Gwalior. यूपीएससी (UPPSC) का परिणाम ग्वालियर -चम्बल अंचल में खुशियों का पैगाम लेकर आया है। इस बार अंचल से पांच लोग सिलेक्ट हुए। इनमे एक भिण्ड जिले से, एक ग्वालियर, दतिया से दो और मुरैना जिले से एक युवा ने यूपीएससी (UPPSC) में शानदार सफलता हासिल की। इसमें तीन सामान्य तो दो अन्य पिछड़ा वर्ग से है। खास बात है मिनी शुक्ला की। उन्होंने इस पद पर जाने की प्रेरणा तब मिली जब उनकी बड़ी बहिन आईपीएस (IPS)बन गई।
मिनी की कहानी
मिनी हालांकि अभी अपने परिवार के साथ ग्वालियर की डीबी सिटी में रहती है लेकिन उनका परिवार मूलतः भिण्ड जिले के मेहगाव से है और अभी भी उनके पिता कृष्णकांत शुक्ला वहीं व्यापार करते है । बच्चियां अपनी गृहणी मां के साथ स्टडी करने के लिए ग्वालियर में रहतीं है। मिनी की सफ़लता की कहानी रोचक है। उन्हें यूपीएससी के बारे में कुछ भी नही पता था । वे मेहगाँव मे ही पढ़ती थी लेकिन तभी उनकी बड़ी बहिन प्रियंका शुक्ला आईपीएस बन गई। इससे उन्हें प्रेरणा मिली और फिर इसी में जुट गई। मिनी ने किसी भी सोशल मीडिया पर कभी कोई एकाउंट नही बनाया। मिनी कहती हैं- शुरुआती दो अटेम्ट में जब असफ़लता मिली तो निराश हो गई। तब बड़ी बहिन ने हौसला अफजाई की । 2020 में कोविड आ गया। तो मैंने अपने ग्रुप के साथ स्टडी शुरू की और बाकी पढ़ाई सेल्फ स्टडी से ही की। आखिरकार मेहनत रंग लाई । मिनी सफल हुई । यूपीएससी में उन्हें 96 रेंक आई जो काफी अच्छी मानी जाती है।
आयुष भदौरिया को रिस्क से इश्क ने दिलाई सफलता
ग्वालियर से यूपीएससी में सफलता की पायदान चढ़ने वाले आयुष भदौरिया की कहानी रोमांच से भरी है। ग्वालियर के तुलसी विहार कॉलोनी में रहने वाले बीएस भदौरिया एमपीईबी में असिस्टेंट इंजीनियर है और उनकी माँ निशा भदौरिया गृहणी । बड़ी मेहनत करके आयुष भदौरिया ने आईआईटी जोधपुर से बीटेक किया और वही से कैम्प्स सिलेक्शन के जरिये उन्हें एक मल्टी नेशन कंपनी में अच्छी सेलरी वाला जॉब मिल गया। लेकिन उनके अनेक साथी यूपीएससी की तैयारी कर रहे थे तो उन्होंने भी नौकरी छोड़कर तैयारी शुरू कर दी। आयुष कहते है - तीन अटेम्प्ट में तो मैं इंटरव्यू तक पहुंचा लेकिन चौथे अटेम्प्ट के समय मेरी प्रिलिम्स ही क्लीयर नही हुई तो बड़ा झटका लगा और निराश हो गया। लेकिन परिवार के लोगो ने हौंसला बढ़ाया तो पांचवे अटेम्प्ट की तैयारी की। इसके लिए खुद नोट्स बनाये और अतीत भूलकर तैयारी शुरू की । नतीजा सामने है। इस बार उन्हें सफलता मिली वह भी 253 वीं रेंक के साथ।
तीन अन्य सफल हुए
इनके अलावा दतिया के मृदुल शिवहरे 247 रेंक,भांडेर दतिया के पीयूष दुबे 289 रेंक और मुरैना के शिवम धाकड़ 402 रेंक के साथ सफल रहे।