BHOAPL: जिला पंचायत अध्यक्ष के लिए घमासान,खरगोन में बीजेपी बालाघाट में कांग्रेस, कई जगह निर्दलीय होंगे किंगमेकर, किलेबंदी शुरु 

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Vivek Sharma
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BHOAPL: जिला पंचायत अध्यक्ष के लिए घमासान,खरगोन में बीजेपी बालाघाट में कांग्रेस, कई जगह निर्दलीय होंगे किंगमेकर, किलेबंदी शुरु 

 Bhopal.मध्यप्रदेश में जिला पंचायतों की तस्वीर साफ होने लगी है।  गांवों में सरकार को लेकर राजनीति तेज हो गई है। सत्तारूढ़ भाजपा और कांग्रेस दोनों ऐड़ी चोटी का जोर लगा रही है। जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी पर अपने कार्यकर्ता को बैठाने के लिए दोनों पार्टियां रणनीति बनाने में जुटी हुईं हैं। इस बार के पंचायत चुनावों में बड़ा उलटफेर होने की संभावना व्यक्त की जा रही है। कई जगहों पर सत्तारूढ़ भाजपा को झटका लग सकता है। जानकारी के अनुसार 52 जिलों में जिला पंचायत सदस्यों को मिले वोट के आधार पर आ रहे रुझानों में इंदौर-ग्वालियर समेत 25 जिला पंचायतों में बीजेपी का कब्जा होना तय माना जा रहा है। जबकि कांग्रेस को भोपाल-जबलपुर समेत 11 जिलों में बढ़त है। 14 सीटों पर पेंच फंसा है। यहां जोड़-तोड़ का खेल भी शुरू हो गया है। दो जिले भिंड-मुरैना में काउंटिंग पूरी नहीं होने से तस्वीर साफ नहीं हुई है। कई जिलों में बड़ा उलटफेर होने की संभावना है। दोनों पार्टियां जीत के दावे कर रही हैं। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के गृह जिले सीहोर में बीजेपी और कांग्रेस का कड़ा मुकाबला है। अब तक आए रुझान के मुताबिक 15 जिला पंचायतों में BJP पिछड़ी है, जबकि कांग्रेस को 1 सीट पर बढ़त मिलती दिख रही है। शेष 14 में कांटे की टक्कर बताई जा रही है। इंदौर व ग्वालियर में बीजेपी और भोपाल में कांग्रेस ने अपना कब्जा बरकरार रखा है। जबकि जबलपुर को कांग्रेस ने बीजेपी से छीन लिया है। अनेक स्थानों पर निर्दलीयों के हाथ में सत्ता की चाबी रहेगी।



सीएम के गृह जिले में बराबरी का मुकाबला



बात करें तो मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के गृह जिले सीहोर में बीजेपी और कांग्रेस का कड़ा मुकाबला है। इस जिले में जिला पंचायत सदस्य की 17 सीटें हैं। इसमें से दोनों ही दलों के समर्थन वाले 7-7 सदस्य चुनाव जीते हैं। जबकि प्रजातांत्रिक पार्टी के कमल सिंह सबसे ज्यादा वोट लेकर आगे हैं। वहीं वार्ड 11 से डॉ. सुरेश और वार्ड 6 से जीवन सिंह भाजपा के दिग्गजों को हराकर चुनाव जीते हैं, लेकिन ये दोनों ही भाजपा का समर्थन कर सकते हैं। इस वजह से भाजपा का पलड़ा भारी माना जा रहा है लेकिन कांग्रेस भी यहां जीतने के लिए ऐड़ी चोटी का जोर लगा रही है। भाजपा ने बड़े नेताओं को तैनात किया है, लेकिन भाजपा की राह इतनी आसान नहीं है।



रमेश सक्सेना हुए सक्रिय



पूर्व विधायक रमेश सक्सेना भी इन चुनावों को लेकर सक्रिय हैं। भले ही भाजपा का पलड़ा भारी दिख रहा है, लेकिन पूर्व विधायक रमेश सक्सेना बाजी पलट सकते हैं। सहकारी नेता रहे रमेश सक्सेना कई बार अपने समर्थकों को जिला पंचायत अध्यक्ष बनवा चुके हैं। अभी वे कांग्रेस में हैं और उनके बेटे शशांक सक्सेना ने भी वार्ड 1 से जिला पंचायत सदस्य का चुनाव जीता है। ऐसे में भाजपा की राह आसान नहीं है। जिला पंचायत अध्यक्ष पद के लिए हाल ही में भाजपा में शामिल हुए गोपाल इंजीनियर और कांग्रेस की ओर से पूर्व विधायक रमेश सक्सेना के पुत्र शशांक सक्सेना प्रबल दावेदार के रूप में सामने आ रहे हैं।



भोपाल में कांग्रेस काबिज!



