पानी में लगती है आग, कुंड दूर करता है चर्म रोग; पर्यटन विभाग नहीं दे रहा ध्यान

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Rahul Garhwal
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पानी में लगती है आग, कुंड दूर करता है चर्म रोग; पर्यटन विभाग नहीं दे रहा ध्यान

नीरज श्रीवास्तव, Pipariya. पिपरिया से पचमढ़ी के बीच एक प्रसिद्ध पर्यटन स्थल अनहोनी है। यहां एक प्राकृतिक गर्म पानी का कुंड है जिसके पानी में आग लग जाती है। गंधक युक्त कुंड में नहाने से चर्म रोग दूर हो जाते हैं। यहां पर कई लोग पिकनिक मनाने आते हैं लेकिन पर्यटन विभाग की अनदेखी से अनहोनी का विकास नहीं हो पा रहा है। जबकि यहां पर पर्यटन की अपार संभावनाएं हैं।





प्रकृति की गोद में अनहोनी





पिपरिया से पचमढ़ी के बीच शहर से लगभग 17 किलोमीटर दूर सतपुड़ा टाइगर रिजर्व क्षेत्र में अनहोनी प्राकृतिक गर्म पानी का कुंड है। सतपुड़ा की सुरम्य वादियों में पचमढ़ी और पिपरिया के बीच कई पर्यटन स्थल हैं जिसमें अनहोनी एक प्राकृतिक गंधक युक्त कुंड है। इसका धार्मिक एवं प्राकृतिक महत्व है। ठंड के मौसम में बड़ी संख्या में लोग पिकनिक मनाने आते हैं।





पानी में लगती है आग





अनहोनी के प्राकृतिक स्थल पर सल्फर के प्रचुर मात्रा में भंडार हैं जिससे यहां आने वाले लोगों को चर्म रोगों से मुक्ति मिलती है। यहां 24 घंटे सातों दिन नल से गर्म पानी निकलता है और इस पानी मे नहाने से चर्म रोग, त्वचा से संबंधित रोगों में फायदा मिलता है। यहां ठंड के दिनों में भी पानी में आग लग जाती है। सतपुड़ा टाइगर रिजर्व के अधिकारी का कहना है कि अनहोनी में पानी में आग लगना शुद्ध रूप से विज्ञान पर आधारित है। जिस स्थान पर ये गर्म पानी का नल है। वहां पर जमीन के अंदर अत्यधिक मात्रा में गंधक (सल्फर) होने के कारण नल से गर्म पानी निकलता रहता है और इसमें आग भी लग जाती है।





अनहोनी में पर्यटकों के लिए कोई सुविधा नहीं





पचमढ़ी से पिपरिया मार्ग पर पर्यटन स्थलों में अनहोनी डोकरीखेड़ा जलाशय देनवा के किनारे स्थित मोटी रेत और सतधारा प्रमुख पर्यटन स्थल हैं। लेकिन पर्यटन और वन विभाग की उदासीनता के चलते देश-विदेश से आने वाले पर्यटकों की संख्या 5 से 10 प्रतिशत तक सीमित रह गई है। अनहोनी में पर्यटकों के लिए कोई सुविधा उपलब्ध नहीं है। पिपरिया से डोकरीखेड़ा होते हुए डापका मोड़ तक पक्की सड़क जाती है। जो लगभग पिपरिया से 12 किलोमीटर है। उसके बाद लगभग 5 किलोमीटर तक कच्चा रास्ता है जिससे अनहोनी पहुंचा जाता है। अनहोनी में पर्यटकों के ठहरने की कोई व्यवस्था नहीं है।





साल में 2 बार लगता है मेला





ठाकुर जसमन का कहना है कि वे कई पीढ़ियों से अनहोनी में निवास कर रहे हैं। यहां बड़ादेव का सिद्ध स्थान है। जहां साल में दो बार मेला लगता है। जिसमें मकर संक्रांति और कार्तिक पूर्णिमा पर लाखों की संख्या में लोग स्नान करने के लिए आते हैं। इस कुंड में नहाने से हाथ-पैर में दर्द और चर्म रोगों से मुक्ति मिलती है। जसमन ने बताया कि बाहरी पर्यटक ओर विदेशी भी आते हैं लेकिन उनकी संख्या कम है। हाल ही में वन विभाग ने अनहोनी क्षेत्र में पर्यटकों के प्रवेश को लेकर शुल्क लगाया था लेकिन स्थानीय लोगों के विरोध के चलते प्रवेश शुल्क हटाना पड़ा।





पर्यटन स्थल के रूप में विकसित हो सकता है अनहोनी





पिपरिया के रहवासी सौरभ चौधरी ने बताया कि वे अपने दोस्तों के साथ डैम घूमने आते हैं। यहां आने वालों में युवाओं की संख्या ज्यादा है लेकिन यहां पर कोई सुविधा उपलब्ध नहीं है। अगर पर्यटन विभाग और स्थानीय प्रशासन पर्यटकों को सुविधाएं उपलब्ध कराता है तो अनहोनी क्षेत्र पर्यटन स्थल के रूप में विकसित हो सकता है। यहां के युवाओं को रोजगार के नए अवसर भी मिल सकेंगे।



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