PANNA. पन्ना टाइगर रिजर्व (PANNA TIGER RESERVE) का 55 वर्षीय नर हाथी रामबहादुर (MALE ELEPHANT) इन दिनों कैद में है। इस भारी-भरकम डीलडोल वाले हाथी को बेड़ियों और मोटी जंजीरों से बांधकर रखा गया है। दरअसल इस हाथी ने विगत 4 जुलाई को सुबह अपने ही महावत बुधराम रोटिया (56 वर्ष) को बेरहमी के साथ दांत से दबाकर मार दिया था। दिल दहला देने वाली इस घटना के बाद यह हाथी जंगल में फरार हो गया, जिसे बड़ी मशक्कत के बाद ट्रेंकुलाइज कर जंजीरों से जकड़ा गया है। क्षेत्र संचालक उत्तम कुमार शर्मा ने बताया कि विगत 4 जुलाई को सुबह पन्ना टाइगर रिजर्व के नर हाथी रामबहादुर ने अपने महावत बुधराम रोटिया को दांत से दबाकर मारने के बाद जंगल में फरार हो गया था। चूंकि हाथी मस्त में है, इसलिए वह आक्रामक और खतरनाक हो चुका है। हाथी को आबादी क्षेत्र के आसपास जाने से रोकने के लिए पूरी रात वन कर्मियों व महावतों की टीम उसे ट्रैक करती रही। मैं स्वयं जंगल में जाकर पूरी स्थिति पर नजर रखे रहा। श्री शर्मा ने बताया कि हाथी रामबहादुर इस कदर आक्रामक हो चुका है कि महावतों को डेढ़-दो सौ मीटर दूर से ही खदेड़ने लगता है। इसके बावजूद टीम पूरे समय हाथी का पीछा करती रही।
खुद कैंप की ओर लौटा हाथी
जंगल में विचरण करते हुए हाथी रामबहादुर 5 जुलाई को रात में अपने आप हिनौता हाथी कैंप की तरफ रुख किया। क्षेत्र संचालक उत्तम कुमार शर्मा ने बताया कि जैसे ही उन्हें इस बात की जानकारी लगी कि रामबहादुर हिनौता कैंप की तरफ आ रहा है, आनन-फानन वहां से उम्रदराज हथिनी वत्सला को रात 3:00 बजे हटाकर दूर सुरक्षित जगह पर ले जाया गया। मालूम हो कि नर हाथी रामबहादुर मस्त के दौरान दो बार हथनी वत्सला पर हमला कर उसे बुरी तरह से घायल कर चुका है। लंबे समय तक चले उपचार के बाद बमुश्किल वत्सला की जान बचाई जा सकी है। इस बात को दृष्टिगत रखते हुए रात में ही वत्सला को हिनौता कैंप से हटा दिया गया, ताकि कोई अप्रिय स्थिति निर्मित न हो।
हिनौता हाथी कैंप में किया गया ट्रेंकुलाइज
मस्ती में डूबा हाथी रामबहादुर जंगल में विचरण करते हुए सुबह लगभग 5:00 बजे अपने आप हिनौता हाथी कैंप में आ पहुंचा। हाथी के यहां पहुंचने पर सबसे बड़ी समस्या उसे नियंत्रित करने की थी, क्योंकि उसके आसपास कोई जा नहीं सकता था। इसलिए उसे ट्रेंकुलाइज कर जंजीर से बांधने के अलावा दूसरा कोई रास्ता नहीं था। इसलिए आनन-फानन निर्णय लिया गया और हाथी को ट्रेंकुलाइज करने की तैयारी शुरू की गई। पन्ना टाइगर रिजर्व के वन्य प्राणी चिकित्सक डॉ. संजीव कुमार गुप्ता रेस्क्यू टीम के साथ हिनौता पहुंच गये। क्षेत्र संचालक श्री शर्मा बताते हैं कि 5 जुलाई को सुबह लगभग 9:30 बजे नर