भोपाल जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी एक बार फिर कांग्रेस के कब्जे में जाती दिखाई दे रही है। कुल 10 में से 7 वार्डों पर कांग्रेस समर्थित सदस्यों के जीतने का दावा है। 3 सदस्यों ने तो दावेदारी भी ठोंक दी है। वे अन्य सदस्यों की किलेबंदी भी कर रहे हैं। इधर, बीजेपी सदस्य भी दावेदारी में पीछे नहीं हैं। ऐसे में अध्यक्ष की कुर्सी का खेल दिलचस्प होने वाला है। ऐनवक्त पर बड़ा उलटफेर भी हो सकता है। यहां जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी अनारक्षित (महिला) के लिए रिजर्व है। ऐसे में कुर्सी के कई दावेदार हैं। वार्ड-10 से जीती रश्मि भार्गव और वार्ड-3 से बिजिया राजौरिया प्रमुख दावेदार हैं, तो वार्ड-6 से रामकुंवर गुर्जर ने भी दावेदारी ठोंकी है। भार्गव की दावेदारी सबसे मजबूत मानी जा रही है। उनके पति अवनीश भार्गव कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हैं। पार्टी में कई पदों पर रह चुके हैं। इसके चलते ही सदस्यों की किलेबंदी भी शुरू हो गई है। इनके अलावा बीजेपी के कुछ सदस्य भी दूसरे सदस्यों को अपने पाले में ले रहे हैं। वार्ड-2 से देवकुंवर हाड़ा,वार्ड-5 से इंद्रा मीणा की मजबूत दावेदारी मानी जा रही है।



इंदौर में बीजेपी जीत की ओर



इंदौर जिले की चारों जनपदों के चुनाव नतीजे गुरुवार को जारी किए गए। इसमें सबसे कम वोटों से इंदौर जनपद के वार्ड 4 से अजजा महिला पर कांग्रेस समर्थित रंजीता पति कमल 22 वोटों से जीती हैं। जबकि सबसे बड़ी जीत जनपद सांवेर में वार्ड नंबर 20 सामान्य में भाजपा समर्थित भरत पटेल ने दर्ज की है। उन्होंने प्रतिद्वंद्वी उम्मीदवार को 2330 वोटों से हराया। इस जनपद के 25 वार्डों में से भाजपा समर्थित 15 प्रत्याशी जीते हैं जबकि 5 पर कांग्रेस समर्थित और 56 पर निर्दलीय प्रत्याशी जीते हैं। इस जनपद में वार्ड 19 (सामान्य महिला) में भाजपा समर्थित संगीता पटेल भी निर्विरोध चुने जाने की स्थिति में है। खास बात यह कि 25 वार्डों में से एसटी महिला के लिए एक ही सीट (वार्ड 17) है जिस पर भाजपा समर्थित रामकन्या चौहान प्रत्याशी है। संभवत: यह प्रदेश की ऐसी जनपद अध्यक्ष है जिसमें एसटी महिला की सिर्फ एक सीट व एक प्रत्याशी होने से वह निर्विरोध चुनी जाएगी।



रीवा में कांग्रेस आगे, निर्दलीयों पर निगाहें



रीवा में कांग्रेस के सदस्य ज्यादा जीते हैं। बावजूद इसके निर्दलीय जिसे समर्थन देंगे उसका अध्यक्ष बनेगा। यहां अब तक बीजेपी का कब्जा रहा है, लेकिन इस बार यहां से बीजेपी समर्थित केवल 8 उम्मीदवार ही जीते हैं, जबकि कांग्रेस के 12 सदस्य बनते दिख रहे हैं। रीवा जिला पंचायत में 32 सदस्य हैं। इसमें से 12 निर्दलीय जीते हैं। ऐसे में साफ है कि निर्दलीयों को अपने पक्ष में करने की जोड़तोड़ दोनों ही दल करेंगे। दोनों पार्टी के नेता जुट गए हैं।



