ऐसा भी होता है: 34 हजार में कहा बिक गए 'कंगना-आर्यन', 11 हजार में बिका 'वैक्सीन'

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ऐसा भी होता है: 34 हजार में कहा बिक गए 'कंगना-आर्यन', 11 हजार में बिका 'वैक्सीन'

उज्जैन. मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के उज्जैन (Ujjain) में कार्तिक मेला ग्राउंड पर हर साल गधों (Donkey) का मेला (Fair) लगता है। मेला यह मेला 15 नवंबर से शुरू हुआ था। जो कई दिनों तक चलता है। आइये, आपको मिलवाते हैं कंगना और आर्यन से। ये इन दिनों उज्जैन में है और गधों के बीच ही रह रहे हैं। इनकी कीमत लग रही है। कंगना और आर्यन, दोनों को 34 हजार रुपये में खरीदा गया है और इन्हें ईंट ढोने का काम करना है। चौंकिये मत...बात हो रही है गधों की जो इन दिनों उज्जैन के मेले में सबके आकर्षण का केंद्र है। दरअसल, उज्जैन में गधों के मेले की परंपरा है। पिछले साल कोरोना की वजह से यह मेला नहीं लग पाया था लेकिन इस बार मेला लगा है। मेले में जो गधे आए हैं उनके रोचक नाम रखे गए हैं। एक गधे का नाम कंगना है तो दूसरे का आर्यन।

गधे के बाजार में कोरोना वैक्सीनेशन पर जोर

कार्तिक मेले के आकर्षण के केंद्र गधों के बाजार में कोरोना वैक्सीनेशन पर जोर दिया जा रहा है। गधों पर वैक्सीनेशन के संदेशों की पेंटिंग तक की गई हैं। यही नहीं गधों को बेचने के लिए बाजार में प्रदर्शन के दौरान मास्क पहनाया गया है। गधों के व्यापारी मनोज बाबूलाल गधेवाला ने कहा है कि कोरोना महामारी संक्रमण से बचने का संदेश देने के लिए कई गधों पर पेंटिंग की गई है। इस बार गधों का बाजार कमजोर है क्योंकि दो साल से कोरोना की वजह से बाजार बंद रहा था। 

मशीनी युग ने गधों की कीमत कम

व्यापारी कमल प्रजापत ने बताया कि गधों का मेला है, घोड़ों का तो सभी जगह मेला लगता है, लेकिन गधों का सिर्फ यहीं लगता है। राजस्थान, सुसनेर, शाजापुर, आष्ठा, गुना, बीना सभी जगह से जानवर यहां लाए जाते हैं। गधों की कीमत 10 हजार से 30 हजार तक इस बार है। गधों के मेले की ख़ास बात ये है कि सभी गधों के नाम आमजन व खरीदारों को प्रभावित करने के लिए नेता, नेत्री, अभिनेता, अभिनेत्रियों के नाम पर रखे जाते हैं, जो हर बार चर्चा का विषय बनते हैं।

इस बार गधों के मेले में क्या नाम है, व्यापारी पुलिस के डर से बताने में संकोच कर रहे है। गधों के दातों को देखकर खरीदारी की जाती है। आपको बता दें के कि कई वर्ष पहले गधे कुम्हार और रजक समाज के लोगों का बोझा ढोने के काम आते थे, लेकिन मशीनी युग ने गधों की कीमत कम कर दी है। अब छोटे व्यापारी गधों से अपना काम चला रहे हैं।

गधों के रोचक नाम

वैक्सीन नाम का गधा भी यहां है। कंगना और आर्यन को 34 हजार रुपए में एक ईट-भट्टा व्यापारी ने खरीदा है। वैक्सीन नाम के गधे के दाम 14 हजार रुपये है। कई नस्ल के गधे भी मेले में बिकने आए हैं। कुछ घोड़े भी हैं। इनमें भूरी नाम की घोड़ी और बादल नाम को घोड़ा है। जिनकी कीमत एक लाख रुपये से ज्यादा है। मेले से खरीदे जाने वाले गधे माल ढुलाई में इस्तेमाल होते हैं। ज्यादातर को ईंट-भट्टों पर लगाया जाता है।

Madhya Pradesh Ujjain donkey Fair