हजारों का प्रीमियम और 200, 500 रु. का मुआवजा, इधर रिकार्ड राशि बांटने के दावे

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हजारों का प्रीमियम और 200, 500 रु. का मुआवजा, इधर रिकार्ड राशि बांटने के दावे

भोपाल. मप्र सरकार (mp government) खुद को किसानों (Farmers) की सरकार होने का दावा करती है लेकिन हर बार किसान ठगा जाता है। इस बार भी ऐसा ही हुआ है। दो दिन पहले ही बैतूल (Betul) में सरकार की तरफ से खरीफ 2020 और रबी सीजन की 2020-21 की फसल बीमा (Crop Insurance) राशि का वितरण किया गया। जोर-शोर से सरकारी कार्यक्रम किया गया लेकिन किसानों को जो मुआवजा मिला वो ऊंट के मुंह के जीरे के समान है। किसी को 200 रुपए तो किसी को 500 रुपए का मुआवजा (Compensation) मिला। जबकि फसल का नुकसान इससे कही ज्यादा हुआ है। कुछ किसानों को तो प्रीमियम (Premium) की राशि से भी कम राशि राहत के रूप में मिली है। 



खंडवा में जांच की मांग: भारतीय किसान संघ ने कलेक्ट्रेट पहुंचकर मुख्यमंत्री (Chief Minister) के नाम ज्ञापन (Memorandum) सौंपा। किसानों ने फसल बीमा राशि आवंटन की उच्चस्तरीय जांच की मांग की है। भाकिसं जिलाध्यक्ष जय पटेल ने बताया कि प्रधानमंत्री फसल बीमा (Prime Minister Crop Insurance) राहत राशि में कई तरह की विसंगतियां की गईं हैं। एक ही पटवारी हल्के में किसी किसान को हजारों रुपए बीमा राहत राशि दी गई है। जबकि उसी पटवारी हल्के के कई किसानों को नाम मात्र की राशि दी जा रही है। ये जांच का विषय है। रबी-खरीफ फसल बीमा लाभांवित किसानों का आंकड़ा भी अलग-अलग दर्शाया जाए। 



वहीं भाकिसं संभागीय मंत्री नरेंद्र पटेल ने बताया कि उनकी बरूड़ में साढ़े 6 एकड़ जमीन है। उन्हें फसल बीमा राशि का जो मैसेज मिला है, उसमें 1200 रुपए खाते में आना दर्शाए है। अब सवाल ये उठता है कि बीमा कंपनी ने किस तरह से राशि वितरण की है। पौने दो सौ रुपए प्रति एकड़ का मुआवजा दे रहे हैं। किसान हरेराम पटेल ने बताया कि उनकी 5 एकड़ की फसल का बीमा कुल 796 रुपए मिला है। जबकि इस फसल का बीमा प्रीमियम ही उन्होंने 1560 रुपए भरा था। खंडवा कलेक्टर अनूप कुमार सिंह ने बताया कि साल 2020-21 खरीफ और रबी की बीमा राशि का भुगतान किया गया है। अभी बीमा राशि की सूची नहीं आई है। इसलिए असमंजस की स्थिति है कि किसानों को रबी की फसल का बीमा मिल रहा है या फिर खरीफ की फसल का। जैसे ही हमारे पास सूची आएगी, किसानों को अवगत करा दिया जाएगा।



बीजेपी विधायक को देना पड़ रहा ज्ञापन: गुरूवार को शमशाबाद विधायक राजश्री सिंह और पूर्व विधायक रूद्र प्रताप सिंह कलेक्ट्रेट पहुंचे। यहां उन्होंने कलेक्टर उमाशंकर भार्गव को ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन के जरिए विधायक ने बताया कि किसानों के खाते में बीमा की राशि आई। बैंक खाते में डलने के बाद बैंक वाले इस राशि को कर्ज में काट रहे हैं। इससे किसानों में नाराजगी है। किसानों का कहना है कि चूंकि अभी हमें पैसे की जरूरत है इसलिए पैसा नहीं काटा जाए। फसल की तुलाई के समय पैसा काट लिया जाए। इस संबंध में हमने सीएम शिवराज सिंह चौहान से बात की थी। उन्होंने बीमा राशि खाते में पहुंचने के 7 दिन के भीतर नया केसीसी बनाकर किसानों को देने के कलेक्टर को आदेश दिए हैं। वहीं, कांग्रेस ने भी इस मसले का विरोध किया और कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा। विदिशा कांग्रेस जिला अध्यक्ष निशंक जैन ने बताया कि बड़े-बड़े विज्ञापनों के साथ कहा कि एक क्लिक में किसानों के खाते में पैसा डालेंगे। किसानों ने पैसा खर्च करके बीमा कराया। एक तरफ सरकार इसे एहसान बता रही है। वहीं, दूसरी तरफ सरकार बीमा की राशि कर्ज में काट रही है। 



उज्जैन और मंदसौर के किसान ठगे गए: मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक मंदसौर में किसानों के खाते में करीब 370 करोड़ रु. डालने का दावा किया। लेकिन मंदसौर के किसानों का कहना है कि एक पैसा भी नहीं आया। वहीं, उज्जैन में भी मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक किसानों के खाते में अबतक राहत राशि नहीं पहुंची और कुछ किसानों को खंडवा के ही किसानों की तरह 200 से 500 रु. मुआवजा मिला। यानी किसान फिर सरकार के वादे में उलझ गए और हाथ आई राशि उंट के मुंह में जीरे के समान है।


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