दमोह में निर्दलीय तय करेंगे



दमोह जिला पंचायत अध्यक्ष के लिए भाजपा और कांग्रेस को निर्दलीयों की कृपा पर निर्भर रहना पड़ेगा। ऐसा इसलिए क्योंकि यहां पर कांग्रेस-बीजेपी दोनों ही दल बहुमत के नजदीक भी नहीं पहुंच पाए हैं। ऐसें में सत्ता की चाबी उन्हीं के पास रहेगी। किसी भी पार्टी को अपना अध्यक्ष बनाने के लिए 15 जिला सदस्यों में से कम से कम 8 का समर्थन लेना होगा। यहां से केवल 4 प्रत्याशी स्पष्ट तौर पर भाजपा के हैं, जबकि कांगेस समर्थित 5 उम्मीदवार जीतते दिख रहे हैं। जबकि छह उम्मीदवार सदस्य बनेंगे। ऐसे में अध्यक्ष बनाने के लिए बीजेपी को 4 और कांग्रेस को 3 सदस्यों का समर्थन चाहिए। दमोह जिला पंचायत अध्यक्ष पद ओबीसी महिला के लिए आरक्षित है। यहां अध्यक्ष पद की दौड़ में वर्तमान में रीना रानी धर्मेंद्र पटेल और जानकी चंद्रभान सिंह अध्यक्ष पद की दौड़ में शामिल हैं। यदि जानकी चंद्रभान सिंह अध्यक्ष पद की दावेदारी करते हैं, तो इन्हें उनके भाई चंदन सिंह का समर्थन मिल जाएगा और दृगपाल लोधी भी भाजपा को अपना समर्थन दे सकते हैं। इसके बाद भी भाजपा को दो निर्दलीय सदस्यों का सहारा लेना पड़ेगा, लेकिन चंद्रभान की दावेदारी नहीं होती, तो भाजपा को चार सदस्य की जरूरत होगी। कांग्रेस में अध्यक्ष पद की दौड़ में रंजीता गौरव पटेल, विनीता बृजेंद्र सिंह लोधी और जमुना बाई देशराज लोधी का नाम सामने हैं।



सागर में 15 सीटों पर बीजेपी



सागर जिला पंचायत में बीजेपी अपना कब्जा बरकरार रख सकती है। यहां की 26 जिला पंचायत सीटों में से अब तक सामने आए परिणामों में 15 पर भाजपा का कब्जा है। वहीं 6 सीटों पर कांग्रेस ने जीत दर्ज कराई है। 5 सीटों के परिणाम स्पष्ट नहीं हुए हैं। बावजूद इसके अध्यक्ष के लिए जोड़-तोड़ की राजनीति शुरू हो गई है। अध्यक्ष की दावेदारी कर रहे परिवहन एवं राजस्व मंत्री गोविंद सिंह के भाई हीरासिंह राजपूत नवनिर्वाचित जिला पंचायत सदस्यों को साधने की जुगत में लग गए हैं।



रतलाम में रुकमणि या लाला बाई बनेंगी 



रतलाम जिला पंचायत अध्यक्ष पद पर भाजपा की लाला बाई और रुकमणी मालवीय से कोई एक का निर्वाचन होना तय हो चुका है। यहां जिला पंचायत अध्यक्ष पद एससी महिला वर्ग के लिए आरक्षित है। कुल निर्वाचित हुए सदस्यों में से इस वर्ग में यही दो महिलाएं आती हैं। दोनों ही उम्मीदवारों का संबंध बीजेपी से है। इस आधार पर रतलाम जिला पंचायत में भाजपा का कब्जा होना लगभग तय माना जा रहा है।



गुना में बीजेपी बरकरार



जिला पंचायत सदस्यों की बात करें तो 18 वार्डों में से 12 में भाजपा बढ़त बनाती दिख रही है। इन 12 में से 4 सिंधिया समर्थक प्रत्याशी आगे चल रहे हैं। वहीं 5 पर कांग्रेस समर्थित प्रत्याशी बढ़त बना रहे हैं। एक निर्दलीय उम्मीदवार भी आगे चल रहे हैं। यह लगभग तय माना जा रहा है कि जिला पंचायत में भाजपा का बोर्ड बनने जा रहा है। यह भी संभावना जताई जा रही है कि अगर कोई बहुत बड़ा उलटफेर नहीं होता है तो अध्यक्ष भी भाजपा का ही बनेगा। भाजपा के 5 प्रत्याशी अपनी दावेदारी कर रहे हैं। इस बार अध्यक्ष पद OBC के लिए आरक्षित हुआ है।



नर्मदापुरम में अध्यक्ष की कुर्सी बीजेपी को 



नर्मदापुरम जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी बीजेपी को मिलना लगभग तय है। हालांकि कांग्रेस नेता भी दावा कर रहे हैं। जिला के 15 सदस्यों में से 10 सदस्यों पर बीजेपी अपना दावा कर रही। कांग्रेस भी 3-4 पर दावा कर रही। जिला पंचायत के अध्यक्ष को लेकर स्थिति साफ हो रही कि भाजपा समर्थित प्रत्याशी की अध्यक्ष सीट होगी।



