Khargone. दिलों के तार आवाज से नहीं, हाव-भाव से जुड़ते हैं। खरगोन जिले के ग्राम ठीबगांव के युवक और इंदौर की युवती ने प्रेम विवाह किया है। दोनों ही जन्म से मूक-बधिर हैं। करीब एक साल पहले दोनों का मिलन इंटरनेट मीडिया पर हुआ। मन से मन का मिलन हुआ, साइन लैंग्वेज (सांकेतिक भाषा) में प्रेम कहानी गढ़ी गई और दोनों ने एक दूसरे को अपना हाथ सौंपकर जीवनभर का साथ चुन लिया। यह शादी इंदौर के साथ ही खरगोन जिले में भी खासी सुर्खियों में रही।
घर बसाने की चिंता दूर हुई
खरगोन से करीब 6 किमी दूर ठीबगांव का रहने वाला सुनील यादव (27) जन्म से मूक बधिर है। लगभग एक वर्ष पूर्व उसकी दोस्ती इंटरनेट मीडिया पर इंदौर निवासी 22 वर्षीय सुनीता यादव से हुई। सुनीता भी मूक-बधिर है। कुछ ही दिनों में दोस्ती हो गई। दोस्ती में प्यार का अंकुरण हुआ और वीडियो कालिंग से साइन लैंग्वेज में प्रेम की अभिव्यक्ति की गई। 22 अप्रैल को दोनों गठबंधन में बंध गए। सुनील के पिता कैलाश यादव ने बताया कि बेटा सुनील जन्म से बोल नहीं पाता था। बेटे के जवान होने पर उसका घर बसाने की चिंता लगी रहती थी। लेकिन ईश्वर ने ऐसा संयोग बनाया कि उसे योग्य कन्या मिल गई। सुनील और सुनीता दोनों ने माध्यमिक स्तर तक शिक्षा प्राप्त की है। सुनील खेती संभालता है। इस विवाह ने दोनों ही परिवारों में खुशियां बिखेर दी।
क्या है साइन लैंग्वेज
सुनील के स्वजन हरी यादव, सुभाष यादव आदि बताते हैं कि विवाह के पूर्व सुनील व सुनीता मोबाइल पर वीडियो कॉल से चर्चा करते थे। वे घंटों तक एक दूसरे के मन की बात साइन लैंग्वेज के जरिए करते। मनोभावों की अभिव्यक्ति इशारों से करते। मूक-बधिर बच्चों को शिक्षा देने वाली मेजर डॉ. अनुराधा ने बताया कि मूक-बधिरों की अपनी विशेष भाषा है। इसे साइन लैंग्वेज या सांकेतिक भाषा कहा जाता है। इसमें संदेशों या मन की बात को व्यक्त करने के लिए दृश्य क्रियाएं उपयोग की जाती हैं। यह सिर्फ हाथों के उपयोग तक सीमित नहीं है। चेहरे के भाव, शरीर की गति और अलग-अलग इशारे, इसमें शामिल हैं।