संजय गुप्ता, INDORE. मध्य प्रदेश (MP) में परिवहन विभाग (Transport Department) की चेकपोस्ट (Checkpost) पर ट्रांसपोर्टर से बेखौफ अवैध वसूली (Illegal Recovery) के खिलाफ कार्रवाई के बारे में केंद्रीय सड़क परिवहन ( Surface Transport Minister) मंत्री नितिन गडकरी (Nitin Gadkari) के मुख्य सचिव (Chief Secretary) इकबाल सिंह बैंस (Iqbal Singh Bains) को लिखे पत्र से परिवहन विभाग एक बार फिर सवालों के घेरे में हैं। मनमानी वसूली के खिलाफ आवाज उठाने वाले ट्रांसपोर्टर एसोसिएशन (Tranport Association) के पदाधिकारियों की माने तो पिछले दो सालों में मप्र ने इस मामले में उत्तर प्रदेश (UP) और बिहार (Bihar) जैसे राज्यों को भी पीछे छोड़ दिया है। वे पिछले एक साल में मप्र के परिवहन मंत्री गोविंदसिंह राजपूत से लेकर मुख्यमंत्री (CM) शिवराजसिंह चौहान तक और केंद्र में सड़क परिवहन मंत्री से लेकर प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) तक सबूतों के साथ सैंकड़ों शिकायतें कर चुके हैं लेकिन कहीं कोई कार्रवाई होती नहीं दिख रही है। हाल ये है कि शिकायती आवेदनों का वजन बढ़ते-बढ़ते करीब साढ़े चार किलोग्राम हो गया है लेकिन कार्रवाई रत्ती भर भी नहीं हो रही है।
ट्रक- ट्रॉले से 500 से लेकर 3 हजार रुपए तक वसूली
प्रदेश की अंतरराज्यीय सीमाओं पर ट्रांसपोर्ट विभाग की चेकपोस्ट पर भारी वाहनों (ट्रक-ट्राले) से अवैध वसूली की परंपरा और व्यवस्था नई नहीं है। हर चेकपोस्ट पर रिश्वत की अलग खिड़कियां खुली हैं। ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन के पदाधिकारियों के मुताबिक पूरे प्रदेश में चेकपोस्ट के जरिए हर महीने सौ करोड़ से ज्यादा की अवैध वसूली होती है। चेकपोस्ट पर बने तौल-कांटे पर पहले हर भारी वाहन की जांच होती है। इसके बाद वहां बैठा व्यक्ति ड्रायवर या क्लीनर को एक कच्ची पर्ची देता है। उसे यह पर्ची चेकपोस्ट पर बनी एक विशेष खिड़की के पास लेकर जाना होती है, जहां पन्नियों से ढंकी कांच की खिड़की पर सिर्फ रुपए लेने वाले का हाथ बाहर आता है, उसका चेहरा तक दिखाई नहीं देता है। वह पर्ची के साथ वाहन के आकार- प्रकार के आधार पर 500 से 3000 रुपए तक लेता है।
वसूली की राशि पर सवाल उठाया तो गाली-गलौज, गुंडागर्दी
तय रेट के मुताबिक छोटे ट्रक का 500 रुपए , प्रदेश के ट्रक का एक हजार, दूसरे राज्य के ट्रक से डेढ़ से दो हजार और बडे़ ट्राले आदि के तीन हजार रुपए तक वसूले जाते हैं। वसूली की खिड़की पर बैठाया गया निजी कर्मचारी रुपए लेकर पर्ची पर सील लगाकर लौटा देता है। इस दौरान यदि ट्रक का ड्रायवर वसूल की जा रही राशि को लेकर कोई सवाल उठाता है तो चेकपोस्ट पर परिवहन विभाग के अमले