Indore. त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों के नामांकन का समय खत्म होने के एक घंटे पहले तक कांग्रेस के कर्ता-धर्ता इस बात के लिए बैठक कर रहे थे कि किसे समर्थित उम्मीदवार बनाया जाए। उसके बाद भी सूची जारी नहीं हो पाई। फिलहाल सभी दावेदारों ने नामांकन भर दिए हैं। अब अंतिम द्रश्य नाम वापसी की तारीख पर ही साफ होगा।
जिला पंचायत के सत्रह और चार जनपदों के सौ समर्थित उम्मीदवारों की घोषणा करने में कांग्रेस पहले नामांकन की अंतिम तारीख और फिर अंतिम घंटे तक ले आई। हालांकि समय निकल जाने के बाद भी विधिवत घोषणा नहीं हो पाई। जिला कांग्रेस अध्यक्ष सदाशिव यादव (Sadashiv Yadav) ने 'द सूत्र' से कहा-हम शाम तक घोषणा कर देंगे। ये बयान उनका 6 जून को दोपहर दो बजे आया, जबकि इसी दिन दोपहर तीन बजे नामांकन का समय खत्म हो रहा था। यादव ने कहा-अभी तो हमने सारे दावेदारों से कह दिया है कि वे अपने-अपने नामांकन दाखिल कर दें। हम जो सूची जारी करेंगे वो मान्य होगी और बाकी लोग अपने नामांकन वापस ले लेंगे। हमने सभी से पहले ही लिखवा लिया है।
गुटबाजी में उलझी उम्मीदवारी
सूत्रों का कहना है जब चुनाव की घोषणा हुई तब कांग्रेसियों में भारी उत्साह था। दरअसल जिले में ग्रामीण इलाकों में कांग्रेस की हालत ठीकठाक है। पिछले चुनाव में भी जिले की तीन ग्रामीण (देपालपुर, सांवेर, महू) और एक अर्ध ग्रामीण (राऊ) में से तीन सीटें कांग्रेस ने जीती थीं। देपालपुर से विशाल पटेल, राऊ से जीतू पटवारी और सांवेर से तुलसी सिलावट (जो बाद में भाजपा में चले गए) जीते थे इसके बावजूद कांग्रेस गांव की सरकार के समर्थित उम्मीदवार चुनने में गुटबाजी में उलझी हुई है। देपालपुर विधायक विशाल पटेल (Vishal Patel) अपने यहां सदाशिव यादव का दखल बिलकुल नहीं चाहते हैं, जबकि यादव बतौर जिला अध्यक्ष अपना दखल रखना चाहते हैं। इसी तरह महू पिछले तीन चुनाव से कांग्रेस हार रही है। तीनों बार अंतर सिंह दरबार हारे। यहां दूसरे नेता अपने उम्मीदवार स्थापित करना चाहते हैं। सांवेर में जरूर प्रेमचंद गुड्डू (Prem chand Guddu) का दबदबा है क्योंकि सिलावट के भाजपा में जाने के बाद कोई बड़ा कांग्रेसी नेता बचा ही नहीं है। इतने सारे समीरकरणों के चलते लगातार बैठकों के बावजूद कांग्रेस समर्थित उम्मीदवारों के नाम पर सहमति नहीं बन पाई है।
कहीं उम्मीदवारों का भी अभाव
सूत्रों का यह भी कहना है कि कांग्रेस में खासकर महिला रिजर्व सीटों पर उम्मीदवारों का भी अभाव देखा जा रहा है। बड़े नेता कई कांग्रेसियों को चुनाव लड़ने के लिए मना रहे हैं। ये भी एक वजह है कि कांग्रेस समर्थित उम्मीदवारों की सूची नामांकन का वक्त खत्म हो जाने के बाद भी जारी नहीं हो पाई।