अम्बुज माहेश्वरी, Vidisha. भोपाल-विदिशा स्टेट हाइवे-18 पर सलामतपुर बेरखेड़ी चौराहे से लगभग 5 किलोमीटर दूर पर्यटन स्थल कर्क रेखा इन दिनों सेल्फी पॉइंट बना हुआ है। यहां से निकलने वाला हर व्यक्ति सेल्फी लेना नहीं भूलता। 21 जून को हर साल दोपहर 12 बजे यहां पर व्यक्ति को अपनी परछाई भी नहीं दिखती और परछाई साथ छोड़ देती है। हम बचपन से ये कहावत सुनते आ रहे हैं कि कोई साथ हो न हो, आदमी का साया हमेशा उसके साथ रहता है लेकिन 21 जून को कर्क रेखा क्षेत्र में आदमी का साया भी उसका साथ छोड़ देता है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि कर्क रेखा स्थल पर 21 जून को दोपहर 12 बजे सूर्य की किरणें 90 डिग्री लंबवत पड़ने के कारण खड़े व्यक्ति की परछाई ही नहीं बनती। इसलिए कर्क रेखा क्षेत्र को नो शैडो जोन भी कहा जाता है।
सेल्फी पॉइंट बना कर्क रेखा पर्यटन स्थल
जिस कर्क रेखा को हमने बचपन से भूगोल में पड़ा है और ग्लोब पर जिसे देखा है। उस स्थान पर ठहरना अपने आप में एक सुखद अनुभूति है। कर्क रेखा मध्यप्रदेश में भोपाल से 25 किलोमीटर दूर उत्तर से निकलती है। जहां से ये गुजरती है वो स्थान भोपाल-विदिशा स्टेट हाइवे-18 पर रायसेन जिले के बेरखेड़ी चौराहा के बीच में है। कर्क रेखा को चिन्हांकित करने के लिए उस जगह पर राजस्थानी पत्थरों से चबूतरानुमा स्मारक बनाया गया है। ये जगह रायसेन जिले का सबसे आकर्षक सेल्फी पाइंट है। यहां से निकलने वाला हर व्यक्ति सेल्फी लिए बिना आगे नहीं बढ़ता।
5 रेखाओं में प्रमुख है कर्क रेखा
कर्क रेखा उत्तरी गोलार्ध में भूमध्य रेखा के समानान्तर ग्लोब पर पश्चिम से पूर्व की ओर खींची गई एक काल्पनिक रेखा है। ये रेखा पृथ्वी पर उन 5 प्रमुख अक्षांश रेखाओं में से एक है जो पृथ्वी के मानचित्र पर प्रदर्शित की जाती हैं। कर्क रेखा पृथ्वी की उत्तरीय अक्षांश रेखा हैं जिस पर सूर्य दोपहर के समय लंबवत होता है। 21 जून को जब सूर्य इस रेखा के एकदम ऊपर होता है उत्तरी गोलार्ध में वो दिन सबसे लंबा और रात सबसे छोटी होती है। यहां इस दिन सबसे अधिक गर्मी स्थानीय मौसम को छोड़कर होती है।
कर्क रेखा के समानांतर मकर रेखा
कर्क रेखा के समानांतर दक्षिणी गोलार्ध में भी एक रेखा होती है जिसे मकर रेखा कहते हैं। सूर्य की स्थिति मकर रेखा से कर्क रेखा की तरफ बढ़ने को उत्तरायण और कर्क रेखा से मकर रेखा में वापसी को दक्षिणायन कहते हैं। इस तरह साल में 6-6 महीने के दो आयन होते हैं। कर्क रेखा को चिह्नित करता स्मारक मातेहुआला सैन लुइस पोटोसी मेक्सिको और भारत में कर्क रेखा उज्जैन शहर से निकलती है। इस कारण ही जयपुर के महाराजा जयसिंह द्वितीय ने यहां वैधशाला बनवाई जिसे जंतर-मंतर कहते हैं। ये खगोल शास्त्र के अध्ययन के लिए है। इसी वजह से ये स्थान काल गणना के लिए एकदम सटीक माना जाता है अधिकतर हिन्दू पंचांग यहीं से निकलते हैं।
इन देशों से होकर गुजरती है कर्क रेखा
संयुक्त राज्य अमेरिका (हवाई-केवल सागर, कोई भी द्वीप इस रेखा पर नहीं है) ये निहोआ और नेकर, मैक्सिको, मजातलान, प्रशांत महासागर के उत्तर में बहामास, पश्चिमी सहारा (मोरोक्को द्वारा दावा किया गया) मुरितानिया, माली, अल्जीरिया, नाइजर, लीबिया, मिस्र, सऊदी अरब, संयुक्त अरब इमारात, ओमान, भारत, बांग्लादेश, म्यांमार, चीन, मात्र गुआंगजोऊ के उत्तर से और ताइवान से होकर निकलती है।