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GWALIOR News. जिला पंचायत सदस्य पद को लेकर हुए चुनाव के औपचारिक नतीजे आज आ गए । हालांकि मतगणना पहले ही हो चुकी थी और उसके आधार पर जीत का अंदाज़ा भी लग चुका था। लेकिन आज इनके परिणामो की औपचारिक घोषणा की गई । चुनाव नतीजे बताते है कि ग्वालियर जिला पंचायत पर बीजेपी की पकड़ मजबूत है लेकिन एक चौकाने वाला नतीजा भी आया जिसमे केंद्रीय कॄषि मंत्री नरेंद्र तोमर के नजदीकी की पत्नी बड़े अंतर से चुनाव हार गई। वे अध्यक्ष पद की प्रबल दावेदार थीं हालांकि इनके मुकाबले में जीती प्रत्याशी का परिवार भी बीजेपी से जुड़ा है।
वार्ड 7 के नतीजे पर थी सबकी निगाह
ग्वालियर जिला पंचायत में सिर्फ तेरह वार्ड हैं। जिला पंचायत अध्यक्ष का पद अनुसूचित जाति की महिला के लिए आरक्षित है। यही बजह है कि सबकी निगाहें उन सीटों पर हीं थीं जिन पर अनुसूचित जाति की महिलाएं चुनाव लड़ रहीं थीं । इनमे सबसे हॉट सीट थी वार्ड 7 की जहां से आशा कप्तान सहसारी मैदान में थी। आशा के पति केंद्रीय कॄषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के निकटतम लोगों में शुमार किया जाता है। कप्तान सिंह सहसारी को तोमर ने 2018 के विधानसभा चुनावों में डबरा सुरक्षित सीट से बीजेपी का टिकट भी दिलवाया था लेक़िन तब वे कांग्रेस की प्रत्याशी श्रीमती इमरती देवी सुमन के मुकाबले बड़े अंतर से चुनाव हार गए थे। फिर इमरती अपने नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ काँग्रेस छोड़ बीजेपी में शामिल हो गईं। उन्होंने विधानसभा से इस्तीफा दिया। उसके बाद हुए उप चुनाव में वे बीजेपी के टिकट पर मैदान में उतरीं लेकिन कांग्रेस के सुरेश राजे से हार गईं। इमरती के बीजेपी में आने से कप्तान सिंह सहसारी विधानसभा टिकट की दौड़ से तो फिलहाल बाहर हो ही गए सो अब उन्होंने अपनी पत्नी के जरिये अपनी राज नीति को आगे बढ़ाने की रणनीति बनाई और अपनी पत्नी आशा को वार्ड 7 से मैदान में उतारा। चूंकि ग्वालियर जिला पंचायत अध्यक्ष का पद अनूसूचित जाति महिला के लिए आरक्षित था सो माना जा रहा था कि सहसारी के जरिये इस पद पर तोमर की निगाह है । लेक़िन आशा की करारी हार से यह उम्मीद टूट गईं।
तोमर समर्थक की करारी हार
तोमर समर्थक सहसारी की पत्नी आशा का जिला पंचायत अध्यक्ष बनने का सपना टूट गया क्योंकि वे सदस्य का ही चुनाव नहीं जीत सकीं। नेहा परिहार ने उन्हें करारी शिकस्त दी । नेहा परिहार को 8413 मत मिले जबकि आशा कप्तान सहसारी महज 5205 वोट ही हासिल कर सकीं। हालांकि नेहा का परिवार भी बीजेपी से जुड़ा है और अब उनके अध्यक्ष चुने जाने की संभावना है।
पहले जीत भी चुकी हैं सहसारी
आज का चुनाव हार चुकी आशा सहसारी लगातार दूसरी बार चुनाव लड़ीं थीं पिछली बार वे जीत गईं थीं लेकिन तब अध्यक्ष का पद पिछड़ी महिला के लिए आरक्षित था । लेकिन इस बार उनके अध्यक्ष बनने की संभावना थी क्योंकि यह पद अनुसूचित जाति महिला के लिए आरक्षित है लेकिन इस बार वे सदस्य का चुनाव ही नही जीत सकीं।