Bhopal. पुलिस के बड़े आला अधिकारियों के यहां सालों से काम कर रहे प्रदेशभर के 4 हजार ट्रेड आरक्षकों ने 2012 में बंद हुई मध्यप्रदेश पुलिस के आरक्षक ट्रेड की आरक्षक जीडी (जनरल ड्यूटी) में संविलियन की जीओपी 57/93 प्रक्रिया को फिर से शुरू करने की मांग की है। आईपीएस अफसर के बंगलों पर कपड़े धोने, घर की सफाई करने, जूता पॉलिश करने, बाल काटने से लेकर माली का काम करने वालों को हर महीने औसतन 70 हजार रुपए वेतन दिया जा रहा है। यहीं काम से निजात पाने और जनरल ड्यूटी की मांग को लेकर आरक्षकों ने प्रदेश के गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा को आज फिर ज्ञापन सौंपा है।
पुलिस में ट्रेडमैन और अनुचर की भर्ती होती है, जो कि सफाई, जुता पॉलिस, खाना बनाना, कॉर्परेट का काम करते है। इनको 1993 तक भर्ती होने के पांच साल बाद तक ट्रेनिंग देकर जीडी में कन्वर्ट कर दिया जाता था, यानि जिला पुलिस बल पुलिस में आ जाता थे। इससे वेतन बढ़ने पर इनकी जिम्मेदारी में भी वृद्धि होती थी। इसी मांग को लेकर ट्रेडमैन कई बार ज्ञापन दे चुके है लेकिन आज तक उन्हें आश्वासन के सिवाए कुछ नहीं मिला। आज भी पुलिस के ट्रेडमैन ने गृहमंत्री के निवस पर पहुंचकर ज्ञापन सौंपा और फिर से ट्रेडमैन को आश्वासन मिला है।
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1993 में तत्कालीन डीजीपी नंदन दुबे ने जीओपी 571 93 के माध्यम से बिना शासन के अनुमोदन के ट्रेड आरक्षकों के जीडी संविलयन पर रोक लगा दी। बस तब से ही प्रदेशभर में 4 हजार से ज्यादा ट्रेड आरक्षक और अनुचर का वेतन और पद तो बढ़ता जा रहा है, लेकिन काम वहीं जूता पॉलिस, कपड़े धोना, झाड़ू लगाने का ही कर रहे हैं। अब उनकी सरकार से मांग है कि उन्हें कन्वर्ट करके जनरल ड्यूटी दी जाए। और अगर सरकार इस ओर ध्यान नहीं देती है तो अपनी मांग को लेकर हाइकोर्ट तक जाएंगे।