भोपाल। मध्यप्रदेश में कल यानी 15 जनवरी को सियासी बवाल देखने को मिल सकता है। इसकी वजह है पूर्व मुख्यमंत्री और बीजेपी की फायरब्रांड लीडर उमा भारती (Uma bharti), जिन्होंने शिवराज सरकार को शराबबंदी (MP Liquor ban) लिए अल्टीमेटम दिया था। उन्होंने ऐलान किया था कि गंगासागर से लौटने के बाद वो 15 जनवरी से शराबबंदी के लिए आंदोलन (Uma movement for Liquor ban) करेगी। हालांकि अब उन्होंने इसकी तारीखों में बदलाव किया है। तारीखों में बदलाव करने की वजह उन्होंने पश्चिम बंगाल सरकार को बताया है। उमा ने कहा कि पश्चिम बंगाल सरकार मुझे गंगासागर नहीं पहुंचने दे रही है। इसलिए अभी कुछ भी बोलना संभव ही नहीं है। मैं 15 जनवरी के बाद ही इस पर बोलूंगीं।
इधर, सरकार शराब की डिमांड बढ़ाने के लिए नई शराब पॉलिसी ला रही है। इससे शराब की कीमत 25 से 30 प्रतिशत तक कम होगी। सरकार इसका ऐलान पहले करने वाली थी, लेकिन उपचुनाव के दौरान सरकार की किरकिरी न हो। इसलिए इसे रोक दिया गया था।
शराब से रेवेन्यू बढ़ा लेकिन नशा मुक्ति के बजट में कटौती: पिछले 5 सालों के आंकड़ों को देखा जाए तो प्रदेश में शराब से होने वाला रेवेन्यू (Liquor revenue) साल दर साल बड़ा है। लेकिन नशा मुक्ति (Deaddiction) को लेकर बजट में लगातार कमी आई है। साल 2016-17 में राज्य सरकार को शराब से 7519 करोड़ रुपए की आय हुई थी, जबकि नशा मुक्ति के लिए सालाना बजट 4 करोड़ रुपए था। साल 2017-18 में राज्य सरकार को शराब से आय में और बढ़ोतरी हुई। इस साल राज्य सरकार की झोली में शराब से 8233 करोड़ रुपए आए। नशा मुक्ति के लिए बजट में बढ़ोतरी हुई। नशा मुक्ति के लिए 10 करोड़ रुपए के बजट का प्रावधान रखा गया। 2018-19 में राज्य सरकार को शराब से 9506 करोड़ रुपए की आय हुई। इस साल नशा मुक्ति के लिए 11 करोड़ रुपए का प्रावधान था। साल 2019-20 में राज्य सरकार को शराब से 10,773 करोड़ रुपए की आय हुई। जबकि इस साल नशा मुक्ति अभियान के लिए निर्धारित बजट में कटौती करते हुए इसे 2.72 करोड़ रुपए कर दिया गया। साल 2020-21 में प्रदेश सरकार को शराब से करीब 15 हजार करोड़ रुपए की आय हुई, जबकि इस साल नशा मुक्ति के लिए बजट सिर्फ 73 लाख रुपए रखा गया।
उमा के 'शराबबंदी पर लट्ठ' के बयान पर हुआ था बवाल: पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती ने 18 सितंबर 2021 को कहा था कि 'गंगाजी की यात्रा 15 जनवरी 2022 को पूरी कर रही हूं। गंगाजी को गंगासागर छोड़कर आऊंगी और वहां से यह तय करके लौटूंगी कि मध्य प्रदेश में शराब बंदी होकर रहेगी। तब तक मध्य प्रदेश में जागरूकता अभियान चलता रहेगा।' उनसे पूछा गया था कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष विष्णुदत्त शर्मा का कहना है कि नशाबंदी और शराब बंदी जन-जागरूकता अभियान से ही संभव है। इस पर उमा ने कहा था, मेरा मानना है कि शराब बंदी लट्ठ से होगी। आखिर अवैध एवं जहरीली शराब पर रोक लगाना, राज्य शासन के लॉ एंड ऑर्डर की जिम्मेदारी है। लट्ठ से शराबबंदी करवाने के उनके बयान पर विवाद बढ़ने पर उन्होंने ने सफाई देते हुए कहा था, "मध्य प्रदेश में बलात्कार, छेड़खानी, दुर्घटनाएं, बीमारियां इन सबका मुख्य कारण शराब का सेवन है। शराबियों के खुलेआम सड़क पर घूमने से मध्य प्रदेश की बहन एवं बेटियां सुरक्षित महसूस नहीं करती, इसलिए मध्य प्रदेश जैसे शांतिप्रिय राज्य में शराबबंदी बहुत जरूरी है। और वह बलपूर्वक ही हो सकता है।'
