सिंह और सुरेश तिवारी ने चर्चा के दौरान बताया कि स्कूल सिर्फ हमारा है। यह सोचने मात्र से स्कूल अच्छा नहीं हो जाएगा। शिक्षकों और छात्रों को स्कूल में उत्तम व्यवस्थाओं के लिए उसे अपना नहीं 'मेरा स्कूल' समझना होगा।
टीचर ने वीडियो जारी कर ये कहा: हिम्मत सिंह ने कहा कि मुझे मेरे स्कूल में उत्कृष्ट कार्य करने के लिए जिला स्तर सम्मान समारोह में गणतंत्र दिवस के उपलक्ष्य पर बुलाया गया था। फोन पर यह सूचना मुझे रात में दी गई थी। फोन पर अधिकारियों का कहना था कि मुझे 8 बजे कार्यक्रम स्थल पर पहुंचना है। मैं अपने घर से 100 किलोमीटर दूर राजगढ़ गया। जहां पर मुझे पता चला कि मेरा नाम सम्मान समारोह की लिस्ट में नहीं है। मुझे इस बात का दुःख नहीं है कि सम्मान नहीं मिला। मुझे किसी के सम्मान या प्रशंसा-पत्र की जरूरत नहीं है। मुझे दुःख इस बात का है कि मैं गणतंत्र दिवस के मौके पर अपने कार्यस्थल पर उपस्थित नहीं था। और मेरा समय बर्बाद किया गया। मैंने जो भी कार्य किया है, वह किसी से सम्मान पाने के लिए नहीं किया है। मैंने मन की संतुष्टि और बच्चों के भविष्य के लिए कार्य कर रहा हूं। हां, मैं इस घटना क्रम से बहुत दुखी हूं। मैं केवल यह चाहता हूं कि जिसकी वहज से ये बस कुछ हुआ है। उस पर कड़ी कार्रवाई हो।
(राजगढ़ से बीरंपुरी गोस्वामी की रिपोर्ट)