इन जिलों में भी कांटे की टक्कर



शिवपुरी, सतना, टीकमगढ़, धार, मंडला, मंदसौर, शहडोल, सीधी, आगर मालवा, खरगोन व छतरपुर में कांटे का मुकाबला है। 



2015 में बीजेपी के 40 व कांग्रेस के 10 जिलों में थे अध्यक्ष



7 साल पहले हुए पंचायत चुनाव की बात करें तो BJP 40 जिला पंचायत बोर्ड में सरकार बनाने में कामयाब रही थी। कांग्रेस को 10 जिलों में जीत मिली थी। तब प्रदेश में 51 ही जिले थे। इस बार निवाड़ी भी जुड़ गया है। टीकमगढ़ की तहसील रहे निवाड़ी को 2018 में जिला बनाया गया था। यानी इस बार कांग्रेस, BJP को पिछली जीत रिपीट करने के लिए कड़ी फाइट दे रही है। पिछली बार के मुकाबले कांग्रेस 11 जिलों पर लगभग कब्जा कर चुकी है। अब जो भी जिले उसके खाते में आएंगे वो प्लस पॉइंट ही होंगे।



कमलनाथ के गढ़ में कांग्रेस आगे



कमलनाथ के गढ़ छिंदवाड़ा में कांग्रेस आगे है। यहां 26 सदस्यीय जिला पंचायत की 12 कांग्रेस और 11 भाजपा ने जीती है, लेकिन अपना अध्यक्ष बनाने के लिए कांग्रेस को 2 और सदस्यों की जरूरत होगी। यहां 2 निर्दलीय और 1 सीट पर गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के उम्मीदवार जीते हैं। यहां निर्दलीयों को अपने-अपने खेमे में मिलाने के लिए कांग्रेस और भाजपा में रस्साकशी होनी तय है।



कटनी में किन्नर बन सकती है अध्यक्ष



कटनी में 14 वार्ड में से 7 BJP के खाते में आई है। ये SC महिला के लिए आरक्षित है। 14 सीटों में SC महिला के लिए दो सीट ही आरक्षित थी, दोनों बीजेपी जीत चुकी है। अब किन्नर माला मौसी या सुनीता मेहरा में से कोई अध्यक्ष बनेगा।



यहां निर्दलीय तय करेंगे अध्यक्ष



मंडला की 16 सीटों में 5 बीजेपी, 4 कांग्रेस, 3 गोंगपा और 4 निर्दलीय जीते हैं। वहीं, शहडोल की 14 सीटों में सबसे अधिक 5 निर्दलीय और कांग्रेस-बीजेपी 4-4 सीटें जीत पाई हैं। एक सीट गोंगपा के खाते में गई है। ऐसे में दोनों जगह अध्यक्ष तय करने में लिए निर्दलीय अहम भूमिका निभाएंगे।



ये रहे परिणाम



जबलपुर – 17 (कुल सीट)



बीजेपी – 6



कांग्रेस – 9



निर्दलीय- 2



ग्वालियर-13 (कुल सीट)



बीजेपी – 5



कांग्रेस- 5



निर्दलीय- 3



खंडवा- 16 (कुल सीट)



बीजेपी – 8



कांग्रेस- 6



निर्दलीय – 2



देवास कुल सीट – 18 (कुल सीट)



कांग्रेस-11



बीजेपी – 6



निर्दलीय- 1



छिंदवाड़ा-26 (कुल सीट)



कांग्रेस – 16



बीजेपी -8



निर्दलीय- 1



गोंडवाना पार्टी – 1



छतरपुर – 22 (कुल सीट)



कांग्रेस – 6



बीजेपी – 6



सपा- 5



निर्दलीय – 5



रीवा कुल सीट – 32 (कुल सीट)



निर्दलीय – 21



बीजेपी – 4



कांग्रेस – 7



भिंड कुल सीट – 21 (कुल सीट)



कांग्रेस – 11



बीजेपी-7



निर्दलीय – 3



सागर कुल सीट – 25 (कुल सीट)



बीजेपी- 15



कांग्रेस- 6



निर्दलीय – 5



भोपाल कुल सीट – 10 (कुल सीट)



कांग्रेस-6



बीजेपी – 3



निर्दलीय – 1



उज्जैन – 21 (कुल सीट)



बीजेपी- 11



कांग्रेस – 8



निर्दलीय – 3



दमोह – 15 (कुल सीट)



बीजेपी – 4



कांग्रेस – 5



निर्दलीय – 6



मन्दसौर- 17 (कुल सीट)



बीजेपी -8



कांग्रेस – 8



निर्दलीय – 1


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