प्रमोशन का नया पैमाना, पदोन्नति नियम 2002 की कॉपी, अनारक्षित वर्ग को लाभ नहीं, लागू हुआ तो फिर कोर्ट में होगा चैलेंज

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Rahul Sharma
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प्रमोशन का नया पैमाना, पदोन्नति नियम 2002 की कॉपी, अनारक्षित वर्ग को लाभ नहीं, लागू हुआ तो फिर कोर्ट में होगा चैलेंज

Bhopal. प्रदेश के सरकारी महकमे में प्रमोशन का मध्यप्रदेश सरकार ने जो रास्ता निकाला था, वो मंजिल पर पहुंचने से पहले ही भटकता दिखाई दे रहा है। बीते 6 सालों से प्रदेश में 3.5 लाख कर्मचारियों के प्रमोशन पर रोक लगी हुई है। सरकार ने इसके लिए बीच का एक रास्ता निकालकर पदोन्नित में आरक्षण का एक नया ड्राफ्ट 2022 तैयार किया और विधि विभाग को भेज दिया। जल्द इसे कैबिनेट में रखा जाना है, पर ड्राफ्ट लागू होने से पहले ही विवादों में घिर गया है। कर्मचारी संगठन इसे पदोन्नति 2002 की कॉपी ही बता रहे हैं, जिस पर 2016 में हाईकोर्ट ने रोक लगा दी थी। इसके बाद सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का रूख किया और तब से मामला लंबित है। मंत्रालय कर्मचारी संघ के संरक्षक राजकुमार पटेल ने इस ड्राफ्ट को पैकिंग नई और सामान वही पुराना बताया है। राजकुमार पटेल ने कहा कि 6 साल से जो विवाद चला, पदोन्नतियां रूकी रहीं...अंत में उसका निष्कर्ष क्या निकला। आज जो नियम बनाए ये वे ही नियम है जो 2002 में बनाए गए थे। कोई परिवर्तन नहीं है, सिर्फ शब्द बदले गए हैं। यदि ये ड्राफ्ट लागू भी होता है तो यह कोर्ट में चैलेंज हो जाएगा।



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सरकार चाहती ही नहीं कि कर्मचारियों को प्रमोशन मिले



कर्मचारी नेताओं ने पूरे मामले को लेकर सरकार की मंशा पर ही सवाल खड़े कर दिए हैं। मंत्रालय कर्मचारी संघ के संरक्षक राजकुमार पटेल ने कहा कि सरकार की मंशा ही नहीं है कि पदोन्नति हो, यही कारण है कि ऐसा ड्राफ्ट तैयार कर दिया जो आसानी से कोर्ट में चैलेंज हो जाएगा। सरकार को कहने को भी हो जाएगा कि हमने तो ड्राफ्ट बनाया था मामला कोर्ट में है इसलिए हम कुछ नहीं कर सकते। इधर सपाक्स के अध्यक्ष केएस तोमर ने सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि कर्मचारियों को पदोन्नति न मिले इसके लिए सरकार ने 12 करोड़ रूपए कोर्ट में खर्च कर दिए। ये कभी सही नियम नहीं बनाएंगे, हमें खत्म करने की पूरी व्यवस्था कर दी है।




नए ड्राफ्ट को लेकर यह है आपत्ति...



— सुप्रीमकोर्ट में मामला विचाराधीन है, सरकार को सुप्रीम कोर्ट के फैसले का इंतजार करना चाहिए था।  



— यदि नियम बनाने की जरूरत भी पड़ी तो हाईकोर्ट के आदेश के अनुरूप नियम बनाए जाने चाहिए थे, जिसमें पदो​न्नति नियम 2002 को समाप्त कर दिया गया था।



— सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिए थे कि जो क्रीमीलेयर में आ गए हैं उन्हें पदोन्नति में आरक्षण नहीं दिया जा सकता, ड्राफ्ट में यह बिंदु नहीं लिया गया।



— सिर्फ सीआर को रखा है जो चेहरा देखकर होती है, इस पर भरोसा नहीं किया जा सकता। सुप्रीम कोर्ट ने इफीशियेंसी के लिए एग्जाम की बात कही थी, जो ड्राफ्ट में नहीं है।



— कोर्ट ने कहा था कि पहले ये देंखे कि किन वर्गों का प्रतिनिधित्व कम है। रिज्वर्ड कैटेगिरी पहले से ज्यादा है, यदि फिर से उन्हें 20 प्रतिशत—17 प्रतिशत रिजर्वेशन देंगे तो उनकी संख्या तो और बढ़ जाएगी।



— जो व्यक्ति 6 साल पहले पदोन्नति का हकदार था, अब उसका क्या होगा, क्या उसकी पदोन्नति 6 साल पहले से ही मानी जाएगी या 2022 से मानी जाएगी, ड्राफ्ट में इस प्रश्न का कोई समाधान नहीं किया गया।




पदोन्नति के इंतजार में 70 हजार कर्मचारी हो गए रिटायर



प्रदेश में 2016 से पदोन्नति पर रोक है। इस दौरान अब तक 70 हजार कर्मचारी रिटायर हो गए हैं। हालांकि यह रोक सिर्फ मध्यप्रदेश में ही है। पदोन्नति के दायरे में 11000 क्लास वन और क्लास टू के अफसर है, जिनमें से अधिकांश रिटायर हो गए हैं और जो कार्यरत हैं उनकी देनदारी है। 44 हजार तृतीय वर्ग के कर्मचारियों की पदोन्नति का मामला भी अटका हुआ है।




पदोन्नति नहीं होने से मंत्रालय के कई पद खाली



राज्य की शीर्ष संस्थान मंत्रालय की स्थिति को देखें तो पदोन्नति नहीं होने से यहां कई पद खाली पड़े हुए हैं। जानकारी के अनुसार एडिशनल सेकेटरी का पद पदोन्नति का पद है, 6 पद स्वीकृत पर एक पर भी पदस्थ नहीं। उप सचिव के 14 पद स्वीकृत, काम कर रहे सिर्फ 2, अंडर सेकेटरी के 60 प्रतिशत पद खाली पड़े हुए हैं। यही स्थिति अनुभाग अधिकारी, सहायक ग्रेड 02 इन सभी पदों की है।




भारतीय और राज्य प्रशासनिक सेवा की तरह मिले पदोन्नति



मंत्रालय कर्मचारी संघ के अध्यक्ष आशीष सोनी ने कहा कि सरकार यदि वास्तव में पदोन्नति में आरक्षण के विवाद को सुलझाना चाहती है तो भारतीय प्रशासनिक सेवा, राज्य प्रशासनिक सेवा की तरह टाइम बाउंड पदोन्नति दी जाए। इसमें वरिष्ठता सूची के हिसाब से पदोन्नति मिलती जाती है। वरिष्ठ श्रेणी वेतनमान मिल जाता है, एक निश्चित समय के बाद प्रवर श्रेणी वेतनमान मिल जाता है। इसमें सभी वर्ग को आरक्षण मिल जाएगा।


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