उमा ने कहा था: शिवराज जी, बिहार के नीतीश जी से कुछ सीखें: उमा भारती ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के शराबबंदी मॉडल और सरकार के राजस्व के घाटे को रिकवर करने के तरीके की तारीफ करते हुए शिवराज सरकार को बिहार और गुजरात से सीख लेने की सलाह भी दी थी। उन्होंने कहा था कि 'गुजरात में BJP और बिहार में NDA की सरकार है। वहां शराबबंदी है और वहां के मुख्यमंत्रियों को इस पर गर्व है। मध्य प्रदेश में सीएम शिवराज सिंह चौहान और बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष वी डी शर्मा भी सतोगुणी एवं दृढ़निश्चयी व्यक्ति हैं। यह दोनों ही मेरे शराबबंदी को लेकर विश्वास का कारण हैं। उनके पास शराबबंदी का फॉर्मूला है जिसे वह मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा से साझा करेंगी।
सरकार ला रही नई शराब नीति: इधर, सरकार नई शराब नीति लाने का विचार कर रही है। नई शराब पॉलिसी प्रस्तावित भी हो चुकी है। इसके मुताबाकि, MSP के तहत देशी शराब पर 25 फीसदी , विदेशी शराब में 20 फीसदी और बीयर पर 35 फीसदी तक का प्रॉफिट मार्जिन है। जिसे अब सरकार 20 फीसदी करने की तैयारी में है। इसी तरह मौजूदा नीति में MSP से MRP का अंतर 20 फीसदी से ज्यादा तय है, लेकिन अब सरकार वैट जोड़ने के बाद भी ये अंतर 10 फीसदी करने जा रही है। अभी शराब ठेकेदारों को 45 से 50 फीसदी प्रॉफिट हो रहा है। लेकिन अब शराब की हर एक पेटी पर प्रॉफिट तय किया जाएगा। ये प्रॉफिट 20 फीसदी से ज्यादा नहीं होगा। और तो और शराब के उठाव से लेकर खपत को इस तरह से 30 फीसदी तक बढ़ाया जाएगा। जिससे शराब ठेकेदार भी मुनाफे में रहेगा। कुल मिलाकर अगले साल से शराब की कीमतों में 25 से 30 फीसदी की कटौती होने के संकेत हैं। कीमत कम होगी तो डिमांड भी बढ़ेगी।
2 साल से मेरी तारीख बदल रही: उमा भारती ने 14 जनवरी को कहा कि मैं एक ही शब्द बोल रही हूं, मैं मध्यप्रदेश में शराबबंदी करवाकर ही रहूंगी। तारीख अभी तय नहीं है, वह परिस्थिति के हिसाब से होगी। मैं शिवराज सरकार की विरोधी नहीं हूं, मैं शराब की विरोधी हूं। शराबबंदी छोटा मामला नहीं है, तीरीख में मेरा कोई हाथ नहीं है, ओमिक्रॉन (omircon) का भी मुझे पता नहीं था। दो साल से मेरी तारीख बदल रही है, पिछले साल मुझे महिला दिवस से यह शुरू करना था, आप याद करिए क्या हुआ। मार्च कोरोना कहर बरपा रहा था। उसी प्रकार से गंगा सागर पर भी मुझे अब तक पहुंचना था। अब कुछ नहीं मान सकते हैं, जब तक मैं गंगासागर पहुंच न जाऊं और जब तक यह ओमिक्रॉन की लहर ना खत्म हो जाए। मैं एक ही शब्द बोल रही हूं, मैं मध्यप्रदेश में शराबबंदी करवाकर ही रहूंगी। मैं उनको क्यों सलाह देना चाहूंगी। मेरी उनसे रोज बात हो सकती है। जो भी बात होनी होती है, आपस में मिलकर कर लेंगे। वे मेरा सम्मान करते हैं, मैं शिवराज जी का बहुत सम्मान करती हूं।