के द्वारा वहां बैठाए गए दबंग उसके साथ गाली-गलौज औऱ गुंडागर्दी करने पर उतारू हो जाते हैं। पर्ची पर सील लगने के बाद ट्रक ड्रायवर गाड़ी लेकर बैरियर पर जाता है और वहां तैनात कर्मचारी पर्ची पर सील चेक करने के बाद निकल जाने का इशारा कर देते हैं। पीड़ित ट्रांसपोर्ट ऑपरेटर ने चेकपोस्ट पर होने वाली इस अवैध वसूले के लाइव वीडियो रिकॉर्ड कर द सूत्र को भी उपलब्ध कराए हैं।
सीएम से पीएमओ तक शिकायत लेकिन कोई सुनवाई नहीं
इंदौर ट्रक आपरेटर्स एंड ट्रांसपोर्टर एसोसिएशन के अध्यक्ष सीएल मुकाती कहते हैं कि पिछले एक साल में मप्र के ट्रांसपोर्टर एकजुट होकर चेकपोस्ट पर होने वाली अवैध वसूली की शिकायतें सबूत प्रदेश में परिवहन मंत्री से लेकर मुख्यमंत्री तक और केंद्र में सड़क परिवहन मंत्री से लेकर प्रधानमंत्री कार्यालय तक पहुंचा चुके हैं। लेकिन राज्य से लेकर केंद्र सरकार तक का सारा तंत्र सबकुछ जानते समझते हुए भी इस ओर आंखें मूंदे हुए है। हालत ये है कि सैंकड़ों शिकायती आवेदनों का वजन बढ़कर साढ़े चार किलोग्राम हो गया लेकिन कार्रवाई रत्ती भर भी नहीं हुई। वन नेशन- वन टैक्स के तहत चेकपोस्ट खत्म करने की भी बात हुई थी लेकिन इसके बाद भी ये जारी हैं और हर महीने इनके माध्यम से 100 से 150 करोड़ रुपए तक की वसूली हो रही है। पहले यूपी, बिहार जैसे राज्य इसके लिए बदनाम थे लेकिन अब मप्र ने सभी को पीछे छोड़ दिया है।
वसूली में सभी के हिस्से होने के लगे आरोप
मुकाती बताते हैं कि कार्रवाई इसलिए नहीं होती है क्योंकि ट्रांसपोर्ट के अधिकारी-कर्मचारी अपने आकाओं को भारीभरकम रिश्वत देकर चेकपोस्ट पर पोस्टिंग कराते हैं और निश्चित समयावधि में वसूली कर चले जाते हैं। इसमें ऊपर से नीचे तक सभी का हिस्सा होता है। वसूली के हिसाब-किताब के कच्चे पन्ने भी हमने शिकायतों के साथ उपलब्ध कराए हैं, जिनमें लेन-देन लिखा होता है। लेकिन कोई भी जांच एजेंसी इस मुद्दे पर कुछ भी करने को तैयार नहीं है।
इन चेकपोस्ट पर होती है ज्यादा वसूली
प्रदेश की छह प्रमुख चेकपोस्ट सेंधवा बालसमंद, नयागांव नीमच, सिकंदरा शिवपुरी, हनुमान छत्तीसगढ बार्डर पर और इलाहाबाद के पास यूपी बार्डर पर प्रमुख है। इसके साथ 40 अन्य चेकपोस्ट है। प्रदेश में आने वाले और यहां से गुजरने वाले हर वाहन से 500 रुपए से लेकर तीन हजार रुपए लिए जाते हैं। यदि कोई वाहन महाराष्ट्र से आकर मप्र होकर दिल्ली की ओर जाता है तो उसे दो बार चेकपोस्ट पडती है। सामान्य ट्रक होने पर उसे एक हजार प्रदेश में आने और एक हजार जाने के देने पड़ते हैं। सेंधवा चेकपोस्ट से ही हर दिन छह हजार से ज्यादा वाहन गुजरते हैं। पूरे प्रदेश से औसतन 30 हजार से ज्यादा ट्रक हर दिन गुजरते हैं।