हाथी रामबहादुर को डॉक्टर संजीव कुमार गुप्ता ने डॉट लगाकर ट्रेंकुलाइज किया। हाथी के बेहोश होने पर भी कोई उसके पास जाने को तैयार नहीं था। चार घंटे की मशक्कत के बाद हाथी को बेड़िया पहनाकर उसे मोटी जंजीरों से बांधा गया। श्री शर्मा ने बताया कि नर हाथी की सघन निगरानी की जा रही है। पूरे घटनाक्रम की रिपोर्ट उच्च अधिकारियों को भेज दी गई है। ऊपर से जिस तरह के निर्देश प्राप्त होंगे उसी के अनुरूप आगे की कार्यवाही की जाएगी। तब तक हाथी रामबहादुर इसी तरह जंजीरों से कैद रहेगा।
1993 में छत्तीसगढ़ से पकड़ा गया था हाथी
छत्तीसगढ़ के जंगल में पले बढ़े इस हाथी को वर्ष 1993 में पकड़ा गया था। उस समय हाथी की उम्र 25- 26 वर्ष के लगभग थी। महावत बुधराम तभी से इस हाथी के साथ हमेशा रहा है। क्षेत्र संचालक पन्ना टाइगर रिजर्व उत्तम कुमार शर्मा ने बताया कि सितंबर 2002 में संजय टाइगर रिजर्व से नर हाथी रामबहादुर को पन्ना लाया गया था। हाथी के साथ ही महावत बुधराम भी पन्ना आया और तभी से वह निरंतर इस हाथी के सानिध्य में रहकर उसकी देखरेख करता रहा है। पन्ना टाइगर रिजर्व में हाथियों के कुनबे में अधिकांश बच्चे
रामबहादुर के ही हैं, इस तरह से इसको पन्ना के हाथियों का सिरमौर कहा जा सकता है। विशाल डीलडोल वाले इस हाथी का उपयोग बाघ पुनर्स्थापना योजना के दौरान रेस्क्यू व बाघों को ट्रेंकुलाइज करने में सबसे ज्यादा हुआ है।
दो बार कर चुका है हथिनी वत्सला पर हमला
दुनिया की सबसे बुजुर्ग हथिनी मध्य प्रदेश में स्थित पन्ना टाइगर रिजर्व की वत्सला है, जिसकी उम्र लगभग 105 वर्ष बताई जा रही है। पन्ना टाइगर रिजर्व की यह उम्रदराज हथनी दो बार मौत को चकमा दे चुकी है। हाथी रामबहादुर मस्त के दौरान दो बार हथिनी वत्सला पर प्राणघातक हमला कर चुका है। वन्य प्राणी चिकित्सक डॉ एस.के. गुप्ता बताते हैं कि पन्ना टाइगर रिजर्व के नर हाथी रामबहादुर ने वर्ष 2003 और 2008 में दो बार प्राणघातक हमला कर वत्सला को बुरी तरह से घायल कर दिया था। डॉ. गुप्ता ने बताया कि पन्ना टाइगर रिजर्व के मंडला परिक्षेत्र स्थित जुड़ी हाथी कैंप में नर हाथी रामबहादुर ने मस्त के दौरान वत्सला के पेट पर जब हमला किया तो उसके दांत पेट में घुस गये। हाथी ने झटके के साथ सिर को ऊपर किया, जिससे वत्सला का पेट फट गया और उसकी आंतें बाहर निकल आईं। डॉ. गुप्ता ने 200 टांके 6 घंटे में लगाए तथा पूरे 9 महीने तक वत्सला का इलाज किया। समुचित देखरेख व बेहतर इलाज से अगस्त 2004 में वत्सला का घाव भर गया। लेकिन फरवरी 2008 में नर हाथी रामबहादुर ने दुबारा अपने टस्क (दांत) से वत्सला हथिनी पर हमला करके गहरा घाव कर दिया, जो 6 माह तक चले उपचार से ठीक हुआ।