शराबबंदी के लिए दिया था OBC, ST-SC की बर्बादी का तर्क: उमा भारती ने शराबबंदी के मुद्दे में SC और OBC का तड़का देते हुए अपने ट्विटर अकाउंट पर भी लिखा था कि प्रदेश की कुल आबादी में पिछड़े एवं SC, ST वर्ग की संख्या 92 फीसदी है। इनमें से अधिकतर लोग शराब की बुरी लत के कारण ही बर्बादी, बीमारी, पिछड़ेपन एवं गरीबी के शिकार हैं। इन वर्गों की महिलाओं की संख्या करोड़ों में हैं। उनके तो जीवन के सभी कष्टों का कारण ही उनके घर के पुरुषों का शराबी होना है।
कांग्रेस ने कहा था: 'उमाजी, आप सड़कों पर आइए, हम आपके साथ हैं! शराबबंदी को लेकर राज्य सरकार की स्थिति को भांपते हुए कांग्रेस भी अपना सियासी कार्ड खेलने से नहीं चूकी थी। PCC चीफ कमलनाथ के मीडिया सलाहकार नरेन्द्र सलूजा ने ट्वीट करते हुए उमा भारती से कहा था कि आप शिवराज सरकार के खिलाफ सड़कों पर आइए, हम आपके साथ हैं। हालांकि सलूजा ने भारती पर चुटकी भी ली थी, उन्होंने कटाक्ष करते हुए लिखा था कि आपने इससे पहले दो फरवरी 2021 को यही घोषणा की थी। तब महिला दिवस से अभियान शुरू करना था, पर आप गायब हो गईं। प्रदेश में जहरीली शराब से 70 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। इसलिए आप इस बार घोषणा पर कायम रहिएगा।"
उमा के शराबबंदी अभियान की वजह: 11 जनवरी 2021 को मुरैना जिले में जहरीली शराब पीने से 24 लोगों की मौत हो गई थी। यही वजह थी कि उमा ने शराबबंदी अभियान शुरू करने का ऐलान किया था। उमा ने तब राज्य में शराब पीने पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने की मांग की थी। उन्होंने कहा था की शराब से लोगों की जिंदगियां तबाह हो रहीं हैं और सरकार का सिर्फ राजस्व की वजह से शराब की बिक्री जारी रखना ठीक नहीं हैं। इसके बाद भारती ने 2 फरवरी को भी ट्वीट कर कहा था कि 8 मार्च को महिला दिवस से मध्य प्रदेश में नशा मुक्ति अभियान शुरु करेंगी। लेकिन बाद में उमा भारती बैकफुट पर आ गई थीं। खबरों खबरों में जिसकी वजह शिवराज सरकार की नाराजगी बताई जा रही थी। दरअसल, तब भारती के विवादित बयानों के बाद शिवराज और वी.डी. शर्मा दोनों ने ही बोला था की प्रदेश में शराबबंदी आत्म-जागरूकता और संयम से होनी चाहिए ना की सरकार की मनाही से। इसके बाद मध्य-फरवरी में चौहान और भारती की मीटिंग भी हुई थी, जिसका विवरण सार्वजनिक नहीं किया गया था।
उमा का कदम पॉलिटिकल एक्शन में वापस आने की कवायद तो नहीं?: देश के कई राज्यों में शराबबंदी को लेकर खूब राजनीति होती रही है फिर चाहे वो बिहार हो, गुजरात हो या फिर महाराष्ट्र। कुछ राज्यों ने शराबबंदी लागू कर दी है, कुछ लागू करने की तैयारी में है। मध्य प्रदेश में भी गाहे-बगाहे शराबबंदी का मुद्दा उठ ही जाता है, फिर कारण चाहे सामाजिक जिम्मेदारी हो या फिर नेताओं की राजनीति चमकाने की तैयारी। कुछ राजनैतिक विश्लेषक उमा भारती के शराबबंदी के खिलाफ अल्टीमेटम (uma bharti ultimatum) को सामाजिक हित में मानते हैं। जबकि कुछ का मानना है कि भारती का ये कदम कुछ और नहीं बल्कि पॉलिटिकल एक्शन में वापस आने की कवायद है।