Raisen. पूर्व सीएम उमा भारती (Uma Bharti) ने रायसेन के सोमेश्वर महादेव मंदिर का ताला खोलने मुद्दा एक बार फिर उठाया है। रायसेन के बेगमगंज में एक निजी कार्यक्रम में शामिल होने पहुंचीं उमा भारती ने कहा कि- 'मैं मंदिर का ताला खुलवाने के लिए विधायक रामपाल सिंह, मंत्री प्रभुराम चौधरी और सांसद रमाकांत भार्गव की ड्यूटी लगाकर जा रही हूं। मंदिर का ताला खुलने पर रामपाल सिंह के घर पहुंचकर अन्न ग्रहण करूंगी।' पूर्व मुख्यमंत्री नगर के वरिष्ठ बीजेपी नेता भगवान सिंह लोधी के निवास पर निजी कार्यक्रम में पहुंची थीं।
कांग्रेस की दोहरी राजनीति की वजह से मंदिर पर ताला
उमा भारती ने कहा कि पिछले दिनों वे किले के मंदिर में शिवलिंग पर जलाभिषेक करने पहुंची थीं, लेकिन खरगोन की घटना की सूचना मिली। इसलिए उन्होंने तय किया कि हम ऐसी कोई स्थिति नहीं बनाएंगे कि विरोधी पक्ष के लोगों को वातावरण खराब करने का मौका मिले। उन्होंने कहा कि रायसेन में वातावरण खराब नहीं है, सब सुखी रहते हैं। रमजान के महीने में भी तोप चलाई जा रही है, नमाज पढ़ी जा रही है और शिव मंदिर के काफी दूरी पर ये हो रहा है। किसी को कोई दिक्कत नहीं है। उन्होंने कहा कि शिव मंदिर पर ताला कांग्रेस की दोमुंही नीति के कारण लग गया। ताला खुल गया था लेकिन फिर कांग्रेस ने फैसला लिया कि ये सिर्फ शिवरात्रि पर ही खुलेगा।
केंद्रीय मंत्री थीं तब मामले का पता नहीं था : उमा
उमा भारती ने कहा कि जब वे केंद्रीय मंत्री थीं, तब पुरातत्व विभाग उनके पास था। लेकिन उस समय शिव मंदिर का ताला खुलवाने की बात उनके संज्ञान में नहीं आई। मंदिर महत्वपूर्ण है, शिवलिंग महत्वपूर्ण है, घटनाक्रम महत्वपूर्ण है, बहुत ही नरसंहार हुआ है, बहुत जौहर हुए हैं, बहुत कत्लेआम हुआ है। शिवलिंग को बाहर फेंक दिया, लेकिन वो खंडित नहीं हुआ।
वैधानिक प्रक्रिया पूरी करें : उमा भारती
उमा भारती ने विधायक रामपाल सिंह से कहा कि रमजान के महीने में तोप चलती है, तो हमारे जल चढ़ाने में क्या दिक्कत है। वहां कोई हिंदू मुस्लिम नहीं है, इसीलिए प्रेम से वैधानिक प्रक्रिया पूरी करें। सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त तक शिवलिंग का द्वार खोला जा सकता है और मंदिर केंद्रीय पुरातत्व के पास बना रहेगा। उमा ने कहा कि अभी उसमें ऐसा ताला डाला हुआ है कि कोई भी बकरी चराने वाला एक डंडे से उसे तोड़ देगा। मैंने उस समय बात इसलिए मान ली क्योंकि 10 तारीख को खरगोन में घटना हुई थी। मुझे डर था कि मेरे विरोधी दल और इस चिंगारी को भड़का न दें। मैंने उसी जिम्मेदारी को लेकर ये तय किया कि अब तब तक अन्न ग्रहण नहीं करूंगी जब तक मेरा मन शांत नहीं